7---
“प्लीज –हैव इट ----“ रिचार्ड बीयर लेकर भानुमति के सामने आ खड़ा हुआ था | भानुमति को झुंझलाहट हुई लेकिन उसने चुपके से रिचार्ड के हाथ से ग्लास ले लिया और हाथ में पकड़े इधर-उधर देखती रही | न जाने राजेश कहाँ गायब हो गया था ?
भानु को आश्चर्य होता था कि जिस कविता के माध्यम से वे दोनों जुड़े थे, वह संवेदना से जुड़ी थी | अचानक राजेश ने कैसे संवेदना को ताक पर रख दिया था ?न जाने राजेश की कविता अब कहाँ खो गई थी ? उसकी संवेदनशीलता ! उसका व्यवहार--–सब ही तो हवा में उड़नछू हो गए थे|
अचानक भानु की दृष्टि राज पर पड़ी | सामने ही बार था, काउंटर पर न जाने कितनी प्रकार की शराब रंग-बिरंगी बोतलों में सजी हुई थीं|राजेश व्हिस्की का ग्लास उठाकर मुड़ ही रहा था कि अचानक टाइट कपडों में फॅसी हुई सी एक युवती उससे आकार चिपक गई |
“हाय डार्लिंग ----“ उसने राज का मुँह चूम लिया | भानु आवक रह गई |
“ओह ! मिस रुक !”राजेश के चेहरे पर जैसे किसी ने फूल खिला दिए |
“ये मिस रुक क्या होता है ? कितनी बार बताया –बस ‘रुक’ बहुत है ---“ उसने जैसे एक प्रेयसी की भाँति रूठते हुए शिकायत की |
“ओ. के ---रुक ---“ राजेश ने लापरवाही से कहा और एक हाथ से उसे अपने बहुत करीब सटा लिया | उसने एक बेशर्म दृष्टि उस ओर फेंकी जहाँ भानु कोने के सोफ़े में अपने हाथ में बीयर का ग्लास लिए बैठी थी जो रिचार्ड उसे थमा गया था | उसकी दृष्टि उस लड़की पर घूमने लगी थी जो राज से चिपटी हुई थी |
भानु ने देखा राज उस लड़की को अपने से चिपकाए बड़ी बेशरमी से भानु की ओर ही बढ़ता आ रहा था | भानु ने अपनी दृष्टि उसकी ओर से हटा ली लेकिन वह कुछ ही देर में उसके सामने था | लड़की वैसे ही उससे चिपकी खड़ी थी |
“यू औलवेज़ आस्क मी । कम ऑन मीट माय वाइफ़ भानु ---“ बेशर्मी से राज ने उस लड़की से कहा |
“ओ ! यू आर बानुमति ! आई सी ---“
वह लड़की अंग्रेज़ तो लग नहीं रही थी फिर क्यों उसका नाम ठीक से नहीं ले पा रही थी ? ओह ! भानु के मन में हँसी फूटने को हुई जिसे उसने बाहर ज़ाहिर नहीं होने दिया | यह अंग्रेज़ियत दिखाने का एक एक तरीका था ! उसे इस बेवकूफी पर बेचारगी लगी | क्या –क्या पागलपन करते हैं लोग दिखावे के लिए ! उसने मन में सोचा |
“योर हनी ओलवेज़ टोल्ड में अबाउट यू ---सो ग्लैड़ टू मीट यू ---!” वह ऐसे चहकने लगी थी जैसे उसे कोई अनमोल आभूषण मिल गया हो | बनावटी, नाटक ---भानु की आँखों में चुभा |
लड़की ने भानु की ओर अपना हाथ ‘हैलो’ के अंदाज़ में आगे बढ़ा दिया था |
भानु ने अपने हाथ का बीयर का ग्लास कोने में रखी मेज़ पर रख दिया और उसकी ओर अपने दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते कर दी | वह अंग्रेजनुमा लड़की खिसिया गई |
“यूअर हनी ओल्वेज़ यूज्ड टू टेल मी, यू आर नॉट लाइक अदर मोड्स ---“ खिसियाहट में उसके मुख से यह मंत्र निकला | वह बेहद खिसिया चुकी थी और राजेश भीतर से भुना जा रहा था |
“मैं भारतीय हूँ ---“ भानु ने मुस्कुराते हुए कहा |
“सो—आय ----“ चिपके हुए कपड़ों वाली लड़की ने अपने शरीर को मटकाकर कहा |
“ऊँहूँ---लगती तो नहीं हो ---“ भानु खुलकर मुस्कुरा दी | उसे इस सब में बड़ा मज़ा आने लगा था |
अब तो दोनों का पारा सातवें आसमान पर था जो उनकी शक्ल पर बिखरा पड़ रहा था |
“व्हाट ---आय एम एन इंडियन –पक्की इंडियन !” वह गुस्से से बोली |
“यू हैव इनस्ल्टेड मी ----“ वह बिफरने की तैयारी में थी कि रिचार्ड को देखकर चुप लगा गई |
“माफ़ कीजिए, मैंने आपका अपमान नहीं किया | आप खुद ही अपना अपमान कर रही हैं ---“ वह मुसकुराती हुई वहीं बैठी रही |
“शटअप भानु –राजेश ने उसे घूरते हुए कहा | अपने हाथों में ड्रिंक पकड़े हुए कुछ मेहमान उस ओर खींचे चले आए थे तमाशा देखने |
“ भानुमति किसीका अपमान नहीं कर सकते हैं ---यू आर मीटिंग हर फर्स्ट टाइम, शी इज़ ड़ प्राइड ऑफ इंडियन वुमेन –आई नो हर वैरी वैल ---“ रिचार्ड ने बिना बात ही उसकी प्रशंसा कर डाली | वह चुप हो गई लेकिन क्रोध तो उसको भी आने लगा था | राजेश व रुक का तो कहना ही क्या ?खिसियाए हुए से एक ओर खड़े हो गए थे |
“ डोंट मेक हर इर्रीटेटेड ---डोंट बी नॉटी एंड चीप ---“ रिचार्ड ने दोनों के छ्रे पर बारह बजा दिए थे |
रिचार्ड इतनी अच्छी हिन्दी बोल लेता है ! भानुमति को आश्चर्य हुआ | उसने अपनी पीठ पर रिचार्ड का हाथ महसूस किया और असहज होने लगी |
“थैंक्स फॉर युअर सिंपैथी मि.रिचार्ड ।आय एम ओके |वी वर जस्ट डिस्कसिंग -- “
“ओ. के ---“ रिचार्ड ने भानुमति का हाथ पकड़ा और उस बड़े से हॉल के दूसरे कोने में ले गया |वह कैसे कठपुतली की भाँति खींचती चली गई ! उसके सामने एक खूबसूरत पियानो था|
रिचार्ड के आते ही पार्टी एंजॉय करते लोग इधर-उधर खिसक गए थे वर्ना उन सबके लिए वह नाइट शो हो जाता |
“दिस इज़ युअर प्लेस ---प्लीज सिंग ए माइलोडियस सोंग फॉर अस ---“ रिचार्ड उससे रिक्वेस्ट कर रहा था और वह फटी हुई आँखों से उसे व पूरे माहौल को देख रही थी |
“शी इज़ वैरी नाइस पोएटेस एंड सिंगर ---“ चारों ओर से तालियों की गड़गड़ाहट होने लगी | भानुमति को कुछ समझ में नहीं आ रहा था | रिचार्ड को उसके बारे में कितनी बातें पता थीं | ज़रूर यह राजेश की ही करामात थी अन्यथा ----वह उसे आस-पास कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा था जो उसे लेकर आया था |
****