Chhal - 34 in Hindi Moral Stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | छल - Story of love and betrayal - 34

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छल - Story of love and betrayal - 34

अब प्रेरित नितेश के पास आया नितेश चिल्ला पड़ा और कहने लगा, "नहीं.. नहीं.. मेरी उंगली मत काटना मैं बताता हूं, आगे मैं सब बताता हूं,
प्लान के मुताबिक हमें लगा कि तुम अपने चाचा को इस सच्चाई का पता लगने के बाद उनको तुरंत मार दोगे और अपनी मां को भी.. खैर वो तो मर ही गई थी लेकिन तुमने उसे माफ कर दिया पर तुम खोए खोए और चिड़चिडे रहने लगे, मैं समझ गया था कि तुम्हारे अंदर कुछ चल रहा है इसीलिए मैंने कुशल को बोल दिया कि वह चाचा के घर पर नजर रखे और फिर एक दिन जब तुम ऑफिस की मीटिंग के लिए दिल्ली जाने वाले थे तो मैं यही सब डिस्कस करने प्रेरणा के पास आया, हम बात कर ही रहे थे, कुशल का फोन आया उसने बताया कि तुमने चाचा जी को जिंदा जला दिया और तुम्हारे सिर पर खून सवार था |

हम बहुत खुश हुए यह सुनकर कि अब प्रेरित जाएगा जेल और हम खुशी मनाएंगे, मैं भी उन दिनों उस मनहूस सीमा से परेशान था तो प्रेरणा के पास आते ही मैं अपने आप को रोक न सका दूसरा खुशी में एक्साइटिड भी हो गया"
तभी प्रेरणा ने कहा,

" कहीं प्रेरित यहां आ गया तो, कहीं उसने हमें ऐसे देख लिया या उसे हमारे प्लान का पता चल गया तो वह हमें भी जान से मार देगा, वो गुस्से मे पागल हो जाता है" |

इस पर मैंने कुछ देर सोचा और एक प्लान बनाया, जिसके हिसाब से मैंने लॉकर से गन निकाली और नकली गोलियां भर दीं और उसे मेज़ पर रखकर प्रेरणा के गले लग गया और उससे कहा, अब तुम पूरी तरह से सेफ हो, ठीक उसी समय वहां पर तुम आ गए और तुमने हमारा प्लान फिर गड़बड़ कर दिया, तुमने गुस्से में जैसे ही हमें गले मिलते देखा, गुस्से में गन उठाई और हमें मार डाला आई मीन ऐसा तुम और सारी दुनिया समझती रही " |

प्रेरित गुस्से में उठा उसने नितेश की भी एक उंगली काट दी, नितेश तड़प उठा और माफी मांगने लगा, तब प्रेरित कुशल के पास आया, उसने कुशल की उंगली के पास चाकू रखकर बोला," तो उस दिन मेरे पीछे तू भी आया होगा और तूने मेरे सिर पर किसी धारदार हथियार से मार मार कर मुझे घायल किया, मुझे मारने की कोशिश की "|

कुशल चिल्ला पड़ा और रो-रो कर बोला मैंने तुम्हें नहीं मारा, मैंने तुम पर कोई हमला नहीं किया था, मैं तो वहाँ बाद मे पहुंचा, वह तो तुम्हें तुम्हारे बेटे ने मारा था |

ये सुनकर प्रेरित के हाथ से चाकू छूट गया, वह तड़प उठा सुनकर की वो नाजायज नहीं, उसका अपना बेटा था जिसने उसको मारने के लिए उसपे हमला किया |

तभी प्रेरणा होश में आकर बोली - "जब स्वप्निल ने गोलियों की आवाज सुनी तो वो दौड़ कर कमरे में आया, उसने देखा कि नीतेश तो मरा पड़ा है और उसी के सामने तुमने मुझ पर गोली मारी और बैठ कर चिल्लाने लगे, स्वप्निल यह देखकर घबरा गया, उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसके पापा कभी ऐसा करेंगे, खूनी बाप से उसे डर लग रहा था इसीलिए उसने अपनी मां का बदला लिया और अपनी जान बचाने के लिए तुम्हें मारना चाहा और तुम्हारे सर पर उसने वार किया जिससे तुम बेहोश हो गए, तुम्हारे बेहोश होते ही स्वप्निल भी बेहोश हो गया |