Atit ke panne - 11 in Hindi Fiction Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | अतीत के पन्ने - भाग 11

Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

Categories
Share

अतीत के पन्ने - भाग 11

आलेख ने कहा छोटी मां आप यही कहीं हो मुझे महसूस हो रहा है।
पर मैं आपको छू नहीं सकता आप मुझे छोड़ कर चली गई ऐसा क्यों किया आपने??

आलोक ने कहा बेटा मुझे कल शहर जाना होगा। तुम मेरे साथ चलो।

आलेख बोला नहीं पापा मैं छोटी मां को अकेला छोड़ नहीं जा सकता हूं।


आलोक ने कहा बेटा तू ये क्या बोल रहा है।तेरी छोटी मां अब नहीं है।।।
यहां पर तुम युही अकेले नहीं रह पाओगे तुम चलो।
आलेख ने कहा नहीं जा सकता मैं अपनी छोटी मां को छोड़ कर।

छाया ने कहा आलेख बेटा तुम्हारी छोटी मां तुमको बहुत याद करती थी। कहती थी कि आलेख को मैं कभी छोड़ कर नहीं जा सकती हुं पर अब आलेख ही चला गया।

आलेख सुनकर रोने लगा ‌।।
और फिर चिल्लाने लगा छोटी मां ओ छोटी मां अब वापस आ जाओ ना,देखो तुम्हारा बाबू आया है।
कहते हुए सीधे काव्या के कमरे में जाकर बैठ जाता और फिर उसके अलमारी से वही डायरी निकाल कर पढ़ने लगता है। और सोचने लगा कि कितनी तकलीफ़ झेली पर कभी बताया नहीं क्यों।।
फिर डायरी के पन्ने को पलटते हुए देखा तो एक जगह किसी समर का नाम दर्ज था ये कौन है कभी बताया नहीं।।

समर मुझसे शादी करना चाहते हैं।पर मैंने कभी भी उसको उस नज़र से देखा नहीं और फिर उसे मैंने सब कुछ बता दिया था कि मेरे जीवन में उसकी जगह क्या है।।

मां आप तो सबकुछ जानती हो कि मैं क्या चाहती थी।पर मेरी तकलीफ़ किसी को भी नहीं बता सकती थी।
समर ने उस समय हमारी मदद की थी जिस समय हमारे पास अन्न का एक दाना तक नहीं था।
मैं समर का ये उपकार कभी नहीं चुका पाऊंगी पर मैं एक बार उससे मिलकर माफी मांगना चाहती थी।

आलेख बोला किस बात की माफ़ी छोटी मां।

फिर आगे लिखा था कि मैंने एक चिट्ठी समर को भेज दिया है पर एक महीना हो गया ना तो वह आया और ना ही उसका कोई पत्र आया।

मैंने उसके लिए एक जमीन का टुकड़ा रख दिया था अब आयेगा तो अलमारी में उस जमीन का कागजात रख दिया है वो समर को देना होगा।
आशा करतीं हुं कि आलेख ,मेरा अधुरा काम पूरा करेगा।।


अगले दिन सुबह आलेख ने छाया से पुछा कि समय कौन है।तब छाया ने कहा कि हां बहुत ही भले थे वो उनको जाना पड़ा अपनी जाॅब ही समर आ गया और फिर बहुत रोने लगा।

आलेख बोला समर जी आप छोटी मां को कब और कहां मिले?

समर बोले कि मेरी मुलाक़ात काव्या से एक पुस्तकालय में हुई थी।

जहां पर काव्या पार्ट टाइम जॉब करती थी।
वहां मैं अक्सर किताब लेने जाया करता था।

फिर एक दिन काव्या से बातचीत हुई और फिर हम दोस्त बन गए थे।
मैं काव्या को चाहने लगा था पर मुझे पता चला कि उसकी जिंदगी में आलोक जी के सिवाय कोई भी नहीं है। जबकि आलोक जी की शादी हो चुकी थी।
पर फिर भी हम अच्छे दोस्त बन गए। काव्या ने सबके लिए सोचा पर उसे कोई प्यार नहीं दे सका।
मैं सब कुछ जान कर भी उसे अपनाना चाहता था पर वो।।

फिर मैं उसके घर आने लगा। एक बार अम्मा जी का आपरेशन होने वाला था पर किसी ने भी एक पैसा तक नहीं दिया तब मैं काव्या की सहायता की थी पर वो तो बहुत स्वाभिमानी लड़की थी तो उसने पैसे लिए पर सुद समेत लौटाने का वादा लिया।


आलेख बोला हां,समर जी ये जमीन के कागजात ले लिजिए छोटी मां ने कहा था आपको देने के लिए।

समर कांपते हाथों से वो कागजात ले लिया और खुब रोने लगा।

समर बोले आलेख एक बात बोलना चाहता हूं कि वो एक देवी थी पर किसी ने भी उसकी पुजा नही किया।

अच्छा अब मुझे जाना होगा। ये कह कर समर हवेली से चला गया।


आलेख रोने लगा और बोला छोटी मां क्यों किया ऐसा इतनी बड़ी सजा दे कर चली गई।

अब किसके सहारे जीना है।।

किस मझधार में छोड़ कर चली गई।।
मैं कैसे जिऊं छोटी मां जिद्द करने लगी हो अब वापस आ जाओ ना।


क्रमशः