ocean waves... in Hindi Moral Stories by Saroj Verma books and stories PDF | समुद्र की लहरें...

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समुद्र की लहरें...

शाम का वक्त,मुम्बई शहर के एक घर में....
बता के तो जा कि कहाँ जा रहा है?लक्ष्य की माँ ने पूछा।।
वहाँ जा रहा हूँ जहाँ थोड़ी देर शान्ति मिल सकें,मैं छुट्टियाँ बिताने घर क्या आ जाता हूँ,पापा को तो जैसे आफत ही आ जाती है मेरे घर आने से,उनकी कुड़कुड़ ही खत्म नहीं होती, लक्ष्य बोला।।
पापा की बातों का क्या बुरा मानना?वो जो भी कहते हैं तेरी भलाई के लिए ही तो कहते हैं,लक्ष्य की माँ बोली।।
माँ! अब मैं बालिग़ हो गया हूँ,अपना भला बुरा खूब समझता हूँ,मुझे भी पता है कि मेरे बी.टेक. का आखिरी साल चल रहा है,अब मुझे नौकरी पाने के लिए तैयारी और कोशिश करनी चाहिए लेकिन फिर भी पापा लगे ही रहते हैं....बस लगें ही रहते हैं...लक्ष्य ने घर के गेट के पास जाकर ये बोला और गेट बन्द करके वो बाहर निकल गया.....
वो कुछ ही देर में जूहू बीच पहुँच गया,यही बीच उसके घर के पास था,उसके वहाँ पहुँचने के बाद अन्धेरा गहराने लगा था,कुछ देर वो वहाँ टहलता रहा फिर उसने एक भुट्टा खरीदा और एकान्त सी जगह आकर बैठ कर भुट्टा खाने लगा......
वो समुद्र की लहरों को ऊपर और नीचें उठते देख रहा था,तभी एक व्यक्ति जो उम्र में उससे लगभग सात आठ बड़ा होगा,वो सूट-बूट में था,जिसने हाथों में अपने आँफिस की बैग पकड़ी थी और साथ में उसके दूसरे हाथ में एक पैकेट भी था,उसने लक्ष्य से पूछा....
क्या मैं यहाँ बैठ सकता हूँ?
जी!हाँ! जरूर,लक्ष्य बोला।।
पहले तो उस व्यक्ति ने अपना कोट और जूते उतारकर एक तरफ रख दिए फिर उसने उस पैकेट में से वियर की बोतल निकाली और पैकेट में पैक पनीरटिक्का खोला और लक्ष्य से पूछा.....
क्या तुम भी वियर पीते हो?
जी! कभी-कभी दोस्तों के साथ,लक्ष्य बोला।।
तो फिर सोच क्या रहे हो?लो तुम भी लो,वो व्यक्ति बोला।।
जी! नहीं! शुक्रिया! माँ कहती है कि अन्जान व्यक्ति के हाथों से कुछ भी खाना पीना नहीं चाहिए,लक्ष्य बोला।।
बिल्कुल सही कहती है माँ,कोई बात नहीं,तो मैं अकेले ही पी लेता हूँ,वो व्यक्ति बोला।।
मैं लक्ष्य और आप,लक्ष्य ने परिचय आगें बढ़ाते हुए पूछा।।
लक्ष्य....नाइस नेम! माईसेल्फ अपार सिंघानिया,वो व्यक्ति बोला।।
ये नाम तो कुछ सुना सा लगता है,लक्ष्य बोला।।
सिंघानिया इण्डस्ट्री का इकलौता वारिस,वो व्यक्ति बोला।।
ओह.....आई एम सो लकी....जो आपसे मुलाकात हुई,लक्ष्य बोला।।
मेरी छोड़ो तुम अपनी बताओ,मेरे आने से पहले तो तुम यहाँ बहुत उदास बैठे थे,अपार बोला।।
कुछ नहीं! बस यूँ ही,लक्ष्य बोला।।
गर्लफ्रैंड से झगड़ा हुआ है क्या? अपार ने पूछा।।
नहीं!मेरी अभी गर्लफ्रैंड ही नहीं है,गर्लफ्रैंड बनाने के लिए पैसे चाहिए,जो कि मेरे पास नहीं है,अभी तो पढ़ाई पर ध्यान दे रहा हूँ,लक्ष्य बोला।।
तो फिर उदासी की वजह,अपार ने पूछा।।
बस,कुछ नहीं! मैं घर आता हूँ छुट्टियों में तो मेरे पापा कुछ ना कुछ कहते ही रहते हैं,इसलिए मुझे गुस्सा आ गया तो मैं यहाँ बीच पर चला आया,लक्ष्य बोला।।
बस,इतनी सी बात,अपार बोला।।
इसे आप इतनी सी बात कहतें हैं,हरदम कुड़कुड़ चालू रहती है उनकी,लक्ष्य बोला।।
लक्ष्य की बात सुनकर तब अपार बोला.....
पता है,आज मैं ये वियर लेकर यहाँ क्यों आया हूँ? क्योकिं आज मेरे पापा का जन्मदिन है और वो मेरे साथ नहीं हैं,माँ तो मेरे बचपन में ही छोड़ कर चली गईं थीं और पापा पाँच साल पहले ही हार्टअटैक से चल बसे,तुम खुशकिस्मत हो मेरे दोस्त कि तुम्हारी माँ तुम्हें ये बताने के लिए तो है कि अजनबियों के हाथ से कुछ मत खाना पीना और पापा इसलिए कुड़कुड़ करते हैं कि वो हमेशा ये चाहते हैं कि मेरा बेटा मुझसे भी आगें निकले,दुनिया में वो ही एक ऐसे शख्स हैं जो तुम्हारी तरक्की से ईर्ष्या नहीं करते,पता है माँ हमेशा ये चाहती है कि मेरे बेटे का पेट भरा रहे लेकिन एक पिता हमेशा ये चाहता है कि मेरे बेटे की थाली हमेशा भरी रहें.....
मुझसे पूछो कि आज मेरे दिल पर क्या गुजर रही है,ना कोई प्यार जताने वाला है और ना कोई डाँटने वाला,इतना बड़ा बिजनेस टाइकून आज कितना तनहा है इसलिए पापा की बातों का कभी बुरा मत मानो,वो जो भी कहते हैं तुम्हारी भलाई के लिए ही कहतें हैं।।
ये समुद्र की लहरें देख रहे हों,जो कभी उठती हैं तो कभी गिरतीं हैं,तो कभी शान्त रहतीं हैं,तो बस उनका गुस्सा भी ऐसा ही है,इसलिए उनकी बातों को ध्यान से सुनों,क्योंकि उनके पास ऐसा तजुर्बा है जो हमारे पास कभी नहीं हो सकता क्योकिं उन्होंने अपने बाल धूप में सफेद नहीं किए होते....
अपार की बात सुनकर लक्ष्य को समुद्र की उठती लहरों का मतलब समझ आ गया था और उसने अपार से कहा....
शायद आप सही कहते हैं।।
तो फिर खुशी खुशी घर जाओ और पापा के साथ बैठकर डिनर करो,क्योकिं किस्मत वालों को ये मौका मिलता है,अपार बोला।।
और फिर लक्ष्य, अपार को अलविदा और शुक्रिया कहकर खुशी खुशी अपने घर लौट गया.....

समाप्त.....
सरोज वर्मा.....