पूरा घर खुशियों से भरा हुआ था। सुमित्रा जी तोह सातवे आसमान पर थी। और वोह इधर से उधर भागने में बिज़ी थी। असल में वोह मेहमानो को खाना खिलाने का काम कर रहीं थी। बस खातिर दारी में कोई कमी ना रह जाए इसका पूरा ध्यान रखे हुए थी। उनके लिए यह कोई छोटी बात नही थी की उनके बेटे ने फाइनली शादी कर ली है वोह भी उनकी चॉइस की लड़की से। और अब जब शादी अच्छी तरह से संपन्न हो चुकी थी और वोह अपनी बहुओं को घर भी ला चुकी थी, तोह वोह थोड़ा रिलीफ महसूस कर रहीं थी। ऐसी शांति उनके मन को मिली थी जिसके लिए वोह पांच साल से तड़प रहीं थी। वोह बहुत खुश थी अपने दोनो बेटों के लिए स्पेशली सबसे बड़े के लिए, कबीर के लिए।
"सुमित्रा, तुम अब आराम क्यों नही कर लेती? कबसे भागा दौड़ी में लगी हुई हो। शादी की सभी रस्में खतम हो चुकी हैं। अब तुम्हारी कहीं कोई जरूरत नही है किसी भी रीती रिवाज़ में। अब तुम्हे अपने स्वास्थ पर ध्यान देना चाहिए। इतना काम करोगी तोह बीमार पड़ जाओगी," इंद्रजीत जी ने अपनी पत्नी को प्यार और दुलार से डपटते हुए कहा।
"पर शादी के बाद भी तोह बहुत सारी रस्में होती हैं ना। उनका क्या?" सुमित्रा जी ने चिंता जताते हुए कहा।
"उनको बाद में भी किया जा सकता है, सुमित्रा। तुम भी थक गई हो और बच्चे भी। अब बाकी की जो भी रस्में बची हैं वोह कल होंगी। आज के लिए सब खत्म करो अब। बच्चों से कहो अपने अपने कमरे में जाके आराम करें और उसके बाद तुम भी आराम करो। बहुत देर हो चुकी है पहले ही।" इंद्रजीत जी ने सुमित्रा जी को समझाते हुए कहा।
"पर कुछ ही रस्में तोह हैं, अभी ही खतम हो जाए तोह ज्यादा अच्छा रहेगा ना।" सुमित्रा जी ने उनकी बात काटते हुए कहा।
"तुम्हारी बहुएं कहीं नहीं भाग रही। अब वोह यहीं रहेंगी। बल्कि वोह ज्यादा खुश होंगी अगर बची हुई रिचुअल्स तुम कल करवाओ तोह। उन्हे भी थोड़ा आराम मिलना चाहिए। उन्हे अच्छा लगेगा की तुम उनके बारे में कितना सोचती हो। जाओ और कह दो उन्हे की अपने कमरे में चलें जाए सब।" इंद्रजीत जी ने सुमित्रा जी को समझाते हुए कहा।
"ठीक है, अगर आप कह रहें हैं तोह। मैं उन्हे उनके कमरे में ले जाती हूं।" सुमित्रा जी ने थोड़ा दुखी मन से कहा और अपनी दोनो बहुएं को उनके कमरों में छोड़ आईं।
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"भईया। क्या आप से दो मिनट बात कर सकती हूं?" इशिता ने कबीर से पूछा जो की टैरेस पर यूहीं टहल रहा था।
"इशिता? तुम यहां क्या कर रही हो? तुम्हे इस वक्त इशान के साथ होना चाहिए था?" कबीर ने इशिता को टैरेस पर देख कर चौंकते हुए पूछा।
"यही सवाल अगर मैं आप से पूछूं तोह? क्या आप को इस वक्त अमायरा के साथ नही होना चाहिए था?"
"मैं.... ओ... ओह... मैं बस जा ही रहा था। वोह थोड़ा खुली हवा में सांस लेने आया था। शादी के दौरान बहुत भागा दौड़ी हो गई। वैसे भी अमायरा इस वक्त मां के साथ बिज़ी है।"
"आपको मुझे कोई सफाई देने की ज़रूरत नही है, भईया। मुझे पता है इस तरह से सब एक्सेप्ट करना आपके लिए बहुत मुश्किल है। सब बहुत जलदबाजी में हो गया, रिश्ते की बात उठना, फिर शादी..। भईया, मुझे अमायरा ने बताया था की, आपने उससे कहा है की, आप पूरी कोशिश कर रहें हैं अपना पास्ट भुलाने की। मैं बस यही उम्मीद करती हूं की यह बात सच हो। मैं तोह बस यही चाहती हूं की आप मेरी बहन को हमेशा खुश रखें," इशिता ने कबीर से कहा। "आपको लग रहा होगा मैं बहुत सेलफिश.....।"
"ऐसी बात नही है। कोई तुम्हारे बारे में ऐसा नहीं सोचता, और ना ही मैं," कबीर ने इशिता की बात बीच में ही काटते हुए कहा। "मैं पूरी कोशिश करूंगा की उसे हमेशा खुश रखूं, इशिता। तुम चिंता मत करो," कबीर ने गंभीरता से जवाब दिया।
वोह जनता था की वोह यह शादी को असल मायने में कभी नही निभाएगा लेकिन इस वजह से वोह कभी उसे तकलीफ भी नही होने देगा।
"थैंक यू, भईया," इशिता ने कहा और टैरेस पर कबीर को अकेला छोड़ कर चली गई।
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"भाभी, क्या मैं अंदर आ सकता हूं?" इशान ने कुछ देर बाद कबीर के रूम का दरवाज़ा खटखटाया। अमायरा बस अभी नहा कर निकली थी और हेयर ड्रायर से अपने बाल सुखा रही थी।
"जीजू! आप बाहर क्यों खड़े हैं? प्लीज अंदर आ जाइए," अमायरा ने मुस्कुराते हुए उसे अंदर आने को कहा। और ईशान भी मुस्कुराते हुए अंदर आ गया।
"मैं बस आपको थैंक यू बोलना चाहता था," इशान ने अंदर आते हुए कहा।
"आपको अंदर कमरे में बुलाने के लिए? ओह प्लीज़ जीजू। यह कमरा सबसे पहले आपके अकड़ू भाई का है और उसके बाद अब मेरा भी है। इसलिए आपको अंदर आने के लिए परमिशन की जरूरत नही है।" अमायरा मूर्खता से हस पड़ी।
"आप जानती हो, मैं इसलिए थैंक यू नही बोल रहा हूं। यह थैंक यू तोह मुझे और इशिता को एक करने के लिए है। अगर आप हां नही करते तोह मेरी और इशिता की शादी भी नही हो पाती।"
"अब आप मुझे चढ़ा रहें हैं। आप कुछ ज्यादा ही मेरी तारीफ कर रहें हैं," अमायरा ने चहकते हुए कहा।
"नही। ऐसा नहीं है। आप आसानी से मेरे भाई से शादी करने से मना कर सकती थी और किसी ऐसे इंसान से शादी कर सकती थी जो अपने अतीत में उलझा हुआ ना होता, जो आपसे प्यार करता, जैसे आप हो उससे प्यार करता और आप अपनी शादी में खुश रहती। लेकिन फिर आंटी ने इशिता की शादी किसी और के साथ तै करने का फैसला कर लिया। इसलिए आप शादी के लिए मान गए और हमारी मदद करी।"
"वैसे, मैं इंकार तोह नही करूंगी इस बात से की आप दोनो की वजह से ही मैं उन से मिली। लेकिन सिर्फ यही कारण नही है शादी के लिए हां करने के लिए। मुझे सच में वोह पसंद हैं। हमने अपने फ्यूचर और पास्ट दोनो के बारे में एकदूसरे से बात की है, और उन्होंने मुझे श्योर किया है की वोह जल्द ही अपने पास्ट को भुलाने की कोशिश करेंगे। मुझे उनकी ईमानदारी पर यकीन है। वोह कोई मुझसे झूठ नही बोल रहें थे और इसी बात ने मुझे और इंप्रेस कर दिया।"
"आप एक बहुत अच्छी एक्ट्रेस हो। पर आप को यह एक्टिंग मेरे सामने करने की जरूरत नहीं है। मैं अपने भाई को अच्छे से जानता हूं। उन्होंने शादी के लिए सिर्फ इसलिए हां कहा था क्योंकि मैंने उन्हें दूसरा कोई रास्ता ही नही दिया। और मुझे बहुत बुरा लग रहा है की मैं कितना सेलफिश हो सकता हूं की मैने आपको रोका नहीं, बजाय इसके मैं अपने भाई और इशिता के प्यार में उनकी तरफ हो गया और आपके साथ सेलफिश हो गया," इशान ने बहुत गिल्ट में यह बात कही।
"प्लीज जीजू। आप तोह मुझे ऐसा महसूस करा रहें हैं जैसे मैं कोई शाहिद हूं या कोई महान इंसान। मेरा यकीन कीजिए, मैने उनसे सिर्फ आप दोनो की वजह से शादी के लिए हां नही की। मैने उनसे शादी इसलिए की क्योंकि मैं चाहती थी। मैं उन्हे पसंद करती हूं। हां, मैं यह नहीं कहूंगी की मैं उनसे प्यार करती हूं। वोह मैं नही करती। पर मुझे लगता है की शायद धीरे धीरे हम वहां तक भी पहुंच जायेंगे। वोह सच में मेरे साथ ईमानदार होने की कोशिश कर रहे हैं और मेरे लिए इस वक्त इतना बहुत है। मैं उन्हे फोर्स नही कर सकती की मेरे साथ लवी डवी बन कर रहें अभी जैसे की आप दोनो लव बर्डस हो," अमायरा ने मुस्कुराते हुए कहा।
"आर यू श्योर?" इशान ने पूछा।
"येस। वैरी मच। और अब मैं आपको इस कमरे से बाहर निकालने वाली हूं। आप मेरी बहन को इंतजार करवा रहें हैं वोह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि आपको मेरे लिए बुरा लग रहा है और आपको गिल्ट हो रही है। जाइए अब आप और उम्मीद करती हूं की उसे मनाने के लिए आपने कोई खास गिफ्ट तोह ले ही लिया होगा। आज रात के लिए।"
"थैंक यू, भाभी। और मैने आपकी बहन के लिए गिफ्ट ले रखा है। और मुझे यकीन है की उसे जरूर पसंद आएगा। मैने पूरा दिन लगा दिया था इसे खरीदने में।"
"वाउ! डेट्स नाइस! और आप मुझे बार बार भाभी क्यों बुला रहें हैं? मैं हमेशा ही आपके लिए अमायरा रहूंगी।"
"हां। आप रहोगे। एक छोटी सी प्यारी सी, और समझदार अमायरा। पर अब आप सिर्फ मेरी साली ही नही हो। मेरे भाई की पत्नी भी हो। और मैं आपको नाम से नही बुला सकता। अब आप हमेशा ही मेरे लिए भाभी रहेंगी।"
"ओके। ओके। हम यह सब बाद में डिस्कस करेंगे। अब आप जाओ। गुड नाईट," अमायरा ने इशान को अपने कमरे से बाहर की और धकेलते हुए कहा।
"गुड नाईट।"
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जब इशान बाहर आया अमायरा के कमरे से तोह बाहर खड़ा कबीर दिख गया उसे।
"गुड नाईट, इशान," कबीर ने उसे ग्रीट किया।
इशान जनता था की पक्का कबीर ने उन दोनो की बातें सुन ली है।
"उह... अ... आपने सब सुन लिया।" इशान ने धीरे से फुसफुसाते हुए कहा।
हां। क्यों नही सुनना चाहिए था?"
"नही। यह तोह बहुत अच्छी बात है की आपने सब सुन लिया। आपको यह पता होना चाहिए की आपको हीरा मिला है पत्नी के रूप में। वोह जो हैं उनकी वैल्यू कीजिए।"
"तुम तोह अभी जा रहे थे ना?" कबीर ने भी वैसे ही फुसफुसाते हुए कहा।
"जीजू। मेरी बहन आपका वेट कर रही होगी। क्या आप दोनो कल फुसफुसा सकते हो?" अमायरा ने अपने कमरे के कोने से उन दोनो को देख लिया था और वहीं से ज़ोर से बोल पड़ी थी।
"हां। बस जा ही रहा हूं। मैं बस भाई से पूछ रहा था की अपनी वैडिंग नाइट के लिए उन्होंने आपके लिए क्या गिफ्ट खरीदा है। आप दोनो को गुड नाईट," इशान ने जवाब दिया और कबीर की तरफ आंख मार दी और छोड़ गया कबीर को हैरत में।
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