39--व्यापर
वह एक सरकारी अस्पताल में डॉक्टर था।नियम के अनुसार वह प्राइवेट प्रेक्टिस नही कर सकता था।लेकिन उसने अपना निजी क्लिनिक खोल रखा था।
वह रोज अस्पताल एक दो घण्टे लेट पहुंचता और व्यस्तता का ढोंग करके अपने चेम्बर में बैठा मोबाइल पर बाते करता रहता।मरीजो को दूसरे डॉक्टरों के पास टरकाना उसे खूब अच्छी तरह आता था।जिन थोड़े से मरीजो को वह देखता उन्हें बुरी तरह डांटता फटकारता।अगर कोई मरीज गलती से कह देता,"डॉक्टर साहिब अच्छी तरह जांच करके दवा लिख दे"तो वह बुरी तरह उखड़ जाता,"तेरे बाप का नौकर हूँ क्या?"
शाम को अपने क्लिनिक में बैठने पर उसका व्यहार बिल्कुल बदल जाता।वह क्लिनिक में आने वाले मरीजो का मुस्कराकर स्वागत करता।अच्छी तरह जांच करने के बाद दवा लिखता।
हज़ारों करोड़ रु जनता को अच्छी चिकित्सा उपलब्ध कराने के नाम पर सरकार खर्च कर रही है।फिर भी मरीजो की संख्या सरकारी अस्पतालों में निरंतर घट रही है और प्राइवेट अस्पतालों में बढ़ रही है।इसके लिए जिम्मेदार कौन है?
वे डॉक्टर जिन्होंने डॉक्टरी पेशे को व्यापार बना दिया है।
40--वोट की राजनीति
"विधायकजी से मिलना है।"
" कहाँ से आये हो?क्या नाम है?क्या काम है?'
सचिव के पूछने पर मैने अपना नाम,पता और आने का कारण बताया था।सचिव ने विधायक को फोन करके मेरे बारे में बताया था।विधायक ने समय न होने का बहाना करके मिलने से इनकार कर दिया।
"हमारे क्षेत्र के प्रतिनिधि है,मिलेंगे क्यो नही?'सचिब के रोकने के बावजूद मै विधायक के चेम्बर में जा पहुंचा।
"सचिव ने मना कर दिया था फिर अंदर क्यो चले आये?"
"मेरी कालोनी में विधायक निधि से सड़क नाली बन रही है।लेकिन में जिस गली में रहता हूँ उस गली को छोड़ दिया गया है।"
"आप लोग मुझे कहां वोट देते हो।"मेरी बात सुनकर विधायक बोले,"जिसे वोट दिया है।उसके पास जाओ।'
मै संज्ञाशून्य सा खड़ा कभी विधायक कभी उसकी कुर्सी को देखने लगा।
41--निर्णय
"अब तुम राधिका को भूल जाओ और किसी दूसरी लड़की से रिश्ता करने के बारे में सोचो।"
"क्यो?"पिता की बात सुनकर मोहन ने पूछा था।
"सब कुछ देख सुनकर आ रहे हो फिर भी मुझ से पूछ रहे हो?"
राधिका और मोहन प्यार करते थे और उनकी सगाई हो चुकी थी।राधिका एक कॉल सेंटर में काम करती थी।एक रात को वह घर लौट रही थी।तब कुछ गुंडे उसे जबरदस्ती उठा ले गये और उसके साथ---राधिका के साथ गैंगरेप की सूचना मिलते ही मोहन उससे मिलने जा पहुंचा।जब वह राधिका से मिलकर लौटा तब उसके पिता ने कहा था।
"इसमें राधिका की क्या गलती है?"
"गलती चाहे उसकी न हो।पर अब वह तुम्हारी पत्नी और इस खानदान की बहू बनने के काबिल नही रही।"
"यह घटना शादी के बाद भी हो सकती थी,"पिता की बात सुनकर मोहन बोला,"तब क्या वह मेरी पत्नी नही रहती?"
"शादी हो जाती तो बात और होती,लेकिन ऐसा। हुआ नही,"पिता बोले,"अब तुम्हारी भलाई इसी में है ,तुम राधिका को भूलकर किसी दूसरी लड़की से शादी के बारे में सोचो।"
"नही पापा,"मोहन दृढ़ता से बोला,"मै शादी राधिका से ही करूँगा।"
42--पेट
"मुम्बई में बारह रु में आदमी का पेट भर सकता है।"
"दिल्ली में पांच रु में आदमी का पेट भर सकता है।आदमी चाहे तो एक रु में भी अपना पेट भर सकता है।"
आम आदमी के पेट की चिंता करने वाले ये नेता बताएंगे कि उनका पेट कितने रु में भरता है