Aakhir Kyu in Hindi Short Stories by Ragini Pathak books and stories PDF | आखिर क्यों? - पापा क्यों नही कर सकते?

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आखिर क्यों? - पापा क्यों नही कर सकते?







"राशि !तुम किचन के काम निपटा लो। मैं अनाया को नहला कर तैयार कर देता हूं। वरना लेट हो जाएगा, मम्मी पापा आते ही होंगे" शोभित ने अपनी पत्नी से कहा

"शोभित! लेकिन एक बात मेरी ध्यान रखना। मम्मी जी के सामने अनाया के सारे काम मैं करूँगी। वरना बिना बात के बतंगड़ बन जायेगा और मां पापा को तुमको अनाया का काम करते देखकर गुस्सा आ जायेगा ।"तुमको याद है ना जब अनाया हुई थी तब तुमने उसका डायपर बदला तो वो दोनो कितना नाराज हो गए थे।" राशि ने रसोई में काम करते हुए कहा

सबकुछ सुनकर भी शोभित ने राशि को कोई भी जवाब नहीं दिया और चुपचाप अनाया को लेकर नहलाने चला गया और नहलाकर उसे कपड़े पहनाने लगा।अनाया राशि और शोभित की एक साल की बेटी है। जिसमें राशि औऱ शोभित की पूरी दुनिया बसती है। छुट्टियों के दिन में तो अनाया का सारा काम शोभित ही करता था। अनाया भी पापा के साथ ही दिन भर लगी रहती थी। उसकी के हाँथ से खाना नहाना सोना सबकुछ कराती थी।

राशि रसोई में सब काम जल्दी जल्दी समेटने में लगी थी कि तभी उसे दरवाजे पर लगे डोर बेल की आवाज सुनाई दी।राशि ने जाकर दरवाजा खोला।देखा तो सामने उसकी सास सरिता जी और ससुर रमेश जी खड़े थे राशि ने आगे बढ़कर अपने सास ससुर के पैर छुए और उनको घर के अंदर लेकर आयी। कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक से चला ।लेकिन सरिता जी और रमेश जी को अपने बेटे का बेटी के प्रति इतना लगाव पसंद नहीं आता। लेकिन मन मारकर चुप ही रहते। सीधे तो कभी नही लेकिन कभी कभी किसी भी बहाने से शोभित और राशि को तानो और व्यंग भरी कहानियों के माध्यम से ये जता देते की । पिता का बेटी के प्रति इतना लगाव ठीक नही।राशि और शोभित सब कुछ समझते लेकिन घर मे शांति बनाए रखने के लिए और माता पिता का सम्मान बनाएं रखने के लिए चुप ही रहते

एक दिन सरिता जी ने मौका देखकर राशि से कहा,"बहू! अब दूसरा बच्चा कब करने का प्लान है? हम बूढ़ा बूढ़ी को अब मरने से पहले अपने पोते का मुँह देखना है...बस। अब तो अनाया भी एक साल की हो गयी।राशि ने सास की बात सुनकर कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप अपनी वहाँ से मुस्कुराकर चली गयी और अपना काम करने लगी।इस बार जब से उसके सास ससुर आये थे तब कभी ना कभी दिन में एक दो बार तो ये बात बोल ही देते।अगले दिन शनिवार था और शोभित की छुट्टी थी। जिस कारण वो घर पर ही था इधर सरिता जी ने नाश्ते में राशि से इडली और डोसे बनाने की फरमाइश कि थी। राशि को इडली ,डोसा बनाने में काफी समय हो गया | इधर अनाया का भी नहलाने और कपड़े बदलने का काम बाकी था शोभित सब कुछ देख रहा थाकि कोई भी अनाया पर ध्यान नहीं दे रहा। तभी अनाया जोर जोर से रोने लगी। अपने मम्मी पापा की अनाया के प्रति अनदेखी शोभित को पसंद नहीं आ रही थी।शोभित ने रोती हुई अनाया को अपनी गोद मे लिया। और प्यार से गीत गुनगुनाते हुए चुप कराने लगा। अनाया भी अपने पापा का प्यार भरा स्पर्श पाकर चुप हो गयी।शोभित ने उसको नहला धुला कर कपड़े वगैरह बदल दिए। और रसोई से गिलास में दूध लेकर उसे अंदर कमरे में ले जाकर पिलाने लगा।ये देखते ही सरिता जी और रमेश जी का गुस्सा सातवें आसमान पर हो गया।






सरिता जी ने गुस्से में राशि से कहा"बहु!तुम में जरा सी भी शर्म नहीं बची "सास की गुस्से भरी आवाज सुनकर राशि घबरा गयी । वो मन ही मन सोचने लगी कि," ऐसा हुआ क्या?जो माँजी गुस्सा हो गयी। "
" माँजी हुआ क्या?"राशि ने हिम्मत करके पूछा

सरिताजी ने बड़ी बडी अपनी घूरती निगाहों को दिखाते हुए कहा,"ज्यादा अनजान बनने की कोशिश मत करो। तुम्हें पता नहीं की बेटियों के काम माँ को करने चाहिए पिता को नहीं, तुम क्या इतना भी नहीं जानती? क्या तुम्हारे माता पिता ने तुम्हें इतना भी तमीज नहीं सिखाया।अनाया को नहलाना धुलना शोभित को शोभा देता है। ये सब बातें तुम्हें ध्यान रखनी चाहिए।"समझी

तभी रमेश जी ने कहा"देखो, बहु ।इसमे बुरा मानने वाली कोई बात नही। अनाया बेटी है बेटा नही।अगर तुम्हें बेटा होता तो शोभित उसके ये सारे काम करता तो इसमें कोई शर्म की या ऐतराज की बात नहीं थी। लेकिन अनाया बेटी है तो उसकी सारी जिम्मेदारी और उससे जुड़े सारे काम तुम्हें हो करने होंगे।

राशि ने डर से काँपती आवाज में अपनी सास से कहा,"लेकिन माँजी मैंने शोभित को मना किया था" लेकिन.....

"लेकिन क्या राशि?"सरिता जी ने राशि की बात को बीच मे ही काटते हुए बोली

राशि सास ससुर की बात सुन के रुआंसी हो गयी।

तभी पीछे से शोभित ने कहा,"लेकिन, ये माँ की मुझे मेरी बेटी का खयाल रखने से कोई मना नहीं कर सकता और ना ही मैं किसी की सुनने वाला हूं।अगर एक बेटे के सारे काम उसकी माँ कर सकती है तो बेटी के सारे काम उसका पिता क्यों नहीं कर सकता?"

मुझे माफ कीजिएगा माँ पापा इस गुस्ताखी के लिए। लेकिन मैं हैरान हूं आप दोनो के सोच सुन के एक छोटे से बच्चे में इतना फर्क। अब मुझे समझ आया। आप दोनों अनाया को क्यों अनदेखा करते है?क्यों आप लोगो को पोता चाहिए?लेकिन आज एक बात मैं साफ कर दूँ। आप सब को की मेरी जिंदगी में मेरी नन्ही कली ,मेरी प्यारी बिटिया अनाया की जगह कोई नहीं ले सकता। मैं अनाया से जुड़े अपने पिता होने के सारे फर्ज निभाऊंगा।और हाँ, मेरी समझ से पिता होने का मतलब सिर्फ बच्चो पर पैसे खर्च कर देना भर नहीं होता कि आपने उन्हें महंगे खिलौने दिला दिए,स्कूल फीस भर दी और हो गयी एक पिता की जिम्मेदारी पूरी।मेरी नजर में पिता का भी फर्ज बनता है कि वो भी एक माँ की तरह बच्चे के साथ रात में जागे ,खेले ,उसको खाना खिलाये उसके गंदे कपड़े बदले वो सब कुछ जो एक माँ करती है।वो पिता भी कर सकता है। जब बच्चें के जन्म में दोनों की सहभागिता होती है तो परवरिश में क्यों नही?और इस बात की क्या गारंटी की मुझे दूसरा बच्चा बेटा ही होगा?






जब ईश्वर ने बेटा बेटी के जन्म और प्रसव में कोई भेद नही किये तो हम कौन होते है ये फर्क करने वाले। मेरे लिए बेटे बेटी में कोई फर्क नही।और ना ही मैं समझता हूं कि किसी भी माता पिता को ये करना चाहिए।माँ पापा मुझे नहीं पता कि दूसरा बच्चा क्या होगा? लेकिन अगर आप लोग चाहते है कि मैं दूसरे बच्चे के बारे में सोचूं तो आप लोगो को अपनी सोच मेरी अनाया को लेकर बदलनी होगी.बेटे बेटी का फर्क मिटाना होगा।

शोभित की बात सुन के सरीता जी और रमेश जी चुप हो गए।विचार बदले की नहीं वो तो पता नही।लेकिन उनको इतना पता चल गया कि इस बात को बोलकर कोई फायदा नही।

धन्यवाद
रागिनी अजय पाठक

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