Chhal - 30 in Hindi Moral Stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | छल - Story of love and betrayal - 30

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छल - Story of love and betrayal - 30

अगले दिन प्रेरणा और नितेश ने कुशल को घर बुलाया |

कुशल - "मैं कल वापस इंडिया चला जाऊंगा" |

नितेश ने उसे आज रात उसके यहां रुकने को कहा, रात को तीनों शराब पीते हुए हंस-हंसकर बातें कर रहे थे और प्रेरित उसी कमरे में मौजूद छुप कर सब बातें सुन रहा था |

प्रेरणा - "क्या कुशल.. तुमने आकर इतनी टेंशन दे दी, कितने अच्छे से हम लाइफ जी रहे थे, कितनी मुश्किल से लाइफ नॉर्मल और हैप्पी हो पाई थी" |

नितेश - "सही कह रही है प्रेरणा, आई मीन जूलिया" |

कुशल एक और पेग बनाता हुआ बोला, "अगर कहीं प्रेरित वापस आ गया तो क्या होगा"? तभी प्रेरणा का ग्लास एकदम से टूटकर चकनाचूर हो गया, शराब उसके शरीर पर फैल गई और आवाज आई,

"मैं वापस आ गया हूं, और अब तुम लोग बच नहीं सकते"|

कुशल धीरे से उठने लगा तो प्रेरित ने उसके पैर में गोली मार दी और बोला," मैं चाहता तो तुम्हारे भेजे में भी ये गोली मार सकता था लेकिन अभी इस भेजे से तुम्हें सारे राज उगलने हैं" |

इससे पहले कोई कुछ और कहता, प्रेरित ने देर न करते हुए नितेश और प्रेरणा के एक-एक गोली पैर में मार दी, तीनों दर्द से बिलख पड़े और माफी मांगने लगे |

प्रेरित ने चिल्लाते हुए कहा," चुपचाप अपनी जगह पर तीनों लोग बैठे रहो, तीनों के पैर से खून तेजी से बहने लगा, तुम लोग यही सोच रहे होगे ना इतनी सिक्योरिटी, सीसीटीवी होते हुए भी मैं अंदर कैसे आया,

प्यार… प्यार मुझे यहां तक प्यार खींच लाया प्रेरणा, और प्यार ने यहां पहुंचाया |

मैं यहां रोज आता हूं, तुम्हें क्या लगा कि होशियारी सिर्फ तुम तीनों को आती है, मैंने पैसे देकर एक लड़के को तुम्हारी बेबीसीटर को झूठे प्यार के जाल में फंसाने को कहा, वह रोज उससे मिलने लगा और तुम्हारे घर आने लगा और आज उसकी जगह मैं आ गया, उसके साथ आने के कारण कोई सिक्योरिटी भी कुछ नहीं कहता और आज भी वही हुआ |

तुम तीनों को किसने मारा कोई जान भी नहीं पाएगा, घर के सारे सीसीटीवी बंद है और गार्ड मस्त नींद सो रहे हैं |

अब सीधी तरह से ये बताओ कि आखिर तुम लोगों ने ऐसा क्यों किया"|

प्रेरित प्रेरणा के पास आया और पिस्तौल उसकी कनपटी पर रखकर बोला," क्या कमी थी मेरे प्यार में, जो तूने मेरे साथ ऐसा किया " |

प्रेरणा कुछ नहीं बोली, प्रेरित ने एक जोरदार तमाचा प्रेरणा के गाल पर मारा और कहा," बता.... मैं जानना चाहता हूं कि यह खेल कब शुरू हुआ"|

प्रेरणा (सिसकियां भरते हुए चिल्ला कर बोली) - " खेल नहीं… ये प्यार है, सच्चा प्यार.. जो बचपन से है, मैं और नितेश बचपन से प्यार करते हैं, हम दोनों एक ही गांव में रहते थे, बचपन से हमने कितनी गरीबी और दुख सहा है, हम ही जानते हैं |

हम हमेशा अमीर लोगों को देखते कि कैसे ये लोग एशो-आराम में जीते हैं और हम तड़प तड़प के मर जाते हैं, गरीबी बीमारी और भूख से हम दोनों के मां-बाप, धीरे-धीरे सब चले गए फिर मैंने सोच लिया पढ़ लिख कर एक दिन अमीर जरूर बनूंगी, मैं गांव से शहर आ गई, नितेश गांव में घर की देखभाल करता रहा फिर मेरी जिंदगी में एक दिन तुम आए, सच कहूं तो मुझे तुम कभी पसंद नहीं थे लेकिन तुम्हारे बारे में जब कॉलेज में सुना तो मैं दंग रह गई कि तुम इतने अमीर हो, तुम मुझ पर पूरी तरह से फिदा थे, ये मैं अच्छी तरह से जानती थी, मैंने बिना टाइम वेस्ट किए तुमसे प्यार करने का नाटक किया |