Chhal - 29 in Hindi Moral Stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | छल - Story of love and betrayal - 29

Featured Books
Categories
Share

छल - Story of love and betrayal - 29



पैलेस में होने वाले इस अनाउंसमेंट के बस इतने ही शब्द सुनकर प्रेरित के शरीर में जैसे बिजली सी कौंध गई, उसे अपने कानों पर यकीन ही नहीं हो रहा था, उसने दूर सामने देखा तो मिस्टर रॉबर्ट और मिस जूलिया खड़े थे जो कि और कोई नहीं बल्कि प्रेरणा और नितेश ही थे |

प्रेरित यह देखकर चकरा गया, उसके पैरों तले जमीन खिसक गई, वह खड़ा न रह सका और कुर्सी पर बैठ गया |

सभी खुश थे तभी पास खड़े आदमी ने कहा, "आर यू ओके सर? देखिए मिस्टर रॉबर्ट का बेटा कोडी जिसका आज चौथा बर्थडे है" |

प्रेरित के कान सुन्न पड़ गए | नितेश और प्रेरणा किसी महल के राजा रानी से कम नहीं लग रहे थे, प्रेरित को तो अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि दोनों ने उसके साथ इतना बड़ा छल किया और आज इतनी ऐशो आराम की जिंदगी बिता रहे हैं, प्रेरित तुरंत होटल आ गया उसका दिल और दिमाग सब बेचैन से, उसके अंदर बदले की आग फिर धधकने लगी, वह यह सोचकर परेशान हो रहा था कि जिन्हें वह मार चुका था, वो जिंदा कैसे हो गए? पर अब उसकी जिंदगी का एक ही मकसद था, इन सब की बर्बादी |


अगली रात बरनिंघम पैलेस में…

नितेश (कपड़े बदलते हुए) - "प्रेरणा.. तुमने मेरा नाइट सूट कहां रखा है" |

प्रेरणा (गुस्साते हुए) - "कितनी बार बोला है, मैं प्रेरणा नहीं हूं, मिस जूलिया हूं, कब तुम्हें याद हो पाएगा और तुम मिस्टर रॉबर्ट हो" |

नितेश - "ओह डार्लिंग, आई एम सो सॉरी, ऐसे गुस्सा मत किया करो" |

प्रेरणा - "अगर किसी के सामने भूल से नाम लेदो तो वो तो सोच में पड़ जाएगा"|

नितेश - "क्या यार? कितनी टेंशन लेती हो, इट्स ओके… यहां हमें कोई नहीं जानता और वैसे भी हम मर चुके हैं दुनिया की नजर में, अब गुस्सा छोड़ दो ना डार्लिंग, कमऑन हग मी" |

नितेश ने प्रेरणा को मनाया और गले से लगा लिया तभी दरवाजे पर दस्तक हुई दरवाजा खोलते ही बेबीसीटर बोली," मैंने कोडी बाबा को सुला दिया है, अब मैं अपने कमरे में सोने जा रही हूं "|

ये कहकर वह चली गई, नितेश और प्रेरणा मतलब जूलिया और रॉबर्ट् भी सो गए |

रात के डेड़ बजे प्रेरणा के कानों में कुछ आवाज पड़ी, प्रेरणा… प्रेरणा… प्रेरणा… प्रेरणा चौक कर उठी, उसने चारों ओर देखा कमरे की खिड़की हवा से खटपट हो रही थी, पर्दे उड़ रहे थे वह समझ गई उसका सपना था |

उसने एक गिलास पानी निकाला और जैसे ही होठों पर लगाया उसे एक धुन सुनाई दी, जिसे सुनकर उसके पसीना आ गया क्योंकि यह धुन तो प्रेरित को बहुत पसंद थी |

उसने तुरंत नितेश को उठाया, नितेश ने इधर-उधर देखा और प्रेरणा को समझाया कि ये उसका वहम है और वो सो गया पर प्रेरणा को नींद नहीं आई |

अगले दिन उन दोनों से कुशल मिलने आया और मिलकर सब बात बताई, अब तीनों परेशान हो गए जिसमें प्रेरणा कुछ ज्यादा ही परेशान थी |
प्रेरणा - "पर.. ऐसा.. ऐसा कैसे पॉसिबल है? वह तो जेल में था"|
कुशल - "अरे वो जेल में था और वही जलकर मर गया था" |
नितेश - "किसी को हमारा राज पता तो नहीं चल गया" |
कुशल - "लेकिन कोई तो है, जो मुझे फोन पर धमकाता है, इसीलिए बी केयरफुल" |

तीनों सोच में पड़ गए थे, प्रेरणा को डर था कि कहीं प्रेरित का भूत तो नहीं |

अगली रात जब प्रेरणा की आंख खुली उसे फिर वही धुन सुनाई दी, कमरे की खिड़की खुली थी तभी उसके कानों में आवाज आई, प्रेरणा.. प्रेरणा..
प्रेरणा ने डरते हुए इधर-उधर देखा तो कोई नहीं दिखा तभी उसे पर्दे के पीछे किसी के जूते दिखे उसने जल्दी से फ्लावर पॉट उठा लिया और एकदम से पर्दा हटाया, पर्दे हटाते ही उस पर कोई गिर पड़ा, चिल्लाते हुए वो दूसरी ओर भागी, उसने देखा तो प्रेरित का शरीर अलग और सिर कटा अलग, प्रेरणा ये देख डर गई और गिर गई, तभी उस कटे सिर ने मुस्कुराते हुए कहा, "प्रेरणा… प्रेरणा.." और प्रेरित के हाथ प्रेरणा की ओर बढ़ने लगे वह डरकर बड़ी तेजी से चिल्ला पड़ी तो देखा वह सपना देख रही थी, उसके चिल्लाने से नीतेश जाग गया |

नितेश ने उसे समझाया और शांत कराया |