अध्याय 19
उसी समय -
एस .पी. के सामने डी. एस. पी. खड़े होकर सेल्यूट किया।
"यस..."
"सर... उस ट्रक को ट्रेस कर लिया...."
एस .पी. खुश हुए।
"हाउ...?"
"धर्मानी उराची की जगह जितने लोग ट्रक लेकर आते हैं वे ड्राइवर -- खाना खाने के लिए कल्याणी सिंघम सरदार जी के पंजाबी मेस का एक होटल है साहब.... 24 घंटे खुला रहने वाला मेस है वह। सड़क के किनारे मूंझ की चारपायां पड़ी रहती हैं उस पर बैठकर ड्राइवरों को खाना खाने की आदत है। उस तरफ से आने वाला कोई भी ट्रक यहां खड़े हुए बिना नहीं जाता। खासतौर पर रात के 11:00 बजे कहां-कहां हॉल्ट हुआ वे सब मिलकर बातें करते हैं । अतः मैं वहां जाकर किस-किस का वहां हाल्ट हुआ मैंने मालूम किया। कल रात 10:30 बजे से 12:00 बजे तक यहां आने वाले तीन ट्रक थे। उसमें भी दो पंजाबी ट्रक थे.... एक लोकल। वह लोकल ट्रक मेस पर खड़े हुए बिना ही गया। कल्याण सिंघम को उस लारी ड्राइवर को अच्छी तरह जानता था।
"इस इट....?"
"यस.... उस ड्राइवर का नाम धनराज हैं उसी ने अपना स्वयं का एक पुराना ट्रक खरीद कर स्वयं ही ओनर बन गया | वहां एक सुनसान जगह पर पुरानी इमारत को गोडाउन बना रखा है और लोकल ट्रांसपोर्ट करता है.... उस आदमी का चाल चलन ठीक नहीं है सरदार जी ने कहा..."
"गोडाउन कहां है पूछा ?"
"पूछ लिया सर... मैं सब तैयारी के साथ रवाना हो रहा हूं...."
"जाकर पहले उस आदमी को दबोचो।"
डी. एस. पी. दोबारा सेल्यूट करके जल्दी से कमरे से बाहर आए।