Saheb Saayraana - 33 in Hindi Fiction Stories by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | साहेब सायराना - 33

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साहेब सायराना - 33

33
ये वो वाकया है जिसने महान कलाकारों को भी न्यायालय की चौखट दिखा दी।
कहते हैं कि दुनिया यहां के हर वाशिंदे का ज़िंदगीभर पेट पालने के लिए पर्याप्त है पर किसी एक के भी पलभर के लालच को पोसने के लिए ये कम पड़ जाती है।
ऐसा ही हुआ। एक तथाकथित मशहूर बिल्डर की निगाह दिलीप साहब के बंगले पर भी पड़ गई और उसने जब देखा कि इतने बड़े कलाकार को अपने लालच का निशाना बना पाना सहज नहीं होगा तो उसने तरह- तरह से इस स्टार दंपत्ति को तंग करना शुरू कर दिया।
यहां तक कि जब उसे कहीं से ऐसी भनक लगी कि शायद दिलीप कुमार के बंगले के एक हिस्से को उनके नाम पर प्रस्तावित संग्रहालय के रूप में तब्दील कर देने का विचार चल रहा है तो उसने हताश होकर उस ओर बंगले की दीवार पर ही अवैध रूप से दीवार उठाना शुरू कर दिया।
उसे रोकने के कई प्रयास किए गए। उसे नम्रता से समझाया गया, एक विरासत का हवाला दिया गया, जन भावनाओं के आदर की बात कही गई पर उसके कान पर जूं तक न रेंगी। बात कोर्ट कचहरी तक चली गई। घर में औलाद के रूप में भागदौड़ करने वाला तो कोई था नहीं, उम्रदराज सायरा बानो को ही ये लड़ाई लड़नी पड़ी। यद्यपि जनभावनाओं का ज्वार किसी उफनते दरिया की तरह उनके साथ था लेकिन खलनायकी की काली हिम्मत तो ज़मीन के उस सौदागर के साथ थी ही। सायरा बानो को बहुत परेशान होना पड़ा। अपने गुस्से और मानसिक संताप का इजहार उन्होंने कई बार सार्वजनिक रूप से भी किया। यहां तक कि उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री को भी मामले में दखल देने के लिए चिट्ठी लिखनी पड़ी।
मामला लगभग तीन बरस तक लंबा खिंच कर आख़िर निपट गया। उन्हें उनका हक मिला।
फ़िल्मों में एक प्रथा रही है कि परदे पर जब भी कोई अन्याय होता दिखाया जाता है तो कोई न कोई नायक किसी न किसी रूप में कहीं न कहीं से अवतरित हो जाता है। ऐसे में पब्लिक हर्ष से ताली बजाती है जबकि वो फ़िल्म का काल्पनिक कथानक होता है। किंतु इस वास्तविक खलनायकी के दौरान भी सायरा बानो को एक बार एक इंटरव्यू में ऐसा कहते सुना गया कि हमने दिलीप साहब की मानमर्यादा के इस सवाल पर दखल देने का आह्वान अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, आमिर ख़ान और सलमान खान से भी किया है।
लेकिन परेशानी का ये मैला बादल कोर्ट के फैसले के बाद छंट गया। किसी और के दखल की ज़रूरत नहीं पड़ी। योजना थी कि यदि दिलीप कुमार ने उम्र का सौवां साल जीते जी देखा तो पाकिस्तान की ही तरह यहां भारत में भी उनके बंगले को उनके नाम पर बनने वाले संग्रहालय में बदल दिया जायेगा। पाकिस्तान में दिलीप कुमार और राज कपूर के पुराने आवास को संजीदगी से सहेजा गया है।
दिलीप साहब सायरा जी की देखरेख और घरेलू अनुशासन में जिस तरह सेहतमंद ज़िंदगी गुज़ार रहे थे उसे देखते हुए ये कोई अनहोनी भी नहीं लगती थी कि उनकी शताब्दी एकदिन ज़ोर शोर से मनेगी। लगातार कई साल से वो बॉलीवुड के सबसे उम्रदराज जीवित अभिनेताओं की फेहरिस्त में अव्वल नंबर पर बने हुए थे।
ये एक सुखद संयोग ही था कि दिलीप कुमार की एक समय की नायिका और प्रेमिका रही कामिनी कौशल भी महिलाओं की इस सूची में सर्वोच्च स्थान पर बनी हुई थीं। उन्हें उनकी उम्र के दशवें दशक में फ़िल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड कुछ समय पूर्व ही दिया गया था। पुरस्कार लेने के लिए भी कामिनी कौशल स्वयं हाज़िर हुई थीं और बिना किसी सहारे के अवार्ड फंक्शन में मुस्करा कर सीढ़ियां चढ़ते हुए दिखाई दी थीं।
जबकि इस ऐतिहासिक पल में हर्षातिरेक से तालियां बजाने वाले दर्शकों ने यहां उम्र के दूसरे दशक में दिव्या भारती को, तीसरे दशक में विम्मी व स्मिता पाटिल को, चौथे दशक में मधुबाला को और पांचवें दशक में मीना कुमारी को इस दुनिया से रुखसत होते देखा था।
कहते हैं कुदरत की लीला अपरम्पार!