"में देख सकता हूं।"
देव मुस्कुरा दिया। "क्या?" देव ने अपने बड़े भाई अभय सिंघम से पूछा जो उसी के सामने डाइनिंग चेयर पर बैठा हुआ था।
"यही सेम एक्सप्रेशन कभी मेरे हुआ करते थे जब मुझे मेरी पत्नी से प्यार होने लगा था।" अभय ने जवाब दिया।
फिर अपनी भौंहे सिकोड़ते हुए कहा, "शायद यह एक्सप्रेशन मेरे चेहरे पर नही दिखते हो लेकिन मैं अंदर से ऐसा ही महसूस करता था।"
देव हंसने लगा। "वैल! आई होप की वोह इससे कन्विंस हो जाए जिसे मैं आज प्रोपोज करने वाला हूं। जिसके साथ मैं अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहता हूं।"
अभय मुस्कुरा दिया। "क्या तुम चाहते हो की मैं और अनिका चले तुम्हारे साथ नीलांबरी प्रजापति से बात करने?"
"नही। सबको बताने से पहले मुझे सबिता से बात करनी। ऐसा समझ लो जो मेरी लिटिल ड्रैगन है पहले उसे संभालना होगा।"
अभय उसे हैरान नज़रों से देख रहा था। "कैसा लग रहा है तुम्हे किसी के पीछे भागते हुए? यूजुअली तोह लड़कियां तुम्हारे पीछे भागती रहती थी।"
देव फिर से ज़ोर से हंस दिया। "मेरे लिए तोह जिंदगी और भी इंटरेस्टिंग हो गई है और एक्साइटिंग भी।"
देव को तोह पता था की वोह सबिता से प्यार करता है। और उसने अपनी बढ़ती हुई चाहत को कभी रोकने की कोशिश भी नही की थी। जब भी वोह सबिता से मिलता था, उसके साथ होता था, उसके करीब होता था, पता नही लेकिन वोह अपने आप उसमे खोता चला गया।
पहली बार उसे ऐसा लग रहा था की वोह किसी और का है वोह बिना किसी के षड्यंत्र रचे हुए। उसे ऐसा लगता था की जब वोह दोनो साथ होंगे.....तोह मिलकर हर मुश्किल हर परेशानी को हंस कर हल कर लेंगे। उसके लिए तो एक करिश्में जैसा था की सबसे गुस्सेदार और खतरनाक औरत ने ही देव के अंदर के शैतान को शांत किया था। उसके साथ वोह शांत महसूस करता था और वोही रहता था जो वोह असल में है। और उसके साथ उसे ऐसा लगता था जैसे यही उसका घर है जहां इंसान अपनी दिन भर की थकान अपने परिवार का मुस्कुरात चेहरा देख कर दूर कर लेता है। क्योंकि उसने बहुत कम उम्र में ही अपने परिवार अपने कई रिश्तेदारों को खो दिया था इसलिए उसे लगता था की कोई भी उसके साथ जिंदगी भर नही है। इसलिए वोह हमेशा आज में जीने में यकीन रखता था। वोह जान गया था की अब उसे उसकी आगे की जिंदगी सिर्फ सिर्फ सबिता के साथ ही बितानी है।
वोह यह भी जानता था की सबिता उसके मन की बात बखूबी जानती है की वोह उससे बहुत प्यार करता है और उसके साथ रहना चाहता है। और अगर नही भी जानती है तोह वोह तब तक उसे बताता रहेगा जब तक सबिता को यकीन नही हो जाता। वोह चाहता था की सबिता उसे पूरे मन से मान ले बिना अपने मन कोई भी शक लिए की देव उसे सच में प्यार करता है भी की नही।
वोह बस यही उम्मीद कर रहा था की सबिता उसे ज्यादा इंतजार ना कराए क्योंकि अब देव सब्र नहीं कर पायेगा अपनी नई जिंदगी उसके साथ शुरू करने में। और ना ही अब उससे इंतजार होगा सारी दुनिया को उसके और अपने रिश्ते के बारे में बताने का।
"अनिका कहां है? मैने उसे नाश्ते के लिए आते नही देखा। वोह ठीक तोह है?" देव ने पूछा।
"वोह ठीक है। बस आराम कर रही है। सुबह के समय अब वोह देर से उठने लगी है।" अभय ने जवाब दिया।
अनिका की प्रेगनेंसी भी अब दिखने लगी थी। देव ने नोटिस किया था की कितनी चमक आ गई है उसके चेहरे पर और कितनी खुश रहने लगी है अनिका, जबकि आज कल वोह जल्दी थक जाने लगी थी।
यह सब याद करते ही देव के दिमाग में सबिता का खयाल आ गया। वोह सोचने लगा की सबिता जब प्रेगनेंट होगी तोह कैसी लगेगी। यह सोच के ही वोह और एक्साइटेड हो गया। वोह मन ही मन मुस्कुराने लगा की यह सोच के की कितना मुश्किल होगा सबिता को उसके चाकू और गन को ध्यान से चलाने में टोकने के लिए क्योंकि वोह प्रेगनेंट है। और उसे तोह वोह जरूर शूट कर देगी जब उसे पता चलेगा की देव को उससे कितने बच्चे की प्लानिंग कर रहा है।
देव अपनी सोच में ही गुदगुदी सी महसूस करने लगा, वोह मन ही मन खुशी के मारे उछलने कूदने लगा। वोह तोह सिंघम एस्टेट में ही एक जमीन ढूंढने लग गया था जहां वोह और सबिता अपना प्यारा सा घर बनाएंगे। सिर्फ घर ही नही बल्कि वोह जगह जहां वोह दोनो अपना भवैष्य लिखेंगे। उसने सोच लिया था की कैसे वोह दोनो मिलकर प्रजापति मेंशन से लेकर उसके सिटी तक का सारा काम संभाल लेंगे। उसने कुछ एस्टेट एजेंट से भी बात कर ली थी जो उसे अगले हफ्ते नई जमीन दिखाने वाले हैं।
देव ने अपना बाकी का बचा नाश्ता जल्दी जल्दी किया। "ठीक है फिर। बाद में मिलते हैं बिग ब्रदर। विश मी लक!"
अभय अपने छोटे भाई की हड़बड़ाहट देख कर मुस्कुराने लगा। "गुड लक!"
देव अपनी गाड़ी में बैठा और कॉटेज के लिए निकल गया जहां उसने आज सुबह सबिता को मिलने के लिए बुलाया था। वहां पहुंच कर उसने देखा की सबिता की गाड़ी कॉटेज के सामने नही खड़ी है। इसका मतलब वोह अभी तक नही पहुंची।
वोह मंद मंद मुस्कुराने लगा यह सोच कर बीती रात उसने सबिता को कितनी देर तक जगा कर रखा था। अभी बस छह घंटे पहले ही तोह सबिता यहां से गई थी। शायद वोह अभी तक सो रही होगी।
देव उसका कॉटेज में इंतजार करने लगा।
एक घंटे बाद, उसने फिर सबिता को मेसेज किया यह पूछने के लिए की वोह जाग गई है की नही और कल की देरी की वजह से ही तोह वोह लेट हो रही है क्या?
पर कोई जवाब नही आया।
सबिता ऐसी बिलकुल भी नहीं है क्योंकि वोह हमेशा ही वक्त पर पहुंचती थी। और अगर कभी लेट भी हो जाती थी तोह वोह मैसेज करके बता देती थी या कॉल करके बता देती थी की वोह लेट हो जायेगी।
देव ने एक घंटा और इंतजार किया। जब वोह नही आई और ना ही उसका कोई कॉल या मैसेज आया तोह देव अपनी गाड़ी में बैठा और प्रजापति मेंशन की तरफ निकल गया। जैसे ही वोह वहां पहुंचा उसकी नज़र सबसे पहले उन गार्ड्स पर पड़ी जो दरवाज़े के बाहर खड़े इंतजार कर रहे थे। उन सबके चेहरे कुछ गंभीर दिख रहे थे। वैसे तोह ऐसे भाव हमेशा ही उनके रहते थे लेकिन आज कुछ अलग था जो देव को खटक गया। चिंता जताते हुए देव ने उनसे पूछा, "क्या सबिता ठीक है?"
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(सॉरी छोटा पार्ट के लिए नेक्स्ट टाइम बड़े पार्ट की पूरी कोशिश करूंगी। वैसे कहानी में अब नया ट्विस्ट आने वाला है😉)
(पढ़ने के लिए धन्यवाद)
🙏