Friend of the Babylonian bird. in Hindi Short Stories by Akshika Aggarwal books and stories PDF | बाबुली चिड़िया का दोस्त।

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बाबुली चिड़िया का दोस्त।

बाबुली चिड़िया का सच्चा दोस्त।
एक गांव में एक छोटा सा लडका राजू रहता था। वह अपने माँ बाबुजी के साथ एक बडे से घर मे रहता था। उसके घर मे सारी सुख सुविधाएं उपलब्ध थी पर उसका कोई दोस्त नहीं था। जिस कारण वह बहोत उदास रहता था। उसके माता पिता उसकी इस उदासी से बहुत परेशान रहते थे। वह हर दम कोशिश करते थे कि राजू खुश रहे खिल खिला कर हस्त रहे पर कुछ काम नही आता था। एक दिन उन्होंने राजू के मास्टर जी से इस बारे में बात की, उन्होंने राजू बुलाया और बोले" क्या बात है राजू क्यों उदास हो?" राजू बोला "मास्टर जी मेरा कोई दोस्त नही बनता, ना ही कोई मेरे साथ खेलना चाहता है और ना ही कोई मेरे साथ बाते करता है। मैं बहोत अकेला महसूस करता हूँ।"मास्टर जी उसकी सारी बात समझ गए। उन्होंने उसे बाबुली चिड़िया और आम के पेड़ की कहानी सुनाई। वो बोले" एक बार एक जंगल मे बाबुली चिड़िया रहती थी। उसका परिवार जंगल मे लगी आग में जल कर मर गए तब से वो जंगल मे अकेली रहती थी। उसका इस दुनिया में कोई नही था ना ही कोई दोस्त था वह एक दम आकेली थी वह भी तुम्हारी तरह उदास रहती थी। एक दिन वह खाने की तलाश में इधर उधर भटक रही थी कि उसको एक आम के पेड़ ने आवाज़ दी। पेड़ की आवाज सुनकर बाबुली चिड़िया उसके पास गई। पेड बोला" क्या बात है चिड़िया रानी बड़ी उदास हो तुम्हारे घर वाले कहाँ हैं?" बाबुली चिड़िया बोली" पेड़ भाई मेरा परिवार जंगल मे लगी आग में भस्म हो गया है। अब मेरा कोई नहीं है। मैं बिल्कुल अकेली हूँ और खाने की तलाश में हूँ ऊपर से धूप भी बहोत पड़ रही है। चक्कर से मेरा सिर घूम रहा है।" पेड़ को उसकी बात दया आ गयी। वो बोला "चिड़िया बहन आज से तुम अकेली नही हो तुम मेरी टहनियों पर घोसला बना लो। मेरे मीठे मीठे फल खाना और मेरी शाखाओं और टहनियों पर बैठ कर अपनी मीठी मीठी वाणी में चहकना। चिड़िया बोली" मेरी चीची की आवाज से आपकी नींद में ख़लल तो नही पड़ेगा ना"? पेड़ बोला "नही रे तुम्हारी आवाज से मेरा मन बहल जाएगा। अब आओ मेरे पत्तों की छांव में थोड़ा आराम करलो।चिड़िया बहोत खुश हुई उसने वहां अपना घोंसला बनाया और सुख से रहने लगी। रोज सुबह उठती चह चहाती उसके मीठे मीठे फल खाती रोज आसमान में उड़ती और वापिस उसकी डाल पर बैठती और वो आपस मे बहुत बात भी करते थे जिससे उस चिड़िया का अकेला पन दूर होता था । और फिर वह उसकी छाव में सो जाती थी। एक दिन चिड़िया पानी पीने दूर एक तालाब के पास गई की पीछे से एक लकड़हारा उस पेड़ को काटने आया चिड़िया को जैसे ही पता लगा वह दौडी दौडी पेड़ के पास गई और लकड़ हारे से बोली" यह पेड़ भाई बहोत अच्छे हैं फल, फूल, छाया और शुद्ध वातावरण मिलता हैऔर पेड़ो पर हम पंछी अपना घर बना सकते है। इन्हें छोड़ दो"। लकड़ हारे ने एक नहीं मानी वह आरी चलाने ही वाला था कि बाबुली चिड़िया ने अपनी नोकीली चोंच से उस अदमी पर वार कर दियाऔर वह लकड़ हारा वहाँ से भाग गया. इस तरह एक चिड़िया ने अपने आम के पेड़ की जान बचाई और वह खुशी खुशी एक साथ रहने लगे। तो राजू तुम भी अपने आँगन में एक पेड़ लगाओ और उस से दोस्ती करो।"फिर क्या था राजू खुशी खुशी घर गया और अपने आँगन में जा कर एक सेब का पेड़ लगाने लगा। रोज कक्षा से घर जाकर पौधे को खाद और पानी देता था और उसकी खूब देख भाल करता था। उसे अपना दोस्त मानकर उस से बाते भी करता था। अब उसका अकेला पन दूर हो गया और वह ख़ुश रहने लगा। एक दिन वो पौधा बड़े पेड़ में विकसित हो गया। तब राजू को उसके साथ और भी मजा आने लगा। वह रोज उसके मीठे फल खाता था, उसकी छाया में घण्टो धूप से बच कर सोता था। और सावन उस पर झूले भी झूलता था। एक पेड़ के रूप में राजू को उस बाबुली चिड़िया की तरह एक अच्छा दोस्त मिल गया था। इस कहानी से हमे वृक्ष के महत्व का पता लगता है। तो जीवन मे वृक्षारोपण जरूर कीजिये।