Yaha.. Waha.. Kaha.. - 8 in Hindi Fiction Stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | यहां... वहाँ... कहाँ ? - 8

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यहां... वहाँ... कहाँ ? - 8

अध्याय 8

                    
मोर्चरी के पास वाले कमरे में, गुस्से वाले चेहरे के साथ वाले आदिमूलम बैठे थे उनके पास वह गया। उनकी पत्नी का भाई ननछुट्टन मोटे पेट आयु 40 के करीब होगी उसने 'मच्चान' (साला) संकोच के साथ बुलाया।

"हां....!"-आदिमूलम की निगाहें एक ही दिशा में थी।

"गोकुलन की बाड़ी बहुत ही टुकड़े-टुकड़े में होने के कारण.…….. उसे सफाई से पैक करने में एक घंटा लग जाएगा...... आप घर रवाना हो जाइए!" ननछुट्टन बोलते ही..... आदिमूलम दीर्घश्वास छोड़ते हुए सीधे हुए।

"बाड़ी के बाहर आने तक मैं नहीं हिलूंगा। तुम्हारी दीदी कैसी है? कॉन्शियस में आ गई क्या?"

"नहीं...... अभी तक वही कंडीशन है। ट्रीटमेंट चल रहा है.....!"

नेनछुट्टन .....! आज एक ही दिन में मेरा जीवन है ऊपर नीचे हो गया। इन सब का कारण एक लड़की है। वह कौन है मालूम करके....."

"जीजा जी....!-धीमी आवाज में ननछुट्टन  बोला।

"क्या?"

"असिस्टेंट कमिश्नर के साथ.... क्राइम ब्रांच ऑफिसर भी आए हैं। कमिश्नर ने बताया होगा ऐसा लगता है!"

"आने दो!"-आदिमूलम बोलकर.... माथे को पकड़कर कहीं देखते हुए.....

विवेक, विष्णु, संतोष -तीनों उनके सामने आकर खड़े हुए।

ननछुट्टन वहां जो कुर्सियां थी उसे उठा कर डाला..... तीनों उस पर बैठ गए।

विवेक कुछ क्षण मौन रहा फिर बात शुरू की।

"दिस इज वेरी अनफोरचूनेट सर ! इस स्थिति में मैं आपको मेरा सांत्वना बोलना भी सिर्फ एक संप्रदाय निभाना ही होगा। परंतु हमें बात करनी पड़ेगी..."

आदिमूलम सीधे हुए।

"मिस्टर विवेक! आप एक क्राइम ब्रांच ऑफिसर हो। मैं पक्का ही कह सकता हूं आप मुझे आश्वासन देने नहीं आए हो ऐसा सोचता हूं........ आप सीधे तरीके से बात पर आइए....!

"यह आ गया...! साहब आपके बेटे ने लिखें आत्महत्या के पत्र को ए.सी. ने अभी कुछ देर पहले ही मुझे दिया। मैंने उसे पढ़ कर देखा। आपने उसे पढ़ कर देखा क्या?"

"हां.... देखा।"

"उस पत्र को आपने पूरा नहीं पढ़ा होगा ऐसा सोचता हूं......."

"दो बार पढ़ कर देखा?"

"ऐसा है तो आपने उस लेटर के अर्थ को ही समझे नहीं ऐसा लगता है।"

आदिमूलम की आंखों में गुस्से से खून खोलने लगा।

"क्या नहीं समझ में आया....?

"आपका सन गोकुलन ..... उसने जिससे प्रेम किया उसका नाम, उसके बारे में कोई भी विवरण नहीं दिया। क्योंकि..... उस लड़की की जिंदगी खराब नहीं होनी चाहिए उन्होंने सोचा। उनके इच्छा के विरोध में हमें काम करना चाहिए?"

"उसके ऐसा बोल कर जाने पर भी...... मैं इस विषय को नहीं छोडूंगा।"

"उस लड़की को आप क्या करेंगे?"

"....."आदि मूलम मौन रहे।

"कहिए.... क्या करने वाले हैं?"

"वह आए तो.. आकर......"

"उस लड़की को शांति से जीने नहीं दोगे क्या। ऐसा ही है ना?"

"ऐसा ही है!"

"ठीक है.....! हो सकता है उस लड़की ने कोई गलती नहीं की हो....?"

"वह कैसे? मेरे लड़के ने इसे डिटेल में लिखा है मरने के पहले?"

"उसके ऐसा लिख कर रखना झूठ क्यों नहीं हो सकता?"

"झूठ ?"

"हां... वह एक अनुमान है......"

"वह झूठी चिट्ठी क्यों लिख कर रखता ? उसने एक लड़की से प्रेम किया। उसने उसको धोखा दिया होगा। गोकुलन आत्महत्या करने के लिए इसके अलावा दूसरा और कोई कारण नहीं हो सकता।"

"सॉरी सर! आपको जो मालूम है वह रियल एस्टेट बिजनेस सिर्फ..... सिर्फ उसी में आपने ध्यान लगाया। आपका बेटा गोकुलन का आपने ऑब्जरवेशन नहीं किया। उसमें आपकी चूक कोई हुई है..... उसने आत्महत्या किया यह सच है। पर आत्महत्या करने का जो कारण बताया वह झूठ है!"

आदिमूलम सकपकाए।

"और क्या कारण होगा आप सोचते हैं?"

"वह कारण क्या है मालूम नहीं। आपके बेटे के आत्महत्या की बात मालूम होते ही उसी क्षण मेरे मन के अंदर एक सकपकाहट हुई।"

"क्या सकपकाहट हुई?"

"आपके बेटे से आत्महत्या करने की जगह!"

"उसमें क्या बात है?"

इचंपाकम जो है...... आधा अधूरा बना हुआ एक अपार्टमेंट्स के सातवीं मंजिल के छत पर जाकर आत्महत्या करते हैं। इस जगह को विशेष रुप से ढूंढ निकालने क्या कारण है?"

विवेक के पूछने से.... वे चिड़चिड़ा गए।

"यह कौन सा प्रश्न है ? स्वयं आत्महत्या करने के लिए कहीं कोई भी उसे बचा ना लें इस उद्देश्य से एक अलग तरफ बनी हुई उस अपार्टमेंट में गया होगा।"

"ऊपर से देखो तो आप का कारण को मान सकते हैं। परंतु...."बोलने लगे विवेक को हाथ दिखाकर आदिमूलम ने रोका।

"अब आप क्या कहना चाह रहे हैं?"

"आपके बेटे थे आत्महत्या के पीछे एक विपरीत बात छुपी हुई झांक रही है...... वह क्या है उसे ढूंढने में..... मुझे 2 दिन लगेगा। इन 2 दिन में आपके बेटे के कार्यक्रमों को खत्म कर बाकी बातों को बाद में बात कर लेंगे....।"

"इसका मतलब मेरे बेटे गोकुलन के आत्महत्या कर के मरने के पीछे एक लड़की का हाथ नहीं है बोल रहे हैं क्या?"

"बिल्कुल नहीं....."

"लेटर में मेरे लड़के ने प्रेम में असफलता साफ-साफ लिखा है ना?"

"वह झूठ है!"

"आप कैसे झूठ कह कर रहे हो?"

"वह झूठ है उसको साबित करने के लिए... मुझे 2 दिन का समय चाहिए...." विवेक कहकर कुर्सी को पीछे धकेल कर उठ गया।

ए .सी. के साथ विष्णु विवेक बाहर निकले तब तक रुके रहे नेनछुट्टन आवाज को धीमी कर आदिमूलम की ओर झुका।

"क्या है जीजा! ऐसा बोलकर जा रहे हैं?"

"बोले तो.... बोलने दो। गोकुलन के अस्थियों का विसर्जन के पहले...... वह लड़की कौन है मालूम करना पड़ेगा। दसवीं दिन कार्यक्रम होते ही उसकी कहानी भी खत्म हो जाना चाहिए। पहले उसको ढूंढ के मालूम कर!"

"उसके लिए तो मैंने पहले ही बंदोबस्त कर दिया है ना जीजा जी..... अपने आदमी गोकुलन के फ्रेंड्स लोगों से पूछताछ कर रहे हैं! कैसे भी हो कल तक वह लड़की कौन हैं पता चल जाएगा...... अगले 10 दिन के अंदर बिना आवाज के वह काम हो जाएगा.....!"

"बोले मत...... कर!"