“क्या?”, ध्रुव की मदद करने वाली बात सुन कर निया ने पूछा।
“नीतू की फ्रेंड को मदद करने का वादा किया था मैंने।"
“हाँ.. मतलब मुझे सुनाई दिया की तुमने क्या कहा, पर तुमने ऐसा क्यों कहा?”
“क्योंकि इसलिए ही मैंने पहली बारिश कमिटी बनाई है।"
“आज ना तुम मुझे बता ही दो, की ये कमिटी है कहा?”
“ग्रुप है एक व्हाट्सअप पे।"
“और कोई जॉइन भी करता है ये?”
“हाँ.. मतलब लोग अपने हिसाब से जॉइन करते है, और अपने हिसाब से छोड़ देते है।उसी ग्रुप में लोग एक दूसरे की मदद करते रहते है।"
“फिर तुम.. मुझे सड़कों पे क्यों ढूंढ रहे थे?”
“अब तुम सही लग रही हो, तो मैं तुम्हें सच बता सकता हूँ शायद।"
“क्या सच.. ??”
“वो तुम्हारे लिए इस ग्रुप में किसी ने मैसेज किया था, की तुम्हारा ब्रेकअप होने वाला है।"
“मतलब?”
“वो तुम्हारी कोई फ्रेंड है, उसने कहा था, की मेरी एक फ्रेंड है, मुझे उसकी बातों से लग रहा है, की उसका ब्रेकअप होने वाला है अगर कोई उसकी मदद कर सके तो।"
“तुम्हें मेरा नाम पता था?”
“मेरे फोन में कोई दिक्कत आई थी, तो मैं तो उससे ठीक कराने चला गया था पर कुनाल ने उस ग्रुप से तुम्हारा नाम और कैफे का पता उठाया था। मैं तो सीधा तुम्हें ढूंढते ढूंढते कुनाल की भेजी लोकेशन पे आया था।"
“पर ऐसे कैसे की तुमने मुझे कभी ये ग्रुप जॉइन करने को नहीं कहा?”
“वो तुमने उस दिन बोला था ना की तुम्हारी मदद कौन करेगा। तो मुझे लगा की पहले तुम अपने ब्रेकअप से बाहर आजाओ फिर तुम भी एक मेमबर बन कर सबकी मदद कर सकती हो।"
“और तुम्हें मेरे बारे में ये सब पता कैसे लगा?”
“हम अक्सर पहली बारिश से पहले लोग को जागरूक करने के लिए मैसेज भेजते है। और कुछ लोग उन्हें फॉरवर्ड वगरह करते है, तो बाद में वो कभी कभी हमारे पास कुछ डिटेल्स ले कर आते है, की कुछ ऐसे लोग है, जिनके रिश्ते थोड़े कमज़ोर हो चुके है, और उन्हें इस पहली बारिश से खतरा है। अगर हम उन्हें बचा सके तो। हमे तुम्हारे लिए भी समय से थोड़ा पहले पहुँच कर तुम दोनों को ये समझाना था, पर हम उस दिन लेट हो गए।"
“पर हम तो बारिश में भीगे भी नहीं.. फिर बारिश हम पे असर कैसे डाल सकती है? और जब तुम कह रही हो, की किसी ने तुम्हें बताया था की मेरे साथ ऐसा हो सकता है, तो तुम्हें नहीं लगता की अंकित वो सब पहले से ही सोच कर आया होगा?", निया ध्रुव के साथ उसके घर जाते हुए पूछती है।
“हाँ.. पर ऐसे तो शायद तुमने भी कितनी बार सोचा हो सकता है ब्रेकअप का.. पर हर बार किया होगा क्या.. या किया हो, तो भी वापस आए होंगे। जैसे की ये देखो.. ये है एक चार्ट जहाँ पहली बारिश की वजह से हुए ब्रेकअप है, और साथ ही, इस चार्ट में यहाँ देखोगी, तो तुम्हें दिखेंगे की उन्हीं दो लोगों के पहले कितने बार ब्रैकअप हुए है, किसी के लिए ये नंबर 2 है, तो किसी के लिए 5 है,पर एक खास बात ये है, की सबके लिए पहली बारिश वाला ब्रैकअप आखिरी ब्रैकअप था.. उसके बाद वो लोग कभी साथ नहीं आ पाए।"
“पर हो सकता है ना, की वो साथ आए हो, पर तुम्हें उनका डेटा ना मिला हो।"
“हो सकता है.. पर शायद एक या दो पर्सेन्ट केस में.. कयोंकि उसके अलावा, ये सारे अभी भी उस ग्रुप का हिस्सा है, और अपने बारें में बताते रहते है, या छोड़ चुके है, तो किसी ने शादी कर ली तो कोई अपनी नई रीलैशन्शिप में खुश है।"
“और बारिश में भीगने वाली बात?”
“जितना मैं इस बात को समझ पा रहा हूँ, तो वो ये की ऐसा जरूरी नहीं है, की बारिश तुम पे सीधा कोई असर डाले, मतलब शायद उसमें साथ में भीगने से उसका प्रभाव ज़्यादा पड़े पर उसके कुछ ऐसे भी प्रभाव है, जो शायद सिर्फ उसे देखने या सुनने से भी हो जाते हो। मतलब देखो तो साथ तो शायद ही कोई भीगता होगा, पर भी ये होता तो है।"
“हाँ.. सब छाता तो रखते ही है।"
“हाँ.. वही मेरी भी इस रिसर्च का अगला पड़ाव है।", ध्रुव ने बताया।
“और मान लो, की दो लोग अलग अलग जगह से ये पहली बारिश सुनते है, तो क्या असर होगा उसका?”
“नहीं.. अलग अलग जगह से कुछ देखने पे कोई असर नहीं होता।"
“हाँ.. क्योंकि ऐसा होता तो, सारी दुनिया ही ब्रेकअप के लिए पहुँच जाती।"
“नहीं.. एक खास बात और.. एक तो हर महीने बारिश नहीं होती, और दूसरा ये पहली बारिशें अक्सर अलग से ही समय पे होती है। मतलब ये चार्ट देखो.. कभी सुबह 4 बजे, कभी 2 बजे.. जिसकी वजह से बहुत लोग इसके शिकार होने से बच जाते है, जैसे उस दिन कुनाल बचा था।”, ध्रुव एक और रंग बिरंगा सा चार्ट दिखाते हुए बोला।
“और इससे बचने का कोई तरीका?”
“नहीं पता.. अब कोई बीमारी तो है नहीं, की वैक्सीन आए इसकी भी, बस जागरूक होना ही चीज़ है, जो हम कर सकते है।"
“जो लोग अपने पर्यावरण के लिए जागरूक नहीं है, उन्हें तुम इसके लिए जागरूक करना चाहते हो?”
“पता है, अगर सच कहूँ तो मुझे तो लगता है , की ये हमारे पर्यावरण का ही कोई तरीका हो सकता है, हमे सबक सिखाने का। हमने जो इतने सालों तक जो बोया है, वहीं पाएंगे ना।"
“हाँ.. काश ऐसा ही हो, सच में ये कोई पर्यावरण का सबक ही हो।"
“तुम ऐसा कह रही हो.. तुम तो इसकी शिकार हुई हो।"
“हाँ.. पर कुछ सीखने के लिए शायद ये जरूरी रहा होगा। खैर चलो बहुत हो गई बातें मुझे और डेटा दिखाओ.. अगर जो तुम कह रहे हो, वो सही है, तो कुछ और तो भी तो मिलना चाहिए यहाँ।"
“हाँ.. अपने लैपटॉप पे पेनड्राइव लगाते हुए ध्रुव ने कहा।
“ये तुमने कोई फॉर्म भरवाए थे??”
“नहीं.. जिसने जो जो दिया.. मुझे जैसे समझ आता गया.. मैं भरता गया।"
“ठीक है.. पहले इसी को क्लीन करते है" (डेटा देख कर कोई भी निष्कर्ष निकालने से पहले बहुत जरूरी होता है, की उसे ठीक किया जाए - जिससे क्लीनिंग कहते है।) मैं अपना लपटॉप भी लेकर आई।", निया ये बोल कर अपने घर की ओर जाती है।
“हाँ.. तब तक मैं भी काम बाँटता हूँ।"
उसके बाद अपना लैपटॉप लेकर आई निया और ध्रुव दोनों वहीं उसके हॉल में बैठ कर अपने अपने हिसाब से उसपे काम करने लगते है।
कुछ देर बाद घर आया कुनाल देखता है, की लैपटॉप के सामने बैठी निया, दीवार से सर टेक कर सो रही है, और ध्रुव लैपटॉप की साइड में थोड़ी सी जगह में, सर नीचे करके सो रहा है, और दोनों के बीच में चिप्स चॉकलेट के खाली पककेट्स पड़े है।
“दोनों ही एक जैसे पागल है।", वो धीरे से बोला।