Redimed Swarg - 7 in Hindi Detective stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | रेडीमेड स्वर्ग - 7

Featured Books
  • तुझी माझी रेशीमगाठ..... भाग 2

    रुद्र अणि श्रेयाचच लग्न झालं होत.... लग्नाला आलेल्या सर्व पा...

  • नियती - भाग 34

    भाग 34बाबाराव....."हे आईचं मंगळसूत्र आहे... तिची फार पूर्वीप...

  • एक अनोखी भेट

     नात्यात भेट होण गरजेच आहे हे मला त्या वेळी समजल.भेटुन बोलता...

  • बांडगूळ

    बांडगूळ                गडमठ पंचक्रोशी शिक्षण प्रसारण मंडळाची...

  • जर ती असती - 2

    स्वरा समारला खूप संजवण्याचं प्रयत्न करत होती, पण समर ला काही...

Categories
Share

रेडीमेड स्वर्ग - 7

अध्याय 7

दस लाख रुपए आधे घंटे में - दस अनाथाश्रमों में देकर रंजीता और सुंदरेसन घर लौटे।

दामू परेशान होकर बरामदे में चक्कर काट रहा था। दीदी और जीजाजी को आते देख - चलना बंद करके पूछा।

"सब जगह पहुंचा के आ गए ?"

"हुंम..."

"आप लोगों जैसे डरपोक मैंने देखा ही नहीं।"

"अबे.... दामू समस्या को समझे बिना गुस्सा मत कर....! इस दस लाख को सुरभि दस ही महीने में कमा लेगी.....! इस समय हमारे लिए पैसा बड़ी बात नहीं है। रिकॉर्डिंग थिएटर से फोन आया क्या.....?"

"नहीं आया...."

"वह किडनैपर ने फोन किया क्या ?"

"नहीं...."

इन लोगों के अंदर जाने के पहले ही -

कंपाउंड के गेट के पास – एक कार के हॉर्न की आवाज आई। समुद्र के रंग के नीले रंग की एंबेसड़र नोवा अंदर आ रही थी।

"कौन आ रहा है पता नहीं चला....?"

कार पोर्टिको में आकर खड़ी हुई दरवाजा खोल कर बाहर आए व्यक्ति को देखकर दोनों घबराए।

प्रोड्यूसर कनकू।

गुस्से में सीढ़ी चढ़कर - रंजीता के सामने आए।

"आ... आइए...."

"आना रहने दो.... सुरभि उठ गई क्या.....?"

"न....न..नहीं.... खून डोनेट करने से उसकी तबीयत ठीक नहीं है। उठ कर खड़े होने से उसे चक्कर आ रहा है.... अभी ऊपर के मंजिल में सो रही है....."

"क्यों जी.... आपकी लड़की का ऐसा व्यवहार ठीक है क्या ? जो काम कर रही है उसे ठीक से नहीं करना चाहिए....? राजा सर आज इंडिया के नंबर वन म्यूजिक डायरेक्टर हैं। इस फील्ड में कल आई आपकी लड़की उन्हें इंतजार करवा रही है...."

"एक आधा घंटा सहन कर लीजिए.... उसे सो कर उठने दीजिए। मैं उसे तुरंत रिकॉर्डिंग थिएटर में भेज दूँगी..."

"यह सब नहीं हो सकता.... अभी भेज दो।"

"वह अभी नहीं आ सकेगी....."

"उसे लिए बिना मैं नहीं जाऊंगा..."

दामू बीच में आया।

"क्या बोले....? लिए बिना हिलोगे नहीं....? धमकी दे रहे हो....?"

"दामू....! तुम चुप रहो..... उस आदमी से मैं बात करती हूं!"

रंजीता कनकू के पास आई।

"बेकार.... तमाशा किए बिना..... रिकॉर्डिंग थिएटर वापस चले जाइए....! आधे घंटे के बाद मैं ही स्वयं लेकर आऊंगी...."

"आधा घंटा मैं यहीं पर इंतजार कर लेता हूं....।"

दामू फिर से चिल्लाने लगा। "क्यों रे....! हम तुम्हारे कर्जदार है क्या.... बाहर ही बैठे रहोगे... बेकार की बात करोगे..... फिर..." उंगली से इशारा कर - रंजीता ने खींच कर उसे अलग किया। "अरे अंदर जा रे... विवाद को बड़ा किये बिना छोड़ोगे नहीं लगता है....! यह देखो प्रड्यूसर साहब....! ठीक आधे घंटे बाद.... सुरभि को लेकर मैं स्वयं आ जाऊंगी। कृपा करके अभी आप रवाना होइए...."

"ठीक आधे घण्टे का ही समय है.... उसके अंदर सुरभि को थिएटर के अंदर आ जाना चाहिए..... नहीं आए तो..... मैं अपनी औकात पर आ जाऊंगा... मैं गांव का आदमी हूं। मुझे कमजोर मत समझ लेना...." - कनकू गरज कर अपने कार की तरफ चले गए।

उनकी कार कंपाउंड के बाहर जाते ही रंजीता स्तंभित खड़ी रह गई फिर पति की तरफ मुड़ी।

"सुरभि को लेकर जाने वाला पापी उसे कब घर वापस भेजेगा मालूम नहीं....?"

"वैसे भी थोड़ी देर में फोन आ जाएगा.... हमने रुपयों का ठीक से बंटवारा कर दिया या नहीं उसे देखकर.... सुरभि को भेज देगा...."

"अभी और 25 मिनट हैं। तब तक सुरभि आ जाएगी क्या....?"

"आ जाएगी.... आ जाएगी...."

दोनों गर्म सांस लेते हुए - थके हुए चल कर टेलीफोन के पास के सोफे पर पसर कर टेलीफोन की घंटी का इंतजार करने लगे ।