अध्याय 7
विवेक और विष्णु जी. एच. एच. की तरफ चेन्नई नगर को जाने वाली सकरी जगह को छोड़कर आगे कार से जा रहे थे।
विष्णु को थकावट लगी। "यह क्या है बॉस?"
"क्या?"
"नासा वैज्ञानिक को आने के बारे में और उनके लिए सुरक्षा के बारे में कमिश्नर ने जो उसके लिए एक ग्रुप का शेप दिया है और पूरी बात ना करके कर अजीब सी स्थिति में...... गोकुलन आत्महत्या के केस को हमारे सिर पर लाद दिया। इन सब कामों को वहां के पुलिस इंस्पेक्टर नहीं देख लेते क्या?"
विवेक कार के स्टेरिंग को एक हाथ में पकड़ते हुए विष्णु को देख कर मुस्कुराए। फिर कोई बात किए बिना सड़क को ध्यान से देखने लगे।
"मुस्कान का क्या अर्थ है बॉस?"
"कमिश्नर को डर लग रहा है मतलब है!"
"कमिश्नर को डर?"
"हां! रियल स्टेट ओनर बड़े-बड़े लोगों से उनके जान पहचान हैं समाज में रुतबा है। राजनीति में भी दखल रखते हैं। आज उपेंद्र कमिश्नर इस पोस्टिंग में है इसका कारण ही आदिमूलम ही है। उनको कोई परेशानी हो तो कमिश्नर देखकर चुप रहेंगे क्या?
"बॉस! गोकुलन प्रेम के कारण आत्महत्या करके मर गया। लेटर भी लिख कर रखा है। यह एक आत्महत्या का केस है। इसमें क्या समस्या आने वाली है? केले के छिलके को उतारना जैसे ही केस है!"
"उनका व्यवहार है विष्णु! गोकुलन ने जिस लड़की से प्रेम किया वह कौन हैं यह आदिमूलम पुलिस वालों कमिश्नर को आदेश दे रहा है उसका अप्पा। उसको उनके सामने लाकर खड़ा करने का काम करने का कंडीशन दिया है। इस वजह से कोई परेशानी न आए इसलिए कमिश्नर डर रहे हैं।"
"तुम्हें और मुझे इस केस में इंवॉल्व करने के कारण आने वाली समस्या को दूसरों पर डाल सकेंगे ऐसा कमिश्नर सोच रहे हैं।"
"हम समस्या को दूसरों पर डाल सकेंगे क्या बॉस?"
"हमें पहले आदिमूलम को देखकर बात करना है....."
"बॉस! कमिश्नर से बात करते समय ही आपने कुछ विपरीत है ऐसा बोला था। क्या विपरीत है? उसका एक ट्रेलर बताओ ना...."
"अभी तो कुआं खोदना ही शुरू किया है। इसके बाद ही तो भूत आएगा।"
"कैसे बॉस? वह गोकुलन कौन है यह भी नहीं पता। वह आदिमूलम का लड़का है एक वही विषय, प्रेम में हार कर आत्महत्या कर लिया इसी को रखें आपने तो एक पिक्चर बना दी..... नासा वैज्ञानिकों के आने तक इसमें ही अपना समय व्यतीत हो जाएगा..... ठीक है बॉस?"
"बिल्कुल ठीक"-विवेक के कहते ही.... मोबाइल फोन बजा। उन्होंने देखा कौन है।
"रूपल कॉलिंग!" विवेक कार को चलाते हुए ही बात करने लगा।
"क्या बात है रूबी ?"
"........"
"हां !"
"....'
"हां"
"...."
"हां!"
"......."
"हां !"
"....."
"ठीक !"
"......."
"ठीक !"
"....."
"तुम जो बोल रहें हो वही सही है!"
"........"
"ओ. के. !" बात करके सेल फोन को विवेक ने बंद कर दिया।
विष्णु ने पूछा।
"क्या है बॉस! मैडम ने बात किया है लगता है?"
"हां....."
"क्या बात है मालूम कर सकता हूं?"
"मेरे बात करते समय तुम भी तो सुन रहे थे......!"
"सुन रहा था बॉस! पर विषय क्या है समझ में नहीं आया?"
"क्या... समझ में नहीं आया?.... क्यों भाई.... मैंने कितने डिटेल में विस्तार से बात कर रहा था। समझ में नहीं आया बोल रहा है?"
"नहीं चाहिए बॉस! पहले से ही दिल टूटा हुआ है परेशान हूं। मैडम से 4 बार 'हां', तीन बार 'ठीक', एक बार 'ओ .के.' बोला। इसमें मैं क्या समझ सकता हूं आप सोच रहे हैं?
"तुम्हारे में कमी है....."
"किसकी की कमी है?"
"एक विषय को सुनते समय उसे ग्रहण करने की शक्ति की कमी है..... विलियम वर्ड्सवर्थ पोएट्री जीनस किताब को पढ़ो!"
"पढ़ो तो.....?"
"छोटे-छोटे शब्दों के अंदर कितनी बड़ी-बड़ी बातें गडी हुई होती है मालूम हो जाएगा।"
"अरे जाओ बॉस ! मैं इसी मिनट से मौन व्रत धारण कर लेता हूं। आप इस केस को डील करो। मैं पास खड़ा होकर तमाशा देख लूंगा। आपके पास रहने से..... मैं हमेशा से ही जीरो ही हूं?"
"अभी बोला ना..... वही उत्तम है!"
कार जी. एच. के अंदर गई। पार्किंग एरिया में खड़ा कर दोनों ने चलना शुरू किया।
थोड़ी देर चलने के बाद..... विष्णु, "अरे....!" बोला।
"क्या हुआ विष्णु?"
"यहां से नर्स के क्वार्टर पास ही है वह चला गया दिखता है?"
"तू तो मौन व्रत में था ना?"
"बहुत जरूरी मुख्य बात के लिए मुंह खोलूंगा बॉस!"-बोलकर... अपने से आगे चली गई नर्स को देखकर, "छोटी उम्र की है के.आर. विजया के समान दिख रही है.... सामने जो दो दांत है उसे थोड़ा घिसवाना पड़ेगा....!"बोला।
"अबे वह नर्स ना सुन ले..."
"वह सुन ले इसीलिए तो बोला बॉस!
जो मुझसे हुआ वह फ्री काउंसलिंग.... सभी लड़कियां सुंदर होना चाहिए यही मेरी इच्छा है।
"मंगलूर में रहे उस स्वामी जी के मठ में जाकर आने के बाद में मुझे में एक परिवर्तन है। इसी में स्वार्थ की ना चाहकर सभी के लिए होना चाहिए ऐसा मैं चाहता हूं बॉस। जिसको देखता हूं उनको क्या कष्ट है मालूम कर दौड़ कर मदद करने का एक उत्साह है......!
"वह उत्साह सुंदर लड़कियों को देखने से.... थोड़ा बढ़ जाता होगा?"
"उसके लिए बेचारा विष्णु क्या करेगा बॉस? दया भाव का तो उसका जन्म का साथ है...."
वे लोग मोर्चरी जाने के पगडंडी में चलते.... सामने असिस्टेंट कमिश्नर संतोष दिखाई दिए। उन्होंने हाथ मिलाया।
"हेलो मिस्टर विवेक....! कमिश्नर मुझे फोन करके आप जी .एच.के लिए आ रहे हो बताया।"
"गोकुलन का पी.एम. खत्म हो गया?"
"हो गया.... बट रिपोर्ट अभी हाथ में नहीं आई। एक तरह से डॉक्टर ने बता दिया।"
"क्या बताया?"
"आत्महत्या ही है....! एक हत्या की कोई संभावना नहीं है। परंतु आदिमूलम के हिसाब से एक हत्या है। अपने बेटे को एक लड़की ने प्रेम कर धोखा दिया.... उसको आत्महत्या करने को मजबूर किया वे इसे हजम नहीं कर पा रहे....."
"उस लड़की को दंड मिलना चाहिए वे सोचते हैं?
"वही उनकी मंशा है मैं सोचता हूं। लड़के के दसवें दिन के काम खत्म होने के पहले ही उसे ढूंढ कर उनके सामने खड़ा करना है सोचते हैं। मुझे क्या करना चाहिए समझ में नहीं आ रहा। मैंने पूछताछ करके देख लिया। गोकुलन एक लड़की को प्रेम करता है यह किसी को भी नहीं पता...."
"आदिमूलन को मुझे मिलना है। उनसे बात करनी है!"
"मिस्टर विवेक...! आदिमूलम अभी अपने बेटे के मरने के दुख में ही नहीं गुस्से में भी हैं। मैं उन्हें कन्वींस करने की कोशिश की पर हार गया। वे अभी किसी से बात करने की स्थिति में नहीं है....."
विवेक धीरे से मुस्कुराया।
"मैं उन्हें कन्वींस नहीं करने वाला हूं......"
"फिर?"
"मैं उनसे सिर्फ एक प्रश्न पूछने वाला हूं!"