YOU ARE MINE - 2 in Hindi Love Stories by Nidhi Parmar books and stories PDF | YOU ARE MINE - 2

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YOU ARE MINE - 2

उसे हा कह ने के बाद मुझे थोड़ा डर लगने लगा की ये कुछ कर तो नही देगा और उसने मुझसे पूछा आप कहा रहती हो..? मैंने एक ही स्वास में बोल दिया बंगलो, स्टेडियम रोड और उसने कहा ठीक है ऐसा बोलते ही उसने अपनी गाड़ी शुरू कर दी । मैं जिस गाड़ीमे बैठी थी वो एक स्पोर्ट कार थी। मुझे लगा ये कोई वहा कंपनी में काम करता होंगा इसलिए इतनी महंगी गाड़ी लेकर गुमता है। रात बहुत हो चुकी थी इसलिए में कभी गाड़ीमे सो गए मुझे पताही नही चला । उसने मेरी सोसायटी के सामने अपनी गाड़ी पार्क कर दी थी लेकिन में सो रही थी इसलिए उसने मुझे उठाया ही नही बाद में जब उठी तो पता चला कि वो आधे घंटे से मेरी सोसाइटी के बाहर बैठा रहा । मुझे बुरा लगा तो मैने उसे माफी मांगी और शुक्रिया बोल कर वहा से चली गई।

सप्ताह के आखिर दो दिन के लिए कंपनी से छुट्टी मिली थी तो में मुंबई चली गई अपने मां बाप के पास । मेरे वहा जाने से मेरे मां बाप बहुत ही खुश हो गए थे, हम लोगों ने होटल में खाना खाया , चपाती गुमने के लिए गई और वहा से मेरे मम्मी पापा की हॉस्पिटल में गए । वहा हॉस्पिटल में जब मैं अपनी गाड़ी पार्क कर रही थी तभी मैने उस रात वाली स्पोर्ट कार को वहा पे देखा और सोचने लगी ये यहा क्या कर रहा होंगा...? और में गाड़ी पार्क करके हॉस्पिटल में चली गई । वहा जाके देखा तो वो कोई बूढ़े आदमी के साथ मेरे पापा की केबिन से बाहर निकल ने लगा । उस दिन उसने गहरे हरे रंग की त्शिर्त पहनी थी और जीन्स पहेना हुआ था , वो इस कपड़ों में भी कोई राजकुमार जैसा लग रहा था । मैं उसे टाके ही जा रही थी और वो सामने आके खड़ा हो गया और मुझसे कहने लगा गाड़ी ठीक करवा ली...? मैंने कहा हा करवा दी लेकिन आप यहा कैसे .....मेंरा मतलब की क्या हुआ है ...? और वो बोला ये जान के आप क्या करेंगी ..? मुझे लगा वो मुझे रूआब दिखा रहा है तो मैने भी बोला .. ओए ये हॉस्पिटल मेरे डैड का है इस दिन तुमने मेरी मदद की थी इसलिए पूछा . एसा क्या आपकी महेरानी रहेंगी मुझ पर मुझे नहीं चाहिए आपकी मदद ऐसा कह के वो चला गया ।
उसके इस बर्ताव ने मुझे गुस्सा कर दिया और मैंने सोचा ये लोग बुरेही होते है और बाद में डैड और मोम को मिल के पुणे वापस आ गई और नक्की किया की जो भी हो जाए ऑफिस टाइम पूरा करके घर पे ही आ जाऊंगी वहा पे काम नही करूंगी और में ये सब एक डायरी में लिखके सो गए . में जब भी सवेरे जल्दी उठती थी तो में स्टेडियम से नजदीक एक पार्कमे जोगिंग करने के लिए जाती थी और आज गई तो वहा पे मुझे फिर से वो मिला । हम दोनो सवेरे सवेरे फ्रेश ज्यूस पीने के लिए एक ही टपरी पे गए थे क्योंकि वहा पे एक ही टपरी थी और संजोग ऐसे थी की ज्यूस वाले के पास एक ही ज्यूस था ... उसने बोला उसने पहले कहा था मैंने बोला मैने कहा था... हम दोनो के बीच बड़ी लड़ाई हो , उसने मुझे पागल और कहा अच्छी सूरत नही सीरत होनी चाहिए औरभी बहुत बोला. मैने बोला बड़ी गाड़ी चलाने से आपकी सोच बड़ी नही होती उसके लिए दिमाग होना चाहिए , पागल जानवर , जाओ पहले तमीज शीख के आओ फिर बात करना और वो कुछ भी कहे बिना चला गया और अंत मे उसने भी नही पिया और मेने ने भी नही पिया कोई तीसरा आके पि गया ।

इस घटना के बाद में अपने काम पर लौट गई । जब वहां पे गई तभी मेरे पास कुछ प्रोजेक्ट से जुड़े कुछ ही काम थे और कुछ नही था लेकिन इसके बाद मेरे पास बहुत सारा काम आने लगा सभी रिपोर्ट को बारीकी बारीकी से करने को कहा गया । मुझे कंपनी से इतना सारा काम मिलने के कारण मेरे पास समय की कटौती होने लगी । में पुरा समय फाइल में गुसी रहती थी और मेरे लैपटॉप में , मुझे एक नए इंटर्न की तरह ट्रीट किया जा रहा था । जो मुझे अच्छा नहीं लग रहा था थोड़े दिन ऐसेही चल रहा था और अब तो मुझे मेरे नीचे काम करने वाले लोग भी मुझे मान सम्मान
नही दे रहे थे । ये सब एक बदला चल रहा उस जगड़े का।मुझे सभी लोग कुछ भी भूल हो जाने पर दाटने लगते थे ।

जब एक दिन सारे जो इन्वेस्टर जो थे उनकी मीटिंग हमारी कंपनी में ही थी और उसमे कई सारे लोग आने वाले थे ।
जैसे ही मीटिंग का समय हुआ सभी लोग अंदर जाने लगे अपने अपने मैनेजर और असिस्टेंट के साथ । उस सारी भीड़ की तरफ मेरी नजर ही नहीं थी मैं अपना काम ही कर रही थी लेकिन उसी समय वो भिड़मे से एक आदमी आके बोलता है जिया कैसी हो और मेरे पास आके बैठ गया सारे कंपनी के लोग और वो सारी भीड़ मुडके हम दोनो को ही देख रही थी और गुस्पुस चालू कर दी थी । उसे देखते ही मैं कुछ बोल ही नहीं पा रही थी कुछ बोलना था पर शब्द ही नहीं निकल रहे थे बस मेरे आंखों से आसू आ रहे थे और उसकी आंखे मुझे देख कर भर आई थी । सभी लोग हम दोनो को देख कर हैरान हो रहे थे। तभी वहा से आवाज आई सर मीटिंग का समय हो रहा है ।