एक समय की बात है। एक शहर में दो मछुआरे रहते थे। अमन और अजय वो शहर समुद्र के पास था तो ज्यादा तर लोग मच्छि ही पकडा करते थे। अमन एक बोहोत अच्छा मछुआरों था एक बारी में 50 से 100 मछलियों को पकड़ लेता था जिस के चलतेअपने कस्बे में बहोत अमीर था पर उस का रंग सावला था जिस कारण उसकी शादी हो रही थी। जिस बात का सब उसको ताना देते थे उनमें से एक था अजय। वह देखने मे तो गोरे रंग का गठीला नो जवान था पर वह अमन से बिल्कुल विपरीत विचार धारा वाला व्यक्ति था। अमन ईमानदार, मेहनती, और सबकी मदद करताथा वहीं अजय लालची, काम से जी चुराने वाला व्यकि था। वह कभी भी ज्यादा मच्छि नहीं पकड़ पता था हमेशा दूसरो की पकड़ी हुई मछली चुराता और अपने घर लेजाता था एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना कोई भी नही कर सकता था। वह एक दिन मच्छि पकड़ने समुद्र किनारे गया हमेशा की तरह 50 से सौ मछलियों को पकड़ी उसमे एक जादुई मछली भी थी जो पानी से बाहर निकल कर भी जिंदा थी। वह सब कुछ देख रही थी। इस बात अनजान अमन जब वह घर जा रहा था तभी रास्ते में उसे एक नेत्र हीन व्यक्ति मिला। सफेद रंग का कुरता पैजामा पहने आँखो पर काला चश्मा चढ़ाए और हाथ मे छड़ी लिए वह व्यक्ति रास्ता पार करने के लिए किसी को पुकार रहा था तब उसकी आवाज किसी नही सुनी पर अमन उस व्यक्ति के पास गया और उसे रास्ता पर कर वाया। फिर कुछ आगे चल कर तेज बारिश होने लगी तो अमन एक छपरे के नीचे जा कर खडा हो गया।उसने कुछ दूर नजर दौड़ाई तो एक बूढ़ा व्यक्ति भारी बरसात में भीग रहा था। वह मछली सब कुछ देख रही थी । उसने अपनी जादुई शक्ति से एक छाता अमन की बाई और प्रकट किया जिस पर अमन की नजर पड़ गयी वो चाहता तो वह छाता लेकर घर जा सकता था। पर अमन ने छाता उस बूढ़े व्यक्ति को दे दिया और खुद छपरे के नीचे खड़ा बारिश के रुकने का इंतज़ार कर ने लगा। जब बारिश रुकी तो वह घर पहोंचा। घर पहोच कर वह बाजार में सभी मछलियो को बाजार में बेचने जाने लगा तो वह जादुई मछली बोली "रुको अमन मुझे इन मछलियों के साथ मत बेचो मैं कोई साधारण मछ्ली नहीं एक जादुई मछली हूँ। मैं समुद्र की गहराई में रहने वाली जल परी के साथ रहती थी जिस से मुझे यह शक्ति प्राप्त हुई है। तभी मै पानी से बाहर निकल कर भी जीवित हूँ। औऱ मैं तुम्हारी दरिया दिली देख कर बहोत खुश हूं। मैं तुम्हारी सब इच्छाओं को पुरा कर सकती हूं। बोलो क्या चाहिए? अमन यह सुन कर बहोत खुश हुआ।उसने जल्दी से पानी के जग में पानी भरा और मछली को उस में डाल दिया और उदास होकर कहा "वैसे तो ईशवर का दिया सब कुछ है पर मेरे साँवले रँग के कारण मेरा विवाह नही हो रहा"। यह सुनकर उस मछली ने अपने मुँह से एक जादूई पाउडर निकाला और अमन को कहा " इसे अपने मुह पर लगालो फिर देखो क्या होता है?"अमन ने वह पाउडर मुह पर लगाया और उसका रंग गौरा हो गया। अब वह देखने में बहोत सुंदर हो गया था। अब उसके पास कोई कमी नही थी। जिसके चलते मछुआरों के सरदार ने अपनी बेटी का हाथ अमन के हाथों में दे दिया। अमन की खुशी का ठिकाना नहीं था उन दिनों जादुई मछली की बात पूरे कस्बे में फैल गई अमन उस मछ्ली की सहायता से सबकी मदद करता था। वह बहोत खुश रहने लगा।
एक दिन अजय की नजर उस दिव्य मछली पर पड़ गयी। उसके मन मे आया कि "अगर मैं इस मछली को चुराकर अपने पास रखलू तो मेरी जिंदगी बदल सकती है। एक रात जब सब सो रहे थे तो अजय अमन के घर दबे पैर आया और उस मछली को चुराकर ले गया ।चुराते ही अजय की काया पलट गई। उसका रंग काला पर गया, उसके कपडे फट गए और जिन हाथों से वह मछली चुराया करता था वह अपँग हो गए।
उसको समझ आ गया कि चोरी, बेईमानी और लालच बहोत बुरी बला है। वह अगले ही दिन सुबह अमन के घर गया और मछ्ली लोटादी वह बोला "अमन मैं समझ गया चोरी, बेईमानी और लालच बहोत बुरी बला है। अब से मैं ईमानदारीका जीवन बिताऊंगा। जब से अजय भी अमनकी तरह ईमानदार हो गया । इस कहानी ईमानदारी और सबकी मदद करने सिख हमे मिलती है।