अध्याय 5
असिस्टेंट कमिश्नर संतोष इंचंबाकम पहुंचकर अधूरे बने वामन अपार्टमेंट के सामने जीप को लाकर खड़ा किया 10:15 बजे।
खून और मांस जमकर वहां गोकुलम के शरीर को देखने एक भीड़ जमा थी.... वह बीट इंस्पेक्टर को परशुरामन दौड़ कर कर सैल्यूट किया।
"सर !"
"आदमी कौन है परशुरामन ?"
"थोड़ी देर पहले कंफर्म हुआ साहब ! सेल फोन नंबर को देखकर सब डिटेल्स कलेक्ट कर लिया। लड़के का नाम गोकुलम साहब! बहुत बड़े घर का लड़का है।"
असिस्टेंट कमिश्नर अपने भौंहौ को ऊपर किया ।
"बड़ा घर मतलब....?"
"रियल एस्टेट बिजनेस करते हुए झंडा गाड़ रहे आदिमूलम का लड़का है साहब !"
इंस्पेक्टर का शरीर बिजली का शॉक लगे जैसे सीधे हुए। "क्या.... आदिमूलम का लड़का ?"
"हां साहब !"
"उनको खबर कर दी ?"
"दे दिया साहब ! अभी आ रहे होंगे.... बेचारे साहब! आदिमूलम का यह इकलौता लड़का है। किसी एक लड़की से लव किया था। लव फेल हो गया। ऐसा एक फैसला ले लिया।"
"कौन है वह लड़की ?"
"पता नहीं चला सर ! उस लड़की के बारे में कोई भी विवरण नहीं है। परंतु उसकी आज शादी है। 9:00 बजे से 9:30 बजे के बीच का मुहूर्त है। अभी तक तो शादी हो गई होगी..."
"उस पत्र को दीजिए !"
इंस्पेक्टर उस संभाल के रखें पत्र को निकाल कर दिया।
"खून के दाग लगे हुए पत्र को खोलकर... इंस्पेक्टर धैर्य पूर्वक उसे पढ़कर अपने माथे को पकड़ लिया।
"आजकल के लड़कों की बुद्धि क्यों ऐसी हो जाती है ? प्रेम ही सब कुछ है ऐसा क्यों सोचते हैं..... मरने के पहले अप्पा, अम्मा के बारे में नहीं सोचते..... बॉडी को देखो किस कंडीशन में है ?"
"सातवीं मंजिल से गिरा है साहब ! हाथ पैर सब टूटे.... सिर दो टुकड़ों में विभाजित हो गया...."
"इसको बटोर के ही ले जाना पड़ेगा बोले !"
"हां... सर !"
असिस्टेंट कमिश्नर अपने टोपी को उतारकर बगल में दबाकर भीड़ की तरफ गए।
भीड़ एक तरफ सरकी, उन्हें गोकुलन दिखाई दिया।
आघात लगा एक क्षण उन्होंने आंखों को बंद कर फिर खोला।
'कितना कुरूप घिनौना मृत्यु है !'
"परशुराम....!"
"साहब...."
"इस भीड़ को भगाकर एक कपड़े को लेकर इस पर उड़ा दो। मर्चरी व्हेन को कह दिया क्या ?
"कह दिया साहब ! व्हेन इस ऑन द वे!"
इंस्पेक्टर के कहते समय ए. सी. की निगाहें.... अधूरे बने पूरा नहीं हुए इमारत पर आठवें माले पर गई। "यह इमारत किसकी है?"
"नंबमारवार नामक बिल्डिंग प्रमोटर का है साहब ! कोर्ट में कुछ केस चल रहा है इसलिए यह बिल्डिंग अधूरी खड़ी है।"
"परशुराम !"
"साहब !"
"मीडिया प्रेस पीपुल्स स्पाट पर आ गए क्या ?"
"एक-एक करके आ रहे हैं साहब !"
"मीडिया पर पीपुल्स.... किस विषय को देख डील करेंगे। क्योंकि... एक बहुत बड़े घर का बेटा ने आत्महत्या करके मर गया। लड़के का पिता आदिमूलम आज शहर का नंबर वन रियल स्टेट ओनर है। वे इस विषय को कैसा लेकर डील करेंगे मालूम नहीं...."-ए. सी. बोलते समय ही परशुराम बीच में बोले।
"सर.... आदिमोलम आ गए।"
ए. सी. खुशी से मुड़ कर देखा।
आदिमूलम कार से उतरे। 6 फीट ऊंचे। सफेद दाढ़ी, गंजा सर।
जरा थके से चलकर आ रहे.... उनके पीछे चार पांच जने दिखाई दिए।
ए. सी. आगे आए।
"सॉरी सर ! ऐसी एक परिस्थिति मैं आपसे मिलना पड़ रहा है...…"
आदिमूलम के आंखों में आंसू चमक रहे थे। "आत्महत्या करने लायक गोकुलन कमजोर नहीं है। उसकी क्या समस्या होगी मैं उसके बारे में अंदाज भी नहीं लगा पा रहा....."
"प्रेम में हार साहब ! लेटर में सब कुछ लिखा है आपके सन ने...."
"क्या ! प्रेम में हार ?"
"हां साहब.... लेटर को देखिए !"
लेटर को लेकर आर्य मूल एक तीव्र दृष्टि से.... देखा.... गोकुलन के शव को देख कर आए। उनकी आंखें इस समय ज्यादा ही नम हुई थी। उनके होंठ रोने के लिए बुरी तरह तड़प रहे थे..... ए. सी. को देखा।
"गोकुलन के आत्महत्या करने के समाचार आते ही..... मेरी पत्नी बेहोश हो गई। उसको अस्पताल में एडमिट करा कर मैं स्पॉट पर पहुंचा हूं। इस हालत में बेटे को देखी होती तो वह जान ही छोड़ देती..... अच्छी बात है वह नहीं आई......!"
"सर! आदमियों को डरपोक बनाने वाला यह प्रेम ही है....."
कुछ क्षण मौंन पसरा..... दुख को हजम करते हुए आदिमूलम अपने भीगे हुए आंखों को रुमाल से पौंछते हुए ए. सी. की तरफ बढ़े।
"मेरे बेटे के आत्महत्या के बारे में फॉर्मेलिटीज खत्म होते ही आपको मुझे एक मदद करनी पड़ेगी।"
"क्या करना होगा....? बोलिए साहब!"
"यह लड़की कौन हैं मालूम होना चाहिए !"
"कौन सी लड़की साहब ? पत्र में आपके लड़के ने जिसका मेंशन किया है वह लड़की ?
"हां !"
"उस लड़की की शादी हो गई होगी साहब !"
"हो गई तो क्या....?"
"अपने साहब! अपने आत्महत्या का जिम्मेदार कोई नहीं है आपके बेटे ने साफ-साफ लिख दिया है। अब वह लड़की कौन है पता चले तो कोई फायदा नहीं है....."
"सॉरी मिस्टर ए. सी. ! अपनी आत्महत्या के लिए गोकुलन अपने पत्र में लिखने से भी मेरे हिसाब से मेरे बेटे के हत्या का कारण वह लड़की है। वह कौन है मालूम करेंगे? नहीं तो मैं मालूम करूं?"
"मैं ही मालूम करता हूं साहब !"
"मेरे लड़के के दसवे दिन सब कार्यक्रम खत्म होने के पहले उस लड़की को मेरे सामने होना चाहिए......"
"होगी...... साहब!"