Chhal - 31 in Hindi Moral Stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | छल - Story of love and betrayal - 31

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छल - Story of love and betrayal - 31

प्रेरणा ने प्रेरित की ओर देखते हुए कहा –

"तुम्हें याद है जब कॉलेज में मैंने तुम्हें बताया था कि मेरा घर बिक गया है, वो खबर कोई और नहीं नितेश ही लाया था, मैंने जब सारी बात नितेश को बताई तो नीतेश ने मुझसे तुमसे शादी करने को कहा, मैं नहीं मानी क्योंकि मैं नितेश से बहुत प्यार करती थी, पर नीतेश ने कहा, शादी कर लो तो हम रातों रात अमीर बन जाएंगे और फिर आगे क्या करना है सोच लेंगे, फिर हमारी शादी हो गई |

मैं खुद को और तुम सब को खुश करने का कितना नाटक करती, पर मैं ही जानती हूं कि मेरा दिल कितना दुखी था, धीरे-धीरे मैंने तुम्हारी मां और चाचा जी का दिल जीत लिया और तुम्हारी जायदाद कंपनी और जमीन की सारी डिटेल जानने के लिए मैंने तुम्हारे साथ काम करने की जिद की इससे किसी को मुझ पर शक भी नहीं हुआ" |

प्रेरित ने एक और जोर से तमाचा प्रेरणा के गाल पर मारा और बोला," एक औरत इतना गिर सकती है, मैं सोच भी नहीं सकता"|
नितेश कुर्सी से हिलने लगा तो प्रेरित ने उसके जख्म पर लात रखी, जिससे नीतेश झटपटाने लगा और गिड़गिड़ाने लगा | प्रेरित ने एक रस्सी से तीनों को सोफे में बांध दिया और बोला, "एक छोटी सी होशियारी तुम लोगों के दिल की धड़कन हमेशा के लिए बंद कर सकती हैं, इसीलिए कोई चालाकी नहीं" | प्रेरित मेज पर पैर रखकर आराम से बोला |

नितेश (दर्द से कराहते हुए) - "प्रेरणा शादी के बाद जब भी मौका पाती, हम मिल लेते पर कम क्योंकि हमें डर था कि किसी को पता ना चल जाए | मैं अकेलेपन में तड़पने लगा, रात रात भर नींद नहीं आती, तब प्रेरणा ने मुझे समझाया कि मैं किसी अमीर लड़की से शादी कर लूं फिर हम दोनों पर कोई जरा भी शक नहीं करेगा, हम ऐसे ही मिलते रहेंगे और फिर जब खूब सारी दौलत हमारे कदमों में होगी तो हम अपने पति और पत्नी को तलाक दे देंगे |


सब कुछ आराम से चल रहा था और इसी बीच मेरी जिंदगी में सीमा आई एक अमीर बाप की इकलौती औलाद जब तक उसका बाप जिंदा रहा तब तक मैंने उसे खूब प्यार का नाटक किया लेकिन उसके मरते ही जायदाद मुझे मिल जाएगी ऐसा सोचकर मैं यह नाटक करता रहा लेकिन बुड्ढे ने सारी जायदाद अपनी बेटी के नाम कर दी और मर गया लेकिन मैंने भी सीमा को इतना प्यार करके बहलाया कि उसने सारी प्रॉपर्टी के पेपर पर साइन कर दिए और सब मेरे नाम हो गया और उसके बाद मैंने सोच लिया कि सीमा को इतना टॉर्चर करूंगा कि वह खुद ही मुझे छोड़ देगी और सारी जायदाद तो मेरे नाम है ही और मैंने ऐसा ही किया पर वो तो मेरे पीछे ही पड़ गई "|

प्रेरित ने मेज पर रखी शराब का एक पेग बनाया और पीते हुए बोला," आगे क्या हुआ"?

प्रेरणा बोली -" इन्हीं दिनों हमारे बेटे स्वप्निल का जन्म हुआ"|
प्रेरित ने प्रेरणा के जख्म को दबाते हुए कहा -" अपनी गंदी जबान से उस गंदे खून को मेरा बेटा मत बोल, वो तेरा और नितेश का गंदा खून है" |