Chhal - 32 in Hindi Moral Stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | छल - Story of love and betrayal - 32

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छल - Story of love and betrayal - 32

प्रेरणा ने रोते हुए कहा, "मेरा यकीन करो, तुम पूरी तरह से मुझ पर विश्वास करने लगे इसलिए मुझे ऐसा ना चाहते हुए भी करना पड़ा और ऐसा ही हुआ, वो तुम्हारा ही बेटा है, स्वप्निल के बाद घर में मेरी और इज्जत बढ़ गई, मैं चाहती थी चाचा जी की प्रॉपर्टी भी मुझे मिल जाए इसलिए मैंने उनकी खूब सेवा करी उसी बीच नितेश ने फोन पर बताया कि सीमा उसे छोड़ने को तैयार ही नहीं इसीलिए कुछ करना पड़ेगा |

मैंने बोला, टेंशन मत लो मेरी एक सहेली है वह हमारी यह प्रॉब्लम सॉल्व कर देगी, सीमा को हम ऐसी दवाई देंगे जिनसे धीरे-धीरे वह बीमार होती जाएगी और खुद ही मर जाएगी, इससे किसी को शक भी नहीं होगा और हमारा भी काम हो जाएगा, उसे हमारी दुनिया से जाना पड़ेगा |

उस दिन ये सारी बातें तुम्हारी मां ने सुन ली, वो तुरंत मुझसे पूछने लगी, क्या बात है? किसको मारना है? क्यों मारना है? मैंने बुढ़िया को बहुत समझाया पर वो नहीं मानी और मुझ पर नजर रखने लगी, मैं जब भी फोन करती तो वो मेरी बातें सुनती और मैं इस बात से बहुत तंग आ गई थी इसीलिए मैंने उसे रास्ते से हटाने का प्लान बनाया " |

प्रेरित ने प्रेरणा के बाल खींच कर फिर एक जोरदार तमाचा मारा और बोला,
" तूने मेरी मां को मारने का प्लान बनाया, अब मरेगी तू "|

नितेश बोला -" सीमा को मैंने दिमागी रूप से ठीक ना होने की बीमारी बताकर दवाई खिलाना शुरू कर दिया और दवाएं अपना काम करने लगी, पर बाद में पता चला कि उस हरामजादी का कोई आशिक भी है, जिससे मिलने वह जाया करती है, फिर एक दिन प्रेरणा तुम्हारी मां को लेकर सिटी मॉल मुझसे मिलने आई"।

प्रेरणा ने बताया "मैंने माँ जी को कॉफी देकर बस जरा सी देर में आने को कहा, वह मान नहीं रही थी लेकिन मैंने उन्हें समझाया कि आप कॉफी पियो आप थक जाएंगी तब जाकर वह मानी, वहां हमने बुढ़िया को मारने का प्लान बनाया और फिर मॉल से अलग-अलग निकल गए" |

नितेश बोला "मैंने एक गुंडे को फोन किया और बुढ़िया पर कार चढ़ाने को बोल दिया, मैं दूर से बैठा सब देखता रहा, लेकिन जब अपने आसपास देखा तो मुझे पता चला कि वह सीमा अपने आशिक के साथ मेरा पीछा कर रही है लेकिन वहां पर मैं कुछ नहीं कर सकता था | कुछ मिनट में बुढ़िया कार के नीचे आ गई पर अफसोस बुढ़िया बड़ी सख्त थी मरी ही नहीं, सिर्फ उसके दोनों पैर टूट गए, वह पास खड़ी प्रेरणा को देखने लगी, फिर मुझे मजबूरन प्लान बदलना पड़ा लोगों की भीड़ भी जम गई | मैंने प्रेरणा और बुढ़िया को हॉस्पिटल ले गया और वहाँ तुम मुझसे मिले "|

प्रेरित ये सुनकर बौखला गया उसने नितेश का सिर पकड़ कर मेज के शीशे में लड़ा दिया, मेज का शीशा चकनाचूर हो गया और नीतेश के चेहरे से खून निकलने लगा |

प्रेरित ने प्रेरणा को घूर कर देखा,

प्रेरणा ने डरते हुए बताना शुरू किया - " अस्पताल में जब तुम मां को देखने आए तो जानबूझकर, नितेश मुझसे बात करने लगा और जैसा हमने सोचा था वैसा ही हुआ तुम नीतेश से मिले और बाद में नौकरी भी दे दी और हमारा काम आसानी से हो गया |

इससे हम रोज मिलने लगे नितेश भी मेरी तरह तुम्हारा विश्वास जीतने में कामयाब रहा पर माँ जी को एहसास हो गया था कि उनका एक्सीडेंट कराया गया था " |

प्रेरित को याद आया कि मां कितनी दुखी और परेशान रहती और इसी दुख में उसने नकली पैर भी नहीं लगवाए थे |