Born Himachal. in Hindi Biography by Akshika Aggarwal books and stories PDF | जनन्ते हिमाचल .

Featured Books
Categories
Share

जनन्ते हिमाचल .


दिल्ली तपती गर्मी से झुलस रही थी, दिल्ली के सूरज देवता के मिजाज कुछ अधिक ही गर्म थे और दिल्ली की आवाम प्राकृतिक शीतलता के लिये तड़प रही थी. सबकी तरह मुझे और मेरे परिवार को बेसबरी से इंतजार था जून से जुलाई तक होने वाली गर्मियों की छुट्टियों का, जिसका लुत्फ़ उठा ने हम सह परिवार शिमला गये थे, 23जून 2016 से लेकर 27जून तक वो पर्यटन यात्रा हम सबके लिये जीवनभर अविस्मरणीय है।हम सब शिमला में दिल्ली की गर्मी और भागा दौड़ भरी जिंदगी से दूर जाकर सुकून और मस्ती भरे लम्हे बिताने के लिए बेहद उत्तेजित थे, परंतु मेरे दिव्यांग होने के चलते मेरी ये यात्रा जहाँ एक ओर बेहद उल्लास भरी वहीं दूसरी और शिमला के कई देखने के लिये जाने वाली जगहों पर सुलभ इंफ्रास्ट्रक्चर के ना होने के चलते चनौतियों से भरी हुई भी साबित होने वाली थी। परंतु मैं शिमला की प्राकृतिक सुंदरता को देखने के लिए इतनी उत्साहित थी की मैं अपनी सारी कठिनाईयों जैसे बस में बार बार चढ़ना- बस ऊँची थी और उसमें हम जैसे यात्रियों के चढ़ने के लिये कोई सुविधा उपलब्ध नही थी, जिसके कारण मुझे चार लोगो के सहायता से बस में चढ़ना पड़ा जो हम सब के लिये कठिन साबित हुआ। इसके साथ वहाँ के होटल में भी बहुत सीढ़ियां थी जहां मुझे खासी दिक्क्त का सामना करना पड़ा। लेकिन इन सबको भुलाकर मैं शिमला की सुन्दर वादियों पहाड़ो और नजारों में इतना खो गयी की अब शिमला मेरे लिये किसी जन्न्त से कम नही। मैं वहां के प्रसिद्ध मालरोड व कुफ्री घुमी बहोत शॉपिंग की खूब सारे लज़ीज पकवान खाये इन सब से ऊपर मैंने शिमला की सुन्दरता को अपने दिल और कैमरे की तस्वीरों में कैद कर लिया जो आज भी मेरी यादें तरो ताजा कर देती हैं। वहां के सुहावने मौसम का कोई जवाब ना था जो हर पल मुझे एक नया सुकून और रुमानियत देता था। वहां मैंने अपने जीवन को बे इम्तेहां खूबसूरत महसूस किया। शिमला की शान में दो पंक्तियां आप सब के स्मक्ष रखना चाहूंगी जन्न्त ए हिमाचल प्रदेश है शिमला, जन्न्त ए हिमाचल प्रदेश है शिमला। शिमला की वादियों ने मुझे दर्द में भी सुकून मिला, अब मुझे जीवन से नही है कोई भी गिला। सफर को मुक्कमल बनाने में मेरे पापा का बहोत बड़ा हाथ था। कहते है, अगर बेटा होता हर माँ की आन
तो हर बेटी होती है अपने पापा की जान। मेरा मानना है वैसे तो हर पापा होते अपनी बेटी के सुपर मेन
मुश्किल में ढूंढते है अपने पापा को हर बेटी की नैन।
मेरी इस मान्यता को मेरी पापा ने इस ट्रिप में पूरी तरह सिद्ध किया।जाने से 30दिन पहले पाँव में फ्रैक्चर हो गया था। मेरी ख़ुशी के लिए उन्होंने इस ट्रिप को प्लान किया। वहाँ मेरी हर मुमकिन मदद की। मुझे बस में और होटल की सीढियो में तो चढ़ाया ही इसके साथ अपने पैर के दर्द को भुलाकर मुझे शिमला के पहाड़ों बसी हर जगहों पर घुमाया ताकि मैं इस ट्रिप का पूरा आनंद उठा सकूँ इस वाख्य ने मेरे दिल को छू लिया और इसी लिए मेरे दिल से आवाज आई की "जन्न्त ए हिमाचल प्रदेश शिमला को ना भूल पायेंगे। "
अक्षिका अग्रवाल।