"बेटा, अकेले कहां जा रही हो?"
"अंकल, वोह...वोह...।"
"अपनी मॉम के घर जा रही हो ना।"
"हान जी।"
"कबीर!, कबीर कहां है? वोह तुम्हारे साथ नही आ रहा?"
"वोह वाशरूम में हैं। मैने सोचा मैं पहले चली जाती हूं वोह बाद में आ जाएंगे।"
"शादी के बाद पहली बार जा रही हो मायके। अकेली नहीं जाओगी, कबीर भी जायेगा। कहीं उसने मना तोह नही कर दिया?" इंद्रजीत जी ने पूछा।
"नही। ऐसी बात नही है। मैं... मैं जाती हूं अंदर। उन्हे लेकर ही जाऊंगी।" मायरा ने जवाब दिया।
"हम्मम! मैं और सुमित्रा थोड़ी देर बाद एक फ्रेंड के घर पर डिनर के लिए जा रहें हैं। आने में देर होगी। तुम कबीर के साथ ही जाना। ठीक है। मेरी तरफ से कोई रोक टोक नही है बेटा। बस कुछ रिचुअल्स होती हैं जिसे सही समय पर पूरा कर लेना चाहिए। और वैसे भी तुम्हारी मॉम को अच्छा लगेगा अगर कबीर तुम्हारे साथ आएगा तोह।"
"जी ठीक है।"
अमायरा वापिस अपने कमरे में चली गई।
*"पता नही इस लड़के का क्या होगा।"* ऐसा मन में सोचते हुए इंद्रजीत जी सोफे पर बैठ गए और अपनी पत्नी का इंतजार करने लगे।
अमायरा अपने कमरे में वापिस आ गई। आइने के सामने खड़ा अपने बाल सवारता हुआ कबीर शीशे से ही अमायरा को अंदर आते हुए देख रहा था। "तुम गई नही," कबीर ने पूछा।
"हां नही गई। मैं बस यह पूछने आई थी की की मैं आपको फसा ने की कोशिश कर रही हूं क्या? और मैं ऐसा क्यों करूंगी? मैं तोह बस आपको अपने साथ मॉम के घर चलने के लिए कह रही थी। इसमें कौन सी बड़ी बात है? क्या इन दो हफ्तों में मैने आप से कभी कुछ मांगा? इवन मैं आपसे कुछ एक्सपेक्ट करती भी नही, बस यही तोह की हमारी फैमिली हम पर यकीन कर ले की हम दोनो अच्छे कपल हैं और एक दूसरे के साथ खुश हैं। आपके लिए यही सब मेरी मॉम के सामने करना इतना मुश्किल क्यों हैं?
कबीर कुछ नही बोला चुप रहा।
कुछ पल रुकने के बाद अमायरा ने कहा, "मैं आपके जवाब का अभी भी इंतजार कर रही हूं।"
"क्योंकि वोही हैं इन सब चीजों की जिम्मेदार। तुम्हारे यहां होने की जिम्मेदार। मेरी तुम्हे उस इंसान की जगह देने की जिम्मेदार जो महिमा की थी। सिर्फ वोह ही हैं इन सब की जिम्मेदार। मैं हर वोह काम कर रहा हूं जिससे किसी को शक ना ही की मैं तुम्हे यहां नही चाहता। जबकि उसे होना चाहिए था यहां। मेरे कमरे में, मेरे घर में, मेरी पत्नी बन कर। और जब वोह मुझे छोड़ कर चली गई तब भी मैं अपनी जिंदगी में बहुत खुश था। मैं नही चाहता था की कोई मेरी जिंदगी में आए और उसकी जगह ले पर तुमने वोह किया। तुम मेरे घर में आई, मेरे जिंदगी में आई, जैसे वोह सब तुम्हारा ही हो। तुम मेरे कमरे को यूज करती हो जैसे तुम्हारा ही हो, तुम मेरे पेरेंट्स से बात करती हो जैसे वोह तुम्हारे ही हैं। तुम उनके साथ हस्ती हो, उनके साथ बात करती हो, है वोह काम करती हो जिससे उन्हें खुशी मिले जबकि यह काम तुम्हारा नही था, तुम वोह नही हो जिसे यह सब करना था। यह सब उसका था। और जब मैं तुम्हे यह सब करते हुए देखता हूं, तोह मैं याद करता हूं की यह सब सही नही हो रहा है। तुम कभी भी मेरी जिंदगी का हिस्सा नहीं बन सकती। पर फिर भी तुम हो यहां। मुझे घुटन होती है यह हैप्पी हसबैंड का नाटक करते करते। और यह सब सिर्फ तुम्हारी मॉम की वजह से हुआ है।"
"हो गया आपका। वैल थैंक्स मुझे यह बताने के लिए की आप क्या क्या सोचते हो। आई एम सॉरी की मेरी मॉम आपकी परेशानियों और मेरा आपकी जिंदगी में होने का कारण है। और अब मेरे पास इसका जवाब भी है, अब मैं आपको कभी भी उनसे मिलने के लिए नही बोलूंगी। मुझे लगा था की अब आप उन्हे भी अपनी फैमिली समझने लगे ही। पर मैं गलत थी। मैं बस इतना ही कहूंगी, की मैं भी आपसे बहुत गुस्सा हूं। मैं आपके भाई से भी गुस्सा हो सकती हूं जो आप के पीछे छुपा रहा और मेरी बहन को सपोर्ट नही किया। यह सब अवॉइड किया जा सकता अगर वोह शादी के लिए मना नहीं करते वोह भी आपकी वजह से। पर मैने उन्हे कभी कुछ नही कहा, मुझे कभी उनकी गलती लगी ही नहीं। उन्होंने जो भी किया सिर्फ अपने प्यार के लिए किया, आपके लिए किया। और जब आप कुछ करते हो अपने चाहने वालों के लिए, आप विक्टिम नही बन सकते, जैसा आप अभी कर रहे हो। मैं भी इस शादी से खुश नहीं हूं, एक ऐसे इंसान के साथ जो मुझे एक बोझ से ज्यादा कुछ नही समझता है। पर फिर भी मैं किसी को ब्लेम नही कर सकती, क्योंकि यह लाइफ मैने खुद चुनी थी। मैने अपनी मर्जी से आपसे शादी की है। किसी ने मुझे फोर्स नही किया। तोह मुझे नही लगता की यह सही होगा की मैं अपना गुस्सा उन पर निकालू। अगर मैं आपसे नफरत भी करती होती ना तो भी मैं वैसे बिहेव नही करती आपकी फैमिली के साथ जैसा आप करते हैं। मैं सबसे कह दूंगी की आपकी एक बहुत इंपोर्टेंट मीटिंग है और इसलिए आप नही आ सकते।" अमायरा कबीर को गिल्ट में छोड़ गई और रूम से बाहर चली गई।
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"मैं जानता हूं की तुमने कहा था की मैं गलत हूं।"
"पर मैं क्या करूं। वोह लड़की तुम्हारी जगह लेने की कोशिश कर रही है। और मैं उसे ऐसा करने नही दे सकता। हां, मैं गलत हूं। पर मैं सही कर रहा हूं। क्या उसकी मॉम इन सब झमेलों की जिम्मेदार नहीं है?"
"ठीक है। मैं मानता हूं की इशान भी जिम्मेदार है। उसने मुझे हेल्पलेस कर दिया था और उससे शादी करने पर मजबूर कर दिया था। पर वोही जिम्मेदार हैं इन सब के पीछे।"
"ओके। ओके। तुम मेरा सपोर्ट बिलकुल नही करोगी। तुमने कभी मेरा सपोर्ट नही किया जब मैं गलत होता हूं तोह। पर तुम्हे पता है, की मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं। मैं सिर्फ तुम्हारे साथ रहना चाहता हूं, सिर्फ तुम्हारे। और जब मैं उसे देखते हूं मेरे कमरे में, उसी बैड पर सोते हुए, जिस हवा में मैं सांस ले रहा हूं उसी हवा में वोह भी सांस ले रही है, मुझे बहुत गुस्सा आता है। उसे यहां कभी भी नही होना चाहिए था। क्यों वोह मेरी जिंदगी में आई और तुम्हारी जगह ले ली? क्यों? मैं उसे इतनी आसानी से ऐसा करने नही दूंगा। मैं उसे तुम्हारी जगह कभी भी नही दूंगा।"
"अब तुम ही मुझे क्यों नही बताती की मुझे क्या करना चाहिए? मैं जानता हूं की इसमें उसकी कोई गलती नही है। इन फैक्ट वोह तोह बहुत बहादुर है। मेरे पास तुम हो। उसके पास कोई नही है, और तब भी, उसने मुझसे शादी करने के लिए हां की, यह जानते हुए की मैं उससे कभी प्यार नही करूंगा। पर वोह मुझे नही पिघला सकती अपनी यह दुख भरी कहानी से। मैने उसे फोर्स नही किया। उसने खुद जानबूझ कर यह किया है अपनी बहन के लिए।"
"मॉम को लगता है की उसकी वजह से मैं मुस्कुराता हूं। यह सच नहीं है। मैं कैसे हस सकता हूं जिस तरह से तुम मुझे हस्ती थी? मॉम बस उसपर तरस खाती हैं। पर हां वोह सबका घर में ख्याल बहुत अच्छे से रखती है। मुझे लगा था की वोह एक इमेच्योर छोटी से लड़की है, लेकिन वोह तोह बहुत समझदार है। पर तुम क्यों चाहती हो की मैं उसके बारे में बात करूं।"
"ठीक है। मैं जा रहा हूं। तुम हमेशा ही मुझसे वोह काम करवाती हो जो मैं नही करना चाहता। डेट्स नॉट फेयर। बाय। आई लव यू महिमा!"
कबीर ने अपने साथ लाए हुए गुलाब के फूलों के गुलदस्ते को वहीं महिमा की कब्र पर रख दिया। हमेशा की तरह भरी और दुखी मन से कबीर उठ खड़ा हुआ। कबीर बहुत मुश्किल से अपने आप को रोने से रोके हुए था। फिर भी एक धारा तोह उसकी आंख से बह ही गई थी। इससे पहले की उसका बांध टूट जाता वोह जल्दी से वहां निकल गया।
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"तुम लोगों के साथ कबीर क्यों नही आया?" नमिता जी ने इशिता से पूछा।
"उनकी कोई इंपोर्टेंट मीटिंग थी।"
"पर उसे इस रस्म के लिए आना चाहिए था। यह अच्छी बात नही है की उसने अमायरा को यहां अकेले भेज दिया।"
"पर मैं तोह हूं यहां आंटी। आपका सबसे बड़ा जमाई। क्या आप इससे खुश नही हैं? इशान ने मज़ाक करते हुए पूछा।
"बिलकुल, मैं बहुत खुश हूं। पर मुझे और भी ज्यादा खुशी होती अगर वोह भी यहां होता। और यह अमायरा, इतनी देर से अपने आपको किचन में क्यों घुसाए हुए है, जबकि मैने कहा था की मैं खाना बना लूंगी। यह लड़की कभी मेरी नही सुनती। यह मुझे किचन में घुसने तक नही दे रही," नमिता जी ने अपनी बेटी की तरफ मीठी डांट लगाते हुए कहा।
"उसे खाना बनाना अच्छा लगता है, मॉम। मुझे नही पता की क्या मजा आता है उसे। थैंक गॉड, मैने कभी खाना बनाना नही सीखा।" इशिता ने हस्ते हुए कहा।
"क्योंकि मैं हूं ना, जिंदगी भर के लिए तुम्हारा कुक।" इशान के बोलते ही इशिता शर्माने लगी। तभी उनके घर की डोरबैल बज गई। नमिता जी ने दरवाज़ा खोला और सामने खड़े इंसान को देख कर दंग रह गई।
"कबीर!"
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