"डैड और मॉम को लगता है की हम दोनो एक साथ खुश नही है।"
"क्या? उन्हे ऐसा क्यों लगता है?"
रात का डिनर खतम करने के बाद कबीर और अमायरा अपने कमरे में आ गए थे। और आते ही कबीर उसे बताने लगा की मॉम ने उससे आज क्या कहा था।
"उन्हे लगता है की मैं तुम्हे खुश नही रखता। की तुम चाहती हो की मैं महिमा को भुल जाऊं और इस शादी को स्वीकार कर लूं।"
"क्या यह सब उन्होंने आपसे कहा?"
"हां। उन्हे लगता है की हम दोनो उनके सामने अच्छे बनने का नाटक करते हैं।
"तभी वोह मुझे अजीब सी नज़रों से देख रहे थे, डाइनिंग टेबल पर।" अमायरा ने कुछ सोचते हुए कहा और कबीर मुस्कुराने लगा।
"हम्मम! आज तुम्हारे आने से पहले उन्होंने मुझसे यह कहा था।"
"ओके। पर अब हम क्या कर सकते हैं? इससे अच्छी मैं एक्टिंग नही कर सकती। यह मेरी अवार्ड विनिंग परफॉर्मेंस है। अगर वोह उसके बावजूद भी वोह देख सकते हैं, तोह अब मुझे नही पता की अब और क्या करना चाहिए।" अमायरा ने दुखी मन से कराह कर कहा।
उन दोनो की शादी को अब लगभग एक महीना बीत चुका था। यानी की अमायरा की मॉम के घर से आए उन दोनो को पंद्रह दिन बीत चुका था। जो लड़ाई उस वक्त उनके बीच हुई थी उसके बाद से उन दोनो के बीच बातचीत बंद हो गई थी। उन दोनो के बीच कोल्ड वॉर चल रही था। वोह दोनो जितना हो सके उतना एक दूसरे को अवॉइड करने लगे थे। उन दोनो के बीच लड़ाई झगड़ा बिलकुल ना के बराबर होता था और वोह ऐसे प्रिटेंड करते थे मानो सामने वाला कमरे है ही नहीं। इतने दिनो के बाद आज दोनो एक साथ बैठ कर शांति से कुछ सेंसिबल बात कर रहे थे।
"हम्मम! अब क्या?" कबीर ने सोचते हुए कहा।
"हम यह ड्रामा पूरी जिंदगी कैसे करेंगे, जब उन्होंने एक महीने में ही हमे पकड़ लिया? अमायरा ने कुछ सोचते हुए कहा। "आपको नही लगता की यह बैड डिसीजन था शादी करने का?" अमायरा ने पूछा और कबीर के पास इसका कोई जवाब नही था।
"मुझे नही पता की अब मुझे क्या कहना चाहिए।" कबीर ने ईमानदारी से कहा। वोह सच में कन्फ्यूज्ड हो गया था क्योंकि दोनो ने ही अपनी अपनी जिंदगी इतनी उलझा ली थी, वोह भी सिर्फ अपनी अपनी भाई और बहन की मदद करने के लिए।
"एक तरह से देखा जाए तोह यह अच्छा भी है। वोह यही सोचते होंगे कि हम दोनो को एक दूसरे से इश्यूज हैं।" अमायरा ने अचानक कुछ सोचते हुए कहा।
"क्यों?"
"क्योंकि अगर उन्हें यकीन हो जायेगा की हम दोनो के बीच सब ठीक है तोह अगले दिन से वोह बच्चे के बारे में पूछना शुरू कर देंगे।" अमायरा ने समझाते हुए कहा। उसकी आंखे डर से बड़ी हो गई थी और यह सुन कर कबीर भी डरने लगा था।
"क्या बकवास कर रही हो? क्या सोच कर तुमने यह कहा?"
"मैं सही कह रही हूं। सुमित्रा आंटी, दी और जीजू को कह रही थी की उन दोनो को अब उन्हे जल्दी ही दादी बना देना चाहिए। और क्योंकि हम दोनो के बीच अभी भी बहुत प्रॉब्लम्स है इसलिए वोह हम से यह नहीं कह सकती।"
"उन्होंने ऐसा कब कहा?" अब कबीर भी घबराने लगा था।
"उस दिन जिस दिन वोह दोनो हनीमून के लिए निकल रहे थे। मैं उस वक्त किचन में थी जब वोह उन दोनो से कह रही थी।"
"और तुम यह मुझे क्यों बता रही हो?"
"क्योंकि उन्होंने अब हमारी बीच की परेशानियों को सुलझाना शुरू कर दिया है। जैसे उन्हे लगेगा की हमारे बीच सब ठीक है, वोह हमे भी बच्चे के लिए कहना शुरू कर देंगे। और फिर तब हम क्या करेंगे? कम से कम हम कुछ समय के लिए इसे अवॉइड कर सकते हैं और फिर बाद में हम एक बच्चा एडॉप्ट कर लेंगे।"
"क्या? तुम्हारे दिमाग में यह सब आया कहां से? और हम बच्चा क्यों एडॉप्ट करेंगे?" कबीर ने कन्फ्यूज्ड हो कर पूछा।
"क्योंकि मुझे मेरा अपना बच्चा चाहिए।" अमायरा ने अपनी एक भौहों को उचका कर कहा, जैसे की यह तोह नेचुरल सी बात है, उसमे क्या?
"तुम्हे पता है की तुम पागल हो। और अभी भी एक बच्ची हो।" कबीर ने उसकी बात पर हस्ते हुए कहा।
"और आप अंकल हो, और बहुत ही बुरे अंकल। इसमें क्या गलत है की मुझे एक बच्चा चाहिए? मैने आप से तो नही कहा की आप उस बच्चे की कोई ज़िमेदारी लो। मैने अपने अनाथ आश्रम में बहुत से अनाथ बच्चे देखें हैं और मुझे उनमें से की देखभाल करने को मिलेगा तोह इसमें क्या बुराई है?"
"मुझे समझ नही आ रहा की अचानक यह बच्चा एडॉप्ट करने की जरूरत कहां से आ पड़ी। क्या तुम पहले से ही मन में बैठा चुकी थी की तुम्हे एक बच्चा एडॉप्ट करना है? इवन शादी से पहले से?"
"शादी से पहले, मैं सोचती थी की मेरा खुद का बच्चा होगा, वोह भी दो। पर अब मैं जानती हूं की यह कभी पॉसिबल नही हो सकता। एटलीस्ट तब तक तोह बिलकुल भी नहीं जब तक हम डाइवोर्स नही ले लेते और मैं ऐसे इंसान से शादी नही कर लेती जो मुझसे प्यार करे, जो सच में मुझे अपनी ज़िंदगी में चाहे। और ऐसा मैं अभी कुछ भी प्लान नही कर रही हूं। तोह आप ही बताइए मेरे लिए और क्या अवेलेबल ऑप्शन है?" अमायरा का यह सच, उजागर होने के बाद कबीर तोह सुनकर दंग ही रह गया था। अमायरा लगातार बोलती जा रही थी बिना इस पर ध्यान दिए की यह बात सुन कर कबीर के एक्सप्रेशन बदलने लगे थे।
"मैं यह नहीं कहती की मुझे बच्चा अभी एडॉप्ट करना है लेकिन कुछ साल बाद तोह करना ही होगा ना। मैं आपको बस इसलिए बता रही हूं की आप भी इस बारे में सोचिए। मैं पहले से ही सब सोच चुकी हूं की हमे किन किन परेशानियों का सामना करना पड़ेगा और उससे डील करने के लिए हमे क्या करना होगा। वोह बाद में पूछेंगे की हम अपना बच्चा क्यों नही कर रहे हैं? और मैं कह दूंगी की मुझे कुछ इश्यूज है जिसकी वजह से मैं कंसीव नही कर सकती। इसलिए हम बच्चा एडॉप्ट कर रहे हैं। और फिर वोह हम पर शक करना बंद कर देंगे और हमारी बात पर यकीन कर लेंगे। सिंपल।"
"और तुम ऐसा क्यों करोगी?"
"क्या?"
"यही की सबको बताओगी की प्रॉब्लम तुम में है, जबकि यह सच्चाई नही है? तुमने ऐसा क्यों नही सोचा की तुम यह बोलो की प्रॉब्लम मुझ में है?"
"क्योंकि यह बच्चा मुझे चाहिए, आपको नही। हां मैं आपसे कुछ पेपर्स पर साइन करने की रिक्वेस्ट जरूर करूंगी, लेकिन इसके अलावा और कुछ नही। चिंता मत कीजिए, मैं आपको ऐसी कोई जिम्मेदारी नहीं दूंगी जो आप नहीं चाहते। मैं आपसे बस इस अडॉप्शन के लिए मंजूरी चाहती हूं, और कुछ नही। जैसा मैंने पहले भी कहा है की एस अ हसबैंड मैं आप से कभी कुछ एक्सपेक्ट नही करूंगी। मैं उस वक्त मज़ाक नहीं कर रही थी, जब मैने आपसे कहा था की मैं आपकी जिंदगी में किसी और की जगह नही चाहती। मुझे पता है की अपने आप को खुश कैसे रखा जाता है।"
"अमायरा, आई.... आई एम सॉरी जो भी मैने उस दिन कहा था। मैं उस वक्त गुस्से में था और वोह गुस्सा तुम पर निकल गया, जबकि इसमें तुम्हारी तोह कोई गलती नही है। मेरे उस दिन के बरताव के लिए यह कोई एक्सक्यूज़ नही है। तुम सही थी जब तुमने उस वक्त कहा था की तुम किसी और की जगह नही ले रही हो। इस घर में तुम्हारी अपनी जगह है। यह घर तुम्हारा ही है।"
"आर यू श्योर?"
"वैल, जैसा तुमने कहा था की तुम मेरी लीगली वेडेड वाइफ हो, भले ही तुम बच्ची हो, लेकिन जो भी मेरा है उस पर तुम्हारा पूरा हक है। तोह अगर यह घर मेरा है, तोह ये लीगली तुम्हारा भी है।"
"ओह प्लीज़। आप इस वक्त इमोशनल है। शायद आंटी अंकल से जो आपकी बातचीत हुई है उस वजह से। कल आप फिर से पहले जैसे रूड, अकडू और बुरे अंकल बन जाओगे।" अमायरा जिस कुर्सी पर बैठी हुई थी वहां से खड़ी होती हुई बोली।
"क्या तुम मुझे वोह बुलाना बंद नहीं कर सकती?" कबीर ने अमायरा की तरफ बढ़ते हुए कहा।
"क्या? अंकल? क्या मैने कभी आपसे कहा है की आप मुझे बच्ची बुलाना बंद कर दीजिए? अमायरा खुराफाती हंसी हंसते हुए कदम पीछे लेने लगी।
"पर वोह तोह तुम हो।" कबीर ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए कहा।
"तोह आप भी वोही हैं।" अमायरा ने भी एक कदम पीछे ले लिया।
"तुम अब मुझसे बहस में आगे बढ़ रही हो?" कबीर ने हल्की मुस्कान के साथ पूछा।
"मैं ऐसा क्यों करूंगी?" अमायरा ने घूर कर देखा।
"शायद तुम्हे लड़ाई करना पसंद हो? मेरे साथ? और दूसरों के साथ भी? मुझे नही पता।" कबीर ने यूहीं बोला।
"मैं लड़ाई क्यों पसंद करूंगी? अगर आप जो कह रहें वोह सच है, तोह मैं आपको आसानी से डाइवोर्स दे सकती हूं। आपसे एलुमनी में आधा पैसा ले लूंगी और आराम से एक शांत जगह जा कर बस जाऊंगी। शायद कोई सेंटिनल आइलैंड जैसी जगह।"
"क्या? अब तुमने एक और वजह दे ही दी की मैं तुम्हे बच्ची क्यों कहता हूं। कोई अपने पूरे होशो हवास में सेंटिनल आइलैंड क्यों जाना चाहे गा?" कबीर हैरत में था।
"क्योंकि वहां आउसिडर्स का आना मना है।" अमायरा ने अपनी आंखों को टिमटिमाते हुए कहा।
"तोह फिर तुम्हे यह भी पता होगा की उनके लिए तुम एक आउटसाइडर हो। और वोह तुम्हे बिलकुल भी आने नही देंगे। और यह पैसे भी तुम्हे कोई काम नही आने वाले।"
"हां। पता है मुझे। काश मैं उन्ही की तरह होती। मैं वहीं रहती और कितना आराम और शांति मिलती मुझे वहां।" अमायरा ने अपने ख्वाबों में खोए हुए कहा। उसकी आंखे फिर टिमटिमाने लगी थी।
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