my thoughts on self reliant india in Hindi Moral Stories by Jatin Tyagi books and stories PDF | आत्मनिर्भर भारत पर मेरे विचार

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आत्मनिर्भर भारत पर मेरे विचार

प्रस्तावना:
आत्मनिर्भर होना एक युवा के साथ साथ एक देश और राज्य के लिए भी होना बहुत ही जरूरी है। क्योंकि जब देश आत्मनिर्भर होगा तो वह हमेशा ही अपने विकास के रास्ते पर नये कदम लेता रहेगा और उसे किसी भी अन्य पर निर्भर होने की आवश्यकता नहीं रहेगी।

आत्म निर्भर भारत:
वर्तमान वैश्वीकरण के युग में आत्मनिर्भरता की परिभाषा में बदलाव आया है। आत्मनिर्भरता, आत्मकेंद्रित से अलग है। 
भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम्‌’ की संकल्पना में विश्वास करता है। चूँकि भारत दुनिया का ही एक हिस्सा है, अतः भारत प्रगति करता है तो ऐसा करके वह दुनिया की प्रगति में भी योगदान देता है।
“आत्ममर्भर भारत” के निर्माण में वैश्वीकरण का बहिष्करण नहीं किया जाएगा अपितु दुनिया के विकास में मदद की जाएगी।
आत्म निर्भर भारत मिशन के चरण
मिशन को दो चरणों में लागू किया जाएगा:

पहला चरण:
इसमें चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक, प्लास्टिक, खिलौने जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि स्थानीय विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके।

दूसरा चरण:
इस चरण में फर्नीचर, फूट वेयर और एयर कंडीशनर, पूंजीगत सामान तथा मशीनरी, मोबाइल एवं इलेक्ट्रॉनिक, रत्न एवं आभूषण, फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल आदि शामिल हैं।

आत्मनिर्भर भारत के पाँच स्तंभ:
आत्मनिर्भर भारत पाँच स्तंभों पर खड़ा होगा:

अर्थव्यवस्था- जो वृद्धिशील परिवर्तन के स्थान पर बड़ी उछाल पर आधारित हो।
अवसंरचना- ऐसी अवसंरचना जो आधुनिक भारत की पहचान बने।
प्रौद्योगिकी-  21वीं सदी प्रौद्योगिकी संचालित व्यवस्था पर आधारित प्रणाली।
गतिशील जनसांखि्यिकी- जो आत्मनिर्भर भारत के लिये ऊर्जा का स्रोत है।
मांग- भारत की मांग और आपूर्ति श्रृंखला की पूरी क्षमता का उपयोग किया जाना चाहिये।
आत्मनिर्भर भारत के लिये आर्थिक प्रोत्साहन
प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत निर्माण की दिशा में विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की है। यह पैकेज कोविड-19 महामारी की दिशा में सरकार द्वारा की गई।

पूर्व घोषणाओं तथा RBI द्वारा लिये गए निर्णयों को मिलाकर 20 लाख करोड़ रुपये का है, जो भारत की “सकल घरेलू उत्पाद” (GDP) के लगभग 10% के बराबर है। पैकेज में भूमि, श्रम, तरलता और कानूनों पर ध्यान केंद्रित किया  जाएगा।

आर्थिक पैकेज का विश्लेषण:
घोषित किया गया पैकेज वास्तविकता में घोषित मूल्य से बहुत कम माना जा रहा है। क्योंकि इसमें सरकार के ‘राजकोषीय’ पैकेज के हिस्से के रूप में RBI द्वारा पूर्व में की गई घोषणाओं को भी शामिल किया गया हैं।
सरकार द्वारा पैकेज के तहत घोषित प्रत्यक्ष उपायों में सब्सिडी, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, वेतन का भुगतान आदि शमिल होते हैं। जिसका लाभ वास्तविक लाभार्थी को सीधे प्राप्त होता है। परंतु सरकार द्वारा की जाने वाली अप्रत्यक्ष सहायता जैसे ‘भारतीय रिजर्व बैंक’ के ऋण सुगमता उपायों का लाभ सीधे लाभार्थी तक नहीं पहुँच पाता है।
RBI द्वारा दी जाने वाली सहायता को बैंक ऋण देने के वजाय पुन: RBI के पास सुरक्षित रख सकते हैं। हाल ही में भारतीय बैंकों ने केंद्रीय बैंक में 8.5 लाख करोड़ रुपए जमा किये हैं।
इस प्रकार घोषित राशि GDP के 10% होने के बावजूद GDP के 5% से भी कम राशि प्रत्यक्ष रूप में लोगों तक पहुँचने होने की उम्मीद है।


तकनीकी हस्तक्षेप में वृद्धि:
भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की स्थापना के माध्यम से दो मुख्य लक्ष्यों (औद्योगिक विकास और रोज़गार) को प्राप्त करने का प्रयास किया गया।
वर्तमान में वैश्वीकरण और प्रतिस्पर्द्धा के इस दौर में सरकारों को अपनी नीतियों में बदलाव करना होगा।
वर्तमान में कोविड-19 के कारण बदली हुई परिस्थितियों में अधिकांश कंपागियों में ‘ऑटोमेशन’ घर से काम करने और अनुबंधित कामगारों को अधिक प्राथमिकता देंगी।
ऐसे में आधुनिक तकनीकी प्रगति के अनुरूप कुशल श्रमिकों की मांग को पूरा करने और लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराने हेतु कौशल विकास के कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान देना होगा।


उत्पादन श्रृंखला में भागीदारी:
औद्योगिक विकास के साथ-साथ ही उत्पादन के स्वरूप और कम्पनीयों/उद्योगों की कार्यशैली में बड़े बदलाव होंगे।
ऐसे में कृषि और अन्य क्षेत्रों को इन पाविर्तनों के अनुरूप तैयार कर औद्योगिक विकास के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान दिया जा सकता है।
उदाहरण के लिये विभिन्‍न प्रकार के कृषि उत्पादों की पैकेजिंग या उनसे बनने वाले अन्य उत्पादों के निर्माण हेतु स्थनीय स्तर पर छोटी औद्योगिक इकाइयों की स्थापना को बढ़ावा देकर औद्योगिक उत्पादन श्रृंखला में ग्रामीण क्षेत्रों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सकती है।


आत्म निर्भर भारत के समक्ष संभावित चुनौतियां:


लागत और गुणवत्ता
वर्तमान में कई क्षेत्रों में भारतीय कम्पनियों को बहुत अधिक अनुभव नहीं है, ऐसे में लगत को कम-से-कम रखते हुए वैश्विक बाज़ार की प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिये उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी।

आर्थिक समस्या
हाल ही में भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में सक्रिय पूंजी और वित्तीय तरलता की चुनौती के मामलों में वृद्धि देखी गई थी, कोविड-19 की महामारी से औद्योगिक गतिविधियों के रुकने और बाज़ार में मांग कम होने से औद्योगिक क्षेत्र की समस्याओं में वृद्धि हुई है।
ऐसे में सरकार को औद्योगिक अर्थव्यवस्था को पुनः गति प्रदान करने के लिये विभिन्‍न श्रेणियों में लक्षित योजनाओं को बढ़ावा देना चाहिये।


आधाएिकि संरचना:
विशेषज्ञों के अनुसार, चीन से निकलने वाली अधिकांश कम्पनियों के भारत में न आने का एक मुख्य कारण भारतीय औद्योगिक क्षेत्र (विशेष कर तकनीकी के संदर्भ में) में एक मज़बूत आधारिक ढांचे का अभाव है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय उत्पादक किसी-न-किसी रूप में आयात पर निर्भर रहें हैं।

वैश्विक मानक:
सरकार द्वारा स्थानीय उत्पादकों और व्यवसायियों को दी जाने वाली सहायता मुक्त व्यापार समझौतों और “अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संघ” (World Trade Organisation - WTO) के मानकों के अनुरूप ही जारी की जा सकती है।

निजी क्षेत्र को बढ़ावा:
केंद्र सरकार की घोषणा के अनुसार, सरकार द्वारा प्रस्तावित नई नीति के तहत रणनीतिक क्षेत्रों के साथ ही सभी औद्योगिक क्षेत्रों को निजी क्षेत्र के लिये खोल दिया जाएगा।  
इस नई नीति के तहत ऐसे रणनीतिक क्षेत्रों की सूची जारी की जाएगी जहाँ निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ कम-से-कम एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी/उपक्रम  (Public Sector Undertakings- PSUs) की उपस्थिति आवश्यक होगी।
सरकार की योजना के तहत अन्य सभी क्षेत्रों में व्यवहारिकता के आधार पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा।
प्रस्तावित योजना के तहत सामान्यतः रणनीतिक क्षेत्रों में PSUs की अधिकतम संख्या चार ही होगी बाकी अन्य कंपनियों के लिये निजीकरण, विलय आदि के विकल्प खुले होंगे।
वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में भी केंद्रीय वित्तमंत्री ने गैर-वित्तीय सार्वजनिक कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी को 51% से कम करने की बात कही थी।


शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी योजनाएँ:
COVID-19 और लॉकडाउन के कारण हो रहे अकादमिक नुकसान को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा ‘पीएम ई-विद्या’ (PM e-Vidya) योजना की घोषणा की जाएगी।
इस योजना के तहत छात्रों को विभिन्न माध्यमों के जरिये शैक्षिक सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी, साथ ही कक्षा 1 से 12 के लिये अलग-अलग टीवी चैनलों की शुरुआत भी की जाएगी।
इससे पहले केंद्र सरकार ने इस माह के अंत तक देश में शीर्ष के 100 विश्वविद्यालयों के द्वारा ऑनलाइन कक्षाओं को चालू किये जाने की योजना की घोषणा की थी।


उपसंहार:
COVID-19 के कारण उपजी हुई परिस्थितियों के बाद देश के नागरिकों का सशक्तीकरण करने की आवश्यकता है ताकि वे देश से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर सके तथा बेहतर भारत का निर्माण करने में अपना योगदान दे सके। आत्मनिर्भर भारत अभियान के समक्ष अनेक चुनौतियों के होने के बावजूद, भारत को औद्योगिक क्षेत्र में मज़बूती के लिये उन उद्यमों में निवेश करने की आवश्यकता है जिनमें भारत के वैश्विक ताकत के रूप में उभरने की संभावना है।

इस दिशा में कार्य करते हुए सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के अंतर्गत 20 लाख करोड़ रुपए के विशेष आर्थिक और व्यापक पैकेज की घोषणा की है। आत्मनिर्भर राहत पैकेज़ के माध्यम से न केवल सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (Micro, Small and Medium Enterprises-MSMEs) क्षेत्र में सुधारों की घोषणा की गई, अपितु इसमें दीर्घकालिक सुधारों, जिनमें कोयला और खनन क्षेत्र जैसे क्षेत्र शामिल हैं।


अंतिम शब्द:
हम उम्मीद करते हैं आपके लिए यह आत्मनिर्भर भारत अभियान निबंध (Aatm Nirbhar Bharat Essay in Hindi) मददगार साबित होंगे।