अध्याय 8
ट्रक अपने वेग से जा रहा था - अंदर कैद हुए सुरभि, हेमंत और शाहिद तीनों लोग गर्मी से शुद्ध प्राणवायु के बिना सांस लेने के लिए परेशान हो रहे थे। सुरभि रोने ही लगी।
"क्या है जी..... हमने खेल-खेल में जो योजना बनाई थी ऐसे विपरीत स्थिति में आकर खत्म हुई…...?"
हेमंत उसके कंधे को पकड़ा। "सुरभि ! इस समय हमें टूटना नहीं चाहिए.... हम तीनों थोड़ी होशियारी दिखाये तो.... इससे बच सकते हैं...."
शाहिद बीच में बोला। "हेमंत ! तुम सोच रहे हो जैसे ये लोग मुझे साधारण आदमी नहीं लगते..... दोनों लोगों के चेहरे मोहरे को देखें तो क्रिमिनल्स दिखाई देते हैं..... ये लोग कानून के विरुद्ध सामानों को ले जाने वाले समूह में शामिल हो सकते हैं। नहीं तो एक ट्रक के क्लीनर के पास पिस्तौल होगा क्या...?
"वह तो ठीक.... नागू के शटर खोलते समय हमें उनके ऊपर अचानक अटैक करके होशियारी से काम करना पड़ेगा...."
"वह कैसे संभव है....?
"साहस के साथ करें तो संभव होगा..."
"उनके हाथ में पिस्तौल है |"
"इतनी जल्दी वे हम तीनों को नहीं मारेंगे..... हमारे खेल-खेल में किडनैपिंग नाटक को विपरीत रूप में कार्यवाही कर -रुपयों को लेने की कोशिश करेंगे...."
"ठीक है अब हमें क्या करना चाहिए ?"
"शटर के खुलते ही उन पर हमें अटैक करना है। हम उनसे लड़ाई करे उस समय सुरभि को भाग जाना चाहिए...."
सुरभि मना करने लगी।
"तुम लोगों को छोड़कर मैं कैसे भागू...?"
"सुरभि यहां उनके लिए तुम ही इंपॉर्टेंट हो....? दोनों को देखो राक्षस जैसे लगते हैं...."
"मनोबल रहने से.... किसी को भी संभाल सकते हैं....!"
"शाहिद... इस अंधेरे केबिन में हम बिना आवाज के ढूंढ कर देखते हैं.... शायद कोई औजार मिले बिना आवाज किए ही ढूँढना होगा....?"
"मैं भी ढूंढती हूं!"
तीनों घुटने के बल पर बैठ-चारों तरफ अंधेरे में सरकने लगे। हेमंत के हाथ में कुछ सामान दिखा उसको छू-छू कर देखने लगा। वहां तो बोरिया ही दिखी। पर वे लगातार सरक-सरक कर हाथों से टटोल रहे थे।
"शाहिद!"
"हां..."
"तुम्हारे हाथ में कुछ लगा क्या...?"
"नहीं..."
"सुरभि... तुमको....?"
"कुछ भी नहीं मिला...."
हेमंत अंधेरे में कुछ और दूर गया। एक मिनट ढूंढने पर पैर में कुछ महसूस हुआ। छू कर देखा।
उसे बहुत ज्यादा खुशी हुई। धीरे से उसने बुलाया।
"शाहिद..."
"क्या है..."
केबिन के एक कोने से आवाज दी।
"मेरी तरफ आ...."
वह आया।
उसकी गर्म सांस हेमंत के चेहरे से टकराई।
"आई... गॉट... इट.…"
"क्या....?"
"इसे छू कर देखो..." शाहिद हाथ में लेकर टटोलकर देखा एक कठोर लंबी चीज हेमंत ने दी।
"अरे! हथौड़ा..."
"दोनों जनों को मारने के लिए यह बस नहीं है क्या...?"
"बहुत है.... बहुत है..... परंतु उन को मारने में होशियारी दिखानी होगी..."
"कैसे मारे... बताओ..."
"ट्रक उनके रहने की जगह जा पहुंचे- तो दोनों इस केबिन के शटर को उठाएंगे मैं ऐसा सोचता हूं"
"मे ...बी..."
"शटर को उठाते ही रिवाल्वर जिसके हाथ में होगा.... उस पर दोनों को ही झपटना होगा। वे संभलकर हम पर अटैक करें उसके पहले हथौड़ा दोनों को मार कर पहले रिवाल्वर को लेना पड़ेगा। रिवाल्वर अपने हाथ आ जाए तो 90% हम बच गए जैसे हो जाएगा।"
"वे हमें किस जगह ले जा रहे हैं पक्का मालूम नहीं है....?"
"गोडाउन में जाने की बात कर रहे थे ना....."
अभी ट्रक हिल डुल कर जा रहा था। ऊंचा-नीचा, उबड़-खाबड़ जगह पर जाते समय उछलता है।
"हाईवे रोड से अलग हो गया दिखता है"
"ऐसा ही लगता है...."
"यह उछलने-कूदने वाली यात्रा और पाँच मिनिट हुई। उसके बाद धीरे-धीरे कम होकर - आवाज बंद हो गई।
एक मिनट के लिए तो भयंकर शांति।
"शाहिद!"
"हां...!"
"हथौड़े के साथ मैं जिस पर अटैक करूं - तुझे भी मेरे साथ ही झपटना चाहिए.... मैं उसे हथौड़े से मारूंगा.... तब तुम्हें उसके हाथ से रिवाल्वर को लेना होगा.... यह काम दस सेकंड के अंदर खत्म हो जाना चाहिए"
"ठीक ..."
शाहिद के सिर हिलाते समय ही - शटर खोलने की आवाज आई।
हेमंत और शाहिद - उठकर शटर के समीप आकर खड़े हुए। हेमंत के हाथ में हथौड़ा तैयार दिखा। शटर एक-एक अंगुल ऊपर हुआ।