one night that changed my life in Hindi Short Stories by Dr Mrs Lalit Kishori Sharma books and stories PDF | एक रात ---जिसने मेरा जीवन बदल दिया

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एक रात ---जिसने मेरा जीवन बदल दिया

मानव मन सदैव से ही सुख-दु:ख के झंझावातों से घिरा रहता है। अनेक प्रकार के संकल्प विकल्प उसे विचलित करते रहते हैं। विचारों की श्रंखला सदैव ही उसे जकड़े रहती है । अनेकों बार इस जकड़न से बाहर निकलने का प्रयत्न करने पर भी, मानव अपनी कमजोर मानसिकता के कारण पुनः उसी में फंस कर रह जाता है। अनेक सामाजिक मान्यताएं ,पारिवारिक- सम्मान, आर्थिक -सुरक्षा एवं धर्म -भीरुता ,स्वयं को इन बंधनों में जकड़े रहने हेतु बाध्य कर देती है । इन सब के प्रति पने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए ,एक संभ्रांत नारी अपने सम्मान, अपनी रुचियां ,अपनी भावनाओं ,व आत्म-संतुष्टि, के बारे में सोचना ही भूल जाती है। परंतु जीवन में कभी कोई घटना ऐसी भी घटती है, जो मानव की आत्मा को,-- अंतस की गहराइयों तक झकझोर देती है और तब व्यक्ति आत्मचिंतन कर विकास हेतु कोई ठोस कदम उठाने का संकल्प कर, उसे क्रियान्वित रूप प्रदान करने हेतु वाध्य हो जाता है।

मैं अपने जीवन की उस धनी अंधेरी काली रात को कभी नहीं भूल सकती जब अनेक वर्षों की प्रताड़ना , असहयोग ,के झंझा वातों को झेलते हुए अंतर्मन पूर्णत: अवसाद से . भर चुका था। किंतु उस दिन की रात तो, मानो संपूर्ण जीवन को अपनी भयंकर कालिमा के आगोश में समेट लेने के उद्देश्य से ही आई थी। प्रतिदिन की भांति उस रात भी बिना किसी ठोस कारण के ही ,सास -ससुर ,देवर -जेठ ,आदि सभी के व्यंग -बाणो का सैलाब बढ़ता ही गया और इस सैलाब मे-मेरे माता-पिता द्वारा दिए गए ,धैर्य एवं शांति के संस्कार, जो अभी तक मुझे साहस देते रहते थेे, वे सभी संस्कार आज ढहते हुए प्रतीत होने लगे । पतिदेव आज भी सदैव की तरह विरोध प्रकट करने में असमर्थ थे ।


मैं पूरी रात सो ना सकी। भविष्य की चिंता में अनेक प्रकार के विचारों की श्रंखला मेरे मन- मस्तिष्क को विचलित कर रही थी। तभी भोर की प्रथम किरण के साथ ही मेरे मन में एक दृढ़ संकल्प ने जन्म लिया और न जाने कैसे प्रभु -प्रेरणा से मेरे पति भी उसमे साथ देने को तैयार हो गए। हम दोनों थोड़े से कपड़ों की व्यवस्था कर एक नई मंजिल की खोज में निकल पड़े। धन की अधिक व्यवस्था न होने के कारण हमने किसी शहर की अपेक्षा एक छोटे से गांव में ही अपना घरौंदा बनाना उचित समझा। गांव में छोटा- मोटा काम मिल जाने से हमारी दैनिक- जीवन -चर्या तो चल उठी थी ,परंतु भविष्य अभी असुरक्षित था। शिक्षित होने के कारण मैंने गांव के बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाना भी प्रारंभ कर दिया था जिससे मुझे आत्म संतुष्टि तो प्राप्त होती ही थी, साथ ही साथ , गांव वालों के मध्य एक अच्छी पहचान बनना भी प्रारंभ हो गई थी। मेरी अपनी शिक्षा की समझदारी के कारण एक दिन मेरे मस्तिष्क में एक अजूबे विचार ने जन्म लिया। क्योंकि गांव के लोग भी अधिक शिक्षित न थे।अत: मैंने उनकी समझ के अनुकूल ही एक पट्टिका बनाकर अपने घर के दरवाजे पर लगा ली । जिस पर लिखा था यहां अक्ल बेची जाती है। कुछ समय तक लोग उसे पढ़कर मजाक उड़ाते रहे और कई दिनों तक कोई भी अक्ल का ग्राहक नहीं आया। आर्थिक तंगी के कारण दूसरा कोई रास्ता भी ना था। परंतु मैंने हिम्मत नहीं हारी। एक दिन एक बड़े सेठ का नासमझ लड़का एक किलो अक्ल का ग्राहक बनकर आ पहुंचा। मैंने कहा यहां पर अक्ल तोल से नहीं अपितु परिस्थिति के अनुकूल दी जाती है । उसने कहा आप जो ठीक समझें वह ₹10 की अक्ल मुझे दे दे। मैंने उसे एक कागज की पर्ची पर लिखकर दिया कि-----" दो व्यक्तियों के झगड़े के बीच में कभी भी बिन मांगे कोई सलाह न दें ।" ----उसने वह पर्ची घर जाकर अपने पिता को दे दी। उसको पढ़ते ही वह व्यापारी बहुत नाराज हुआ और मेरे पास झगड़ा करने आ पहुंचा। उसने कहा कि ---"तुमने मेरे बेटे से ₹10 ठगे हैं"--- अपनी अक्ल वापस लो और मेरे ₹10 वापस दो । ऐसा कहकर उस दिन लिखी हुई पर्ची मेरी और फेंक दी। मैंने कहा कि मैं अपनी अक्ल वापस लेकर आपके रुपए लौटाने को तैयार हूं परंतु उसके लिए एक कागज पर आपको यह लिख कर देना होगा कि आपका बेटा मेरी दी गई अक्ल का कभी प्रयोग नहीं करेगा। उस पर आप दोनों अपने हस्ताक्षर कर दें। उन्होंने ऐसा ही किया और अपने रुपए वापस ले गए।

कुछ दिनों के बाद एक दिन बाजार में दो लोगों को झगड़ा करते देख कर उस सेठ का लड़का अपने आदत के अनुसार उन्हें बीच में ही सलाह दे बैठा। उन दोनों को वह सलाह पसंद नहीं आई और दोनों ने अपना सारा क्रोध उस पर उतार दिया ।उसकी जमकर पिटाई हो गई तथा आगे भी उसे जान से मारने की धमकी देने लगे। लड़के को संकट में देख सेठ को मेरी सलाह की उपयोगिता समझ में आ गई। वह दौड़ा हुआ मेरे पास आकर उस संकट के निराकरण हेतु अक्ल मांगने लगा । मैंने समय की नाजुकता को समझते हुए ₹500 में सलाह देना मंजूर किया । संकट से मुक्त होने हेतु उसे सलाह दी कि --"बेटे को कुछ समय के लिए गांव से बाहर पढ़ने भेज दिया जाए।" --इस प्रकार उसके बेटे की समझ का भी कुछ विकास हुआ और उसकी जान पर आया हुआ संकट भी टल गया। सेठ ने गांव के सभी लोगों से मेरी बहुत प्रशंसा करना प्रारंभ कर दिया। इस प्रकार धीरे- धीरे लोगों ने मेरी अक्ल और परामर्श का मूल्य समझना प्रारंभ कर दिया। कुछ लोग अक्ल खरीदने आने लगे । प्रसिद्धि के साथ-साथ हमारे व्यवसाय मैं भी उन्नति होने लगी थी।


कुछ ही महीनों के बाद वह सेठ बाहर दूसरे शहर में व्यापार हेतु जाते समय पुनः मेरे पास आया। उसने कहा----" मेरे व्यापार हेतु क्या आपके पास कोई अकल है? "---मैंने कहा --"हां !है।"--- परंतु उस अकल की कीमत एक लाख रुपए होगी। वह तैयार हो गया ।मैंने उसे पर्ची पर लिखकर दिया----" किसी भी वस्तु की उपयोगिता व लाभ -हानि का विचार किए बिना वह वस्तु नहीं खरीदना चाहिए। "----सेठ ने इस सलाह का पालन किया और धीरे-धीरे उसका व्यापार ऊंचाइयों को छूने लगा। उसने सभी जगह मेरी सलाह की बड़ी प्रशंसा की और मेरी ख्याति आसपास के कई गांवों तक भी पहुंच गई। इधर मैं अपने कार्य व्यवहार व सहयोग करने की आदत के कारण सभी लोगों के दिलों में स्थान बनाने लगी थी।


अचानक एक दिन शहर से एक बड़े नेता मेरी प्रसिद्धि सुनकर अपनी राजनीति हेतु कोई उपयोगी अक्ल लेने आ पहुंचे। मैंने उनसे कहा कि ----"राजनीति के लिए अक्ल तो है पर थोड़ा महंगी पड़ेगी ।"--- वे सहमत हो गए और 5 लाख की भेंट दिए जाने पर मैंने उन्हें एक पर्ची दी, जिसमें लिखा था ----"बिना सोचे समझे कोई कार्य नहीं करना चाहिए"

"बड़ा कि छोटा कुछ काम कीजे
परंतु पूर्वापर सोच लीजे।
बिना विचारे यदि काम होगा
कभी न अच्छा परिणाम होगा।।"

और इस परामर्श का पालन करते हुए उन्हें राजनीति में सफलता मिलने लगी। तथा इसी अक्ल के परिणाम स्वरूप एक बार किसी ग़लत दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से बच गए और उनके जीवन का बहुत बड़ा संकट टल गया। अब नेताजी के साथ ही अनेक और राजनीतिज्ञ भी हमारी अक्ल के कायल हो गए।


तत्पश्चात सभी लोगों ने मेरी बुद्धिमानी को देखते हुए मुझे गांव के सरपंच पद पर चुनाव में चयनित किया। मैंने भी पूर्ण तल्लीनता वह ईमानदारी से गांव के विकास हेतु सफल व सशक्त प्रयास किए। जिसके कारण हमारा गांव शिक्षा व्यवसाय तथा नई तकनीकें आदि सभी दृष्टि से एक आदर्श गांव बन गया है। तथा हम भी आत्म सम्मान पूर्वक सुखमय जीवन जी रहे हैं। और----" यहां अक्ल बेची जाती है"---- का बोर्ड परिवर्तित होकर----" मार्गदर्शक एवं सलाहकार "----के नवीन स्वरूप में सुशोभित हो रहा है।
इति