The Dreamer Time-Line - 1 in Hindi Thriller by Bhumesh Kamdi books and stories PDF | The Dreamer Time-Line - 1

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The Dreamer Time-Line - 1

The Dreamer Time-Line

               ( भाग -1 )

 

कभी आपके साथ ऐसा हुआ है की आप चीखते हुए रात के सन्नाटे में नींद से जाग उठे हो | आपने खुदको पसीने में तर्बदर पाया हो और आपका पूरा शरीर डर में काप रहा हो | फिर ये सोच आपने राहत की सास ली हो की वो बस एक सपना था लेकिन अगर में कहू की वो सपना सच था तो |

The dreamer Time-Line एक ऐसी कहानी जो सपनो की दुनिया को उजागर कर उसमे छुपे डर और रहस्यों से आपको मुलाक़ात कराएगी |

उत्तराखंड के एक पहाड़ी इलाके के बिच अपने छोटे से लकड़ी के घर में बैठा Ritwik रोज की तरह एक और किताब ख़तम करने में व्यस्त था | वैसे तो उससे हर तरह की किताबे पसंद थी लेकिन thriller और Mystry से भरी कहानिया उसको ज्यादा पसंद थी | वो अक्सर एक नयी स्टोरी के किताब के खोज में पास के एक लाइब्रेरी जाता | और फिरसे कोई किताब ले बैग में लेकर घर की और आ जाता |

Ø अरे..कुछ काम-धाम भी करेगा या घर पर ही इसी तरह पड़ा रहेगा ,में तो इस लड़के से तंग आगई हूँ, आखिर कब तक मेरे भरोसे यूँही अपना गुजारा करेगा | निचेस उसके माँ ने आवाज लगाई और फिर अपने काम में व्यस्त हो गयी |

पर वो भी क्या करता पहले तो उससे कोई नौकरी नहीं मिलती और जब मिलती तो उसे कुछ ही दिन में निकाल दिया जाता | लोगो का मानना था पुरे इलाके में उससे बड़ा मुर्ख व्यक्ति कोई नहीं | दुबला पतला और हकलाता Ritwik अब अकेला हो चला था | नाहीं उसके कोई दोस्त रह गये थे और नाहीं जीवन से कुछ आशा |

कुछ देर जब माँ की आवाज बढ़ने लगी तो वो घरसे बाहर निकल उसी लाइब्रेरी पोहोच गया और कोने की टेबल पकड़ वहा बैठ गया | उसकी ये किताब The Ghostman भी कुछ ही समय में ख़तम हो गयी |

वो वापस उठ एक नयी किताब के खोज में लग गया पर आज नजाने क्यों उसे कुछ किताब पसंद नहीं आरही थी | कभी किसीका title पसंद नहीं आता तो कभी कवर पेज पसंद नही आता , देखते देखते नजाने कब शाम हो गयी उसे पता ही ना चला |

Ø अरे भैया लाइब्रेरी बंद होने का समय हो गया है, बाहर अँधेरा हो चला है चलिए बाहर निकलिए, सामने बैठे लाइब्रेरियन ने कपडे से टेबल को साफ़ करते हुए उसकी और देखा |

 

जी बस पांच मिनट...

Ritwik लाइब्रेरी का वो हिस्सा लगभग पूरा छान चूका था जहा thriller और Mystry किताबो का सेक्शन था पर आज उसे ऐसी कोई किताब दिख नहीं रही थी जिसे वो ले सके | थकहार के अपने घर को पीछे मुड़ा ही था की उसे लाइब्रेरी का एक ऐसा हिस्सा दिखा जो अँधेरे में खोया था | वो जब उस और बड़ा तो वहा बस धुल ही धुल थी, और चारो और मकड़ी के जाले मानो उस हिस्से पर कब्ज़ा किए बैठे थे | वहा कुछ अजीब सी बात थी ऐसा लगता था मानो वहा कुछ असाधारण हो | Ritwik उस हिस्से को देख हैरान था वहा कई किताबे थी लेकिन सब के सब बोहोत पुरानी दिखती थी | ऐसा लगता था मानो वो antic हो और सालो से वहा पड़ी हो |

उसने एक-एक कर फूकते हुए और अपने हातो से जमी धुल को मिटाते हुए हर किताब को देखना शुरू कर दिया की तभी उसकी नजर एक ऐसे किताब पर गयी जिसने मानो उसका ध्यान अपनी और खीच लिया हो | बड़ी सी वो किताब बाहर से एक मोटे गद्दे की बनी थी | शायद उस तरीके की किताब शायद उसने कभी पहले देखी भी ना थी| किताब के बाहर वाले हिस्से पर कंकाल के आकर में चित्र बनाई गयी थी | Ritwik उस किताब की और कुछ पल देखता रहा |

अचानक एक आवाज ने उसके रौंगटे खड़े कर दिए वो आवाज उस किताब से आरही थी और वो उसका नाम दौरा रही थी | Ritwik.... Ritwikk ....

Ritwik ने अपने हाथो से उस किताब को उठा लिया | उसपर लिखा था “The Mystry of your Life “ वो उस किताब को हैरानी में देखने लगा कभी वो उसे उल्टा कर के देखता तो कभी बाहर के और लिखे शब्दों को ध्यान से देखने लगता | वो खुली आँखों से उसे  हक्का बक्का हो कर देखने लगा | थोडा ठहर उसने हिम्मत कर किताब खोल दी, अन्दर के पन्ने चमक रहे थे | ऐसा लगता था मानो वो पन्ने से निकली किरणे कुछ छुपे राज कहना चाहती हो |

उसने कहानी पढनी शुरू की ये कहानी एक बच्चे की है जो एक छोटे पहाड़ी इलाके में रहता था जिसके पिता बचपन में ही चल बसे उसका नाम..| उसका नाम Ritwik था......!!

Ritwik के पाओ-तले जमीं खिसक सी गयी | उसके चहेरे पर खौफ के बादल साफ़ देखे जा सकते थे, उसका सर चकराने लगा |

Ø अरे मेने कहा लाइब्रेरी बंद करने का समय को चूका है||| दुरसे आती लाइब्रेरियन की आवाज ने Ritwik को वास्तविकता का अहेसास कराया | वो तो मनो किताब संग किसी और दुनिया में खो चूका था |

  हा हा ||बस निकल रहा हु |

Ritwik ने जल्दी में वो किताब अपने बैग में डाल ली और बाहर की और निकलने लगा | बाहर जाते वक़्त वो उस लाइब्रेरियन के आँखों में आंखे डाल देखे जा रहा था |

Ø तुम पीछे वाले हिस्से में तो नहीं गए, वो area allowed नहीं है|| लाइब्रेरियन आगे बढ़ Ritwik को रोकता वो तेज कदमोसे बाहर की और निकल गया |

बिना रुके, भागते सीधे कदमोसे वह अपने घर आगया और अपना कमरा अन्दर से बंद कर लिया | उसके चहेरे पर डर साफ़ दिख रहा था | वो इस उलझन में पड़ा था की उसने जो देखा वो सच था या फिर उसका वहम |

Ø अरे.. खाना तो खाले, उसके बाद लगे रहना अपने खयालो की दुनिया में | माँ की आवाज सुनने के बाद भी उसने हा तक ना भरी |

उसने बेचैनी में उस किताब को बाहर निकाला और कुछ देर सोचने के बाद उसे खोल पढने लगा | हर पन्ने के साथ वो किताब उसकी ही जिंदगी सामने लेकर आ रही थी | वो उस लेखक के शब्दों में अपना बिता जीवन साफ़ पढ़ सकता था | कैसे वो बचपन के कहानी के दुनिया में खो जाता था , कैसे वो जब गहरी नींद में ऐसे सपने देखता था जिसपर उसका यकीन करना मुश्किल होता था तो उसे वो एक डायरी में लिख लेता था | किसीको मेरे बारे में ये सब कैसे पता ? मेरी डायरी के बारे में तो खुद माँ भी नहीं जानती ?

वो आशचर्य में किताब पढता गया| उस किताब में उसके जन्म से लेकर अभी तक का पूरा सच मौजूत  था|

पढ़ते-पढ़ते जब रात के दो बज गए और वो उस पन्ने तक पंहुचा, जहा लिखा था Ritwik को एक दिन उसी लाइब्रेरी में एक रहस्यमय किताब मिलती है और उससे वो खोलकर पढने लगता है तो वो भयभीत हो वो बस देखता रहा | उसने जब पन्ना पलटा तो आगे के पन्ने कोरे थे | उसके आगे कुछ लिखा ही नहीं था | वो हड़बड़ी में सारे पन्ने पलटने लगा और आखरी पेज तक पहुच गया लेकिन आगे के पेज शब्द विहीन थे |

Ritwik के हाथ-पाओ सुख चले थे, वो अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं कर पा रहा था | वो इतना भयभीत हो चूका था की उसकी साँस अटक सी गयी थी, ऐसा लगता था की वो हवा को फेफड़ो से खीच ही नहीं पा रहा हो | कमजोर से इस हालत में किसी तरह उसने किताब बंद कर वापस बैग में डाल दी और ताजी हवा लेने खिड़की के करीब आगया | वो खिड़की खोल बाहर की हवा में जोर-जोर से सांसे लेने लगा | वो इतना थक गया था की उसका पूरा शरीर जवाब देने लगा और नीद उसके आँखों पर भारी पड़ने लगी | कुछ ही देर वो भरी सोच में सो गया |

वो और गहरे नींद में जाता की अचानक एक आवाज सुन वो उठ गया | Ritwik Ritwik

ऐसी अलग आवाज मानो वो आवाज उसके बेहद करीब थी शायद उसके कानो के पास | उसने चारो और नजरे घुमाई, उसने जो देखा वो बेहद डरावना था |

वो तो एक कुवे के ऊपर बैठा हुआ था , चारो और दूर-दूर तक सिर्फ बंजर जमीं और कुछ नहीं|

बिच्छु और अनेक जानवर जमीं के दरारोसे बाहर निकल रहे थे | भयानक अंधकार इस दृश्य को और भी खौफनाक बना रहा था |कभी एक और से दिल-दहला देने वाली आवाज आती , कभी दूसरी और से | वो आवाज आम आवाज नहीं थी |

Ritwik उस कुवे से उतर एक और चलने लगा वो हर पाओ यह सोच बढ़ा रहा था की अब नजाने ऐसा क्या होगा जो उसके प्राण लेले | उसे आगे एक ओर वीरान पड़ी कुटियाँ दिखी जिसके आस-पास जानवरो की कई हड्डिया पड़ी थी, वो हड्डिया अजीब सी जानवरों की थी | कुटियाँ के अन्दर से अजीब सी रौशनी बाहर आ रही थी | Ritwik ने कुछ सोच आवाज लगानी शुरू कर दी |

कोई है...? अन्दर कोई है...? लेकिन उस कुटियाँ में अभी भी बस सन्नाटा था | वो आगे बढ़ता तो अंदर से आवाज आई |

Ø आओ Ritwik || अन्दर आजाओ....!

वो हैरान हो गया..! भला अन्दर बैठे उस व्यक्ति को उसका नाम कैसे पता | लगता हे मैं सपना देख रहा हु मुझे जल्दी उठना होगा | वो तेजीसे अपने हाथों को चहेरे पर थप-थपाने लगा | लेकिन वह अभी भी वही खड़ा था |

थोड़ी देर वही खड़े रहने के बाद उसने डरते डरते उस कुटियाँ में प्रवेश किया |

तुम....?

 Ritwik उसकी और बढ़ता की उस व्यक्ति ने अपना सर ऊपर किया, उसकी बड़ी सफ़ेद दाढ़ी थी और वो अपनी भूरी आँखों से उसकी और देख रहा था | उसकी आँखों की पुतलिया के बिच एक सफ़ेद गोलाकार बिंदु देखी जा सकती थी | Ritwik मानो पूरा कापने लगा, खौफ इतना की उसके भीतर हड्डी तक छुने लगा|

Ø मैं ... मैं उस किताब का लेखक | वो किताब मैंने ही तो लिखी है और आगे भी में ही लिखूंगा |

ये सब मेरी बस कल्पना है| तुम...तुम वास्तविक नहीं हो ! में, में नींद में हु | Ritwik ने अपने कदम पीछे की और कर लिए |

Ø वो जो कहानी जो तुमने किताब में पढ़ी वो वास्तविक थी , या फिर यहाँ जहा तुम खड़े हो ये वास्तविक है | कही ऐसा तो नहीं , वो जीवन तुम सपने में देख रहे थे और ये जीवन ही तुम्हारा सत्य हो |

में समझा नहीं ||?

Ø तुमने अपने कपडे देखे हे ??

उसने तुरंत अपनी कपड़ो की और देखा | वो एक बड़ा कवच पहने हुए था, वो कवच लोहे का बना था |ये सब क्या है ? मुझे कुछ समज नई आ रहा?

Ø लो ये किताब पढो | ये तुम्हारी आज की कहानी है | तुम्ही निर्णय ले लो , तुम्हारा कोनसा जीवन सच हे..?

 

आखिर क्या है Ritwik का सच..?

क्या उसका ये जीवन सच था जहा वो एक पहाड़ी इलाके में रहता, या फिर वो जीवन जिसे वो सपना समझ रहा था | 

  आगे की कहानी ( part 2 ) में .. tobe continued…