Secret Admirer - 8 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Secret Admirer - Part 8

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Secret Admirer - Part 8

"तुम्हे जाना नही है साहिल? आज तुम्हे कोई काम नही है क्या?" कबीर बातों का रुख बदलने की कोशिश कर रहा था लेकिन साहिल इतनी आसानी से चिढ़ाने का काम छोड़ना नहीं चाहता था।

"ओह भईया, मैं नाश्ते के बाद चला जाऊंगा। तोह हम कहां थे भाभी? मुझे उम्मीद है आप कल रात ठीक से सोए होंगी?

"ओह येस। आई डिड। मेरा मतलब है की मुझे लगा था की नींद नहीं आएगी क्योंकि यह नया बैड है ना। पर वोह मैट्रेस तोह बहुत ही कंफर्टेबल था बैड पर लेटते ही नींद आ गई। और सुबह भी मुझे अपनी इतनी अच्छी नींद तोड़ने का मन नहीं कर रहा था।" अमायरा बस बड़बड़ाए जा रही थी बिना इस बात पर ध्यान दिए की यह सवाल उसे चिढ़ाने के लिए किया गया है।

"दी। इसलिए मैने आपसे पहले भी कहा था। हमे अपने घर के गद्दे भी बदल देने चाहिए थे। पर कोई बात नही अब इसकी कोई जरूरत नही है," अमायरा ने इशिता की तरफ देख कर कहा और इशिता ने कुछ बोलने से पहले बस अपना सिर हिला दिया।

"अमायरा को अपनी नींद बहुत प्यारी है," इशिता ने सबकी तरफ देख कर कहा। उसके बाद इशिता ने अपनी नज़रे अमायरा पर टिका दी जैसे वोह उसे चुप होने के लिए इशारा करना चाहती हो। जब उसने महसूस किया दोनो भाई धीरे धीरे मुस्कुरा रहे हैं तो वोह भी उनमें शामिल हो गई और हसने लगी जिससे अमायरा कन्फ्यूज्ड हो गई।

"क्या? क्या हुआ? क्या मैने कोई जोक मिस कर दिया?" अमायरा ने हैरानी में पूछा। उसने देखा सभी उसकी तरफ देख कर हस रहें थे और सबसे हैरानी की बात तोह यह थी की उसका अकड़ू पति भी उसपर हस रहा था। वोह सभी उस पर हस रहें थे? लेकिन क्यों?
"कोई मुझे बताएगा की यहां हो क्या रहा है? आप सभी क्यों हस रहें हैं?" अमायरा ने फिर पूछा।

"तुम्हारी वजह से," सुमित्रा जी किचन से निकल कर डाइनिंग टेबल की तरफ आ गई थी। और बाकी सभी उन्हे हैरानी से देख रहे थे की कहीं उन्होंने उनका मज़ाक सुन तोह नही लिया।

"मेरी वजह से? क्यों?" अमायरा अभी भी कन्फ्यूज्ड थी।

"मुझे हमेशा से पता था की तुम ही हो जो मेरे कबीर के लिए अच्छी हो। वोह तुम्हारे उसके जिंदगी में आने के बाद हसने लगा है। हो सकता है मैं यह बात कई बार कबीर को बोल चुकी हूं लेकिन मैं वोही कह रहीं हूं जो मैं देख रहीं हूं। तुम उसके लिए लकी हो और हम सब के लिए भी।" फिर इशिता की तरफ देख कर। "इशिता, कभी यह मत समझना की मैं तुम्हे कोई वैल्यू नही दूंगी। एक्चुअली मैं थोड़ी सी कंसर्न कबीर के लिए हूं, पर अब अमायरा के आने के बाद, कबीर की तरफ से अब मुझे थोड़ा रिलीफ है।"

"नो आंटी। मुझे पता है आप मुझसे और अमायरा से एक जैसा प्यार करती हैं। तोह आपको कभी भी मेरे सामने ये एक्सप्लेन करने की जरूरत नहीं है। इन फैक्ट, मुझे तोह बहुत खुशी है अगर आपको ऐसा लगता है की मेरी बहन इस घर के लिए लकी है," इशिता ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

"तुम दोनो ही हमारे लिए लकी हो। अच्छा हुआ की मैने कबीर और अमायरा की शादी की बात रखी वरना तोह मैं दोनो को ही खो देती। दोनो ही मेरे लिए सबसे प्यारी हो।" सुमित्रा जी को अपने ऊपर नाज़ होने लगा था।

"क्या हम अब नाश्ता कर सकते हैं? डैड कहां हैं?" कबीर इस बातचीत से असहज महसूस करने लगा था। जबकि अमायरा बिलकुल चुपचाप बैठी थी। उसे तोह पता था ना की उसके और कबीर के बीच क्या रिश्ता है और इस रिश्ते की सच्चाई क्या है।

"वोह बाकी के अरेंजमेंट्स देखने गए हैं और हिसाब करके आयेंगे और फिर कुछ रिश्तेदारों की आज ट्रेन भी है तोह उन्हे होटल से ही स्टेशन छोड़ कर ही फिर घर आयेंगे।" सुमित्रा जी ने जवाब दिया।

"ठीक है। चलो फिर खाना शुरू करते हैं," इशान ने कहा।

"तुम्हारे हनी मून का क्या प्लान है?" सुमित्रा जी ने अपने दोनो बेटों की तरफ देख कर कहा।

"हम सोच रहें थे की हम सब कहीं जाए। मतलब चारों एक साथ घूमने जाएं," इशिता ने जवाब दिया।

"क्या? किसने यह प्लान बनाया बिना मुझसे पूछे?" अमायरा बीच में बोल पड़ी।

"मैने और इशिता ने। हम आप दोनो से डिस्कस करने ही वाले थे," इशान ने जवाब दिया। "हम सोच रहें हैं की पूरा यूरोप घूम कर आएं। वहां कोई फेमस कंट्री नही घूमेंगे। हम सोच रहे थे की जो छोटे छोटे कंट्रीज हैं जो बाकियों से ज्यादा खूबसूरत है और जिनके बारे में ज्यादा लोग जानते नही है, हम वोह डिस्कवर करेंगे।"

"और इस पूरे यूरोप ट्रिप को घूमने में कितना वक्त लगेगा?" कबीर ने आश्चर्य रूप से पूछा।

"तकरीबन एक महीना तोह लगेगा," इशान ने धीरे से कहा।

"तुम्हे क्या लगता है की मेरा काम ऑटो मोड पर एक महीने तक चलता रहेगा," कबीर हल्का चिढ़ कर कहा।

"कम ऑन भाई। क्या फायदा इतना बड़ी कंपनी का हैड होने में अगर आप कुछ दिन की छुट्टी भी न ले पाओ?" इशान ने मनाने की कोशिश की।

"कबीर यह तुम्हारा हनीमून है। तुम्हे इसके लिए कुछ तोह सोचना पड़ेगा," सुमित्रा जी ने बात आगे बढ़ाई।

"मैं नही कर सकता मॉम। मैं इतने लंबे समय के लिए अपना काम नही छोड़ सकता," कबीर ने कहा।

"और अमायरा का क्या? अगर वोह जाना चाहे तोह?" सुमित्रा जी ने फिर पूछा।

"मैं भी नही जा सकती आंटी। मुझे भी काम है," अमायरा ने जल्दी से जवाब दिया।

"तुम किस काम की बात कर रही हो?" इशिता ने अमायरा को घूर कर देखा।

"मेरी इंटर्नशिप दी। आप तोह जानती हो ना," अमायरा ने कॉन्फिडेंटली जवाब दिया।

"ओह कम ऑन इशिता। तुमने अभी तीन महीने पहले ही तोह ज्वाइन किया है। वोह तोह इसके लिए तुम्हे पे भी नही करते हैं। तुम वापस आने के बाद फिर कोई दूसरी फर्म ज्वाइन कर लेना," इशिता ने आगे कहा।

"मैं ऐसा नहीं कर सकती दी। मैं उन्हे अपने आप को अनप्रोफ्फेशनल कहने का मौका नहीं दे सकती। मुझे वहां छह महीने काम करना ही होगा ताकि मैं वहां से अपना सर्टिफिकेट ले सकूं। और फिर उसके बाद मेरे अनाथ आश्रम के बच्चों का क्या? उन्हे कौन पढ़ाएगा फिर? मिस्टर मैहरा इस बारे में सब जानते हैं और उन्हें कोई दिक्कत नही है इससे," अमायरा ने एक झटके में अपनी बात कही बस लास्ट वाली लाइन को कहने में थोड़ा झिझकी। और कबीर वोह तोह समझने की कोशिश कर रहा था की अमायरा ने अभी क्या कहा। कौन सी बात उसे पता थी? क्योंकि उसे तोह पता ही नही था की अमायरा कहां काम करती है? क्या काम करती है? उसने सोचा की काश कभी उसने उससे पूछ लिया होता इस बारे में तोह ऐसी सिचुएशन में वोह नही फसता।

"तुम दोनो ही इसके लिए थोड़ा टाइम क्यों नही निकालते? शादी ब्याह बार बार थोड़ी ना होता है?" सुमित्रा जी नाराज़ हो गई थी।

"तुम्हे तुम्हारा हनीमून एक फैमिली ट्रिप की तरह क्यों चाहिए इशान? तुम दोनो क्यों नही चले जाते? इन फैक्ट, मैं तुम्हारा ट्रिप स्पॉन्सर करूंगा। अगर तुम दोनो चाहो तोह दो महीने लो और खूब एंजॉय कर के आओ," कबीर ने कहा।

"ओह तोह आपको अपने हनीमून पर अकेले जाना है इसलिए हमे भी अकेले भेज रहे हो," इशान ने कबीर को चिढ़ाते हुए कहा।

"मॉम, आप प्लीज समझने की कोशिश कीजिए। इशान छुट्टियां ले सकता है लेकिन मैं नही। वोह डैड के साथ काम करता है। वोह अपने कनविनियन के अकॉर्डिंग काम करता है, उसे किसी को जवाब नही देना। लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं है, मैं किसी और के लिए काम करता हूं और मेरी कुछ जिम्मेदारियां भी है," कबीर अपनी मां सुमित्रा जी को समझाते हुए बोला।

"हम चाहते हैं की आप हमारे साथ चलो क्योंकि हम जानते हैं की अगर हम अकेले चले गए तोह आप कहीं और नहीं जाओगे," इशान ने गंभीरता से कहा।

"हां। इसलिए मैं भी चाहती हूं की तुम और अमायरा इन दोनो के साथ जाओ," सुमित्रा जी ने भी अपनी बात जोड़ी।

"ओके मॉम। अगर आपको ऐसा लगता है तोह हम जायेंगे। जरूर जायेंगे। पर अभी नही। मुझे थोड़ा समय चाहिए ऑफिस में काम को मैनेज करने के लिए। अभी इशान और इशिता को जाने देते हैं। जब मुझे लगेगा की मेरे ऊपर काम का कम प्रेशर है तोह मैं अमायरा के साथ ट्रिप प्लान कर लूंगा। तब तक अमायरा की इंटर्नशिप भी पूरी हो जायेगी। अब तोह सही है?"

सुमित्रा जी ने बदले में कोई जवाब नही दिया। वोह चुप बैठी रहीं।

"मैं ठीक कह रहा हूं ना, अमायरा?" कबीर ने सीधे अमायरा से सवाल किया।

"हां। हां। हम बाद में चले जायेंगे। अभी मैं भी अपना काम नही छोड़ सकती। मैने वेडिंग के लिए, ऑलरेडी काफी छुट्टियां ले रखी थी," अमायरा ने जवाब दिया। ऐसे अब थोड़ा रिलीफ लग रहा था इस झमेले से बाहर निकल कर।

"ठीक है, अगर तुम दोनो ऐसा कह रहे हो तोह। अब यह टॉपिक यहीं खत्म करते हैं। इशान, तुम अपना प्लान कंटिन्यू रखो, कम से कम तुम दोनो ही चले जाओ," सुमित्रा जी ने आधे दुखी मन से कहा और हनीमून का टॉपिक खतम कर दिया।

"थैंक यू, मुझे समझने के लिए मॉम," कबीर ने अपनी मॉम के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा।

"कबीर, तुमने अमायरा के लिए क्या खरीदा है?" सुमित्रा जी ने अचानक पूछ दिया। और कबीर के मुंह में रखा हुआ निवाला जो उसने अभी अपने मुंह में रखा था वोह अटक गया और वोह खासने लगा।

"क्या? उसके लिए क्या?"

"हां। क्या? वैडिंग गिफ्ट?" इशान शक भरी निगाहों से देखते हुए बोला। "अब यह मत कहना की आपने कुछ नहीं खरीदा भाभी के लिए क्योंकि मैंने आपको कई बार याद दिलाया था और जब मैं खुद इशिता के लिए गिफ्ट लेने जा रहा था तब भी याद दिलाया था।" और फिर इशिता की तरफ देख कर आगे बोला, "बाय द वे इशिता, अपनी रिंग दिखाओ जो मैं तुम्हारे लिए लाया हूं।"














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