अध्याय 3
रात को उसने व्हिस्की पी रखी थी। साँसे बदबू से भभक रही थी । 30 साल का युवा पर मुंडा हुआ सिर और छोटी-छोटी आंखें। चेहरे पर सदमा था। लूंगी ठीक करते हुए दामू ने पूछा, "तुम.... क्या बोल रही हो....?"
"हां रे.....! सुरभि को किसी ने किडनैप कर रखा है - दस लाख रुपए अनाथाश्रम को देने के लिए बोल रहा है।"
"रास्कल....! कौन है वह...?"
"कौन सा बदमाश है यह तो पता नहीं चला...."
"जीजाजी को बता दिया....?"
"बता दिया..... तुमसे कुछ बात करना है। हॉल में आ जाओ।"
सर के ऊपर दोनों हाथों को पीछे बांधकर सोफा पर गंभीर मुद्रा में बैठे हुए सुंदरेसन दामू को हॉल में आते देखकर खड़े हुए।
"अरे... दामू....! इस बात को बाहर भी ना ले जाकर..... पुलिस को भी ना बता कर... हमें ही सुलटाना है...."
"इस समस्या को निपटाना ही बड़ा नहीं है जीजा...! उसका कारण कौन है उन आदमियों को पहचान कर पकड़ना भी है । उनके सिर को....
"ट्रिन.....ट्रिन....ट्रिन...." इसी बीच टेलीफोन की घंटी बज उठी ।
रंजीता ने जाकर रिसीवर उठाया।
"हेलो...."
"नमस्कार... मैं आर.आर. थिएटर से प्रोड्यूसर कनकू बोल रहा हूं। आपने अपने फैमिली डॉक्टर से पूछ कर हमें वापस फोन करने को कहा था ना..... सुरभि डॉक्टर के पास से आ गई क्या...?
रंजीता कुछ देर घबराई फिर "हां... हां... सुरभि आ गई..... घर में ही हैं...." बोली।
"क्या सुरभि घर में ही है....? घर में बैठकर आपकी लड़की क्या कर रही है ....? गाने के रिकॉर्डिंग में नहीं आना चाहिए क्या...? आज सुरभि जो गायेगी वह एक हजार एक वां गाना होगा। राजा सर बड़ी कोशिश करके उसका धुन बैठा रहे हैं रिहसल हो रहा है। सुरभि के आते ही रिकॉर्डिंग करनी है। लड़की को भेज दो...."
रंजीता हांफने लगी।
"सु... सुरभि.... को...."
"सुरभि को क्या....? बोलिए ना....?"
"रक्तदान करके आने से बहुत थकी हुई है.... खाना देकर उसे लिटा कर रखा है... अब वह गहरी नींद में सो रही है....! उठने में एक घंटा तो लग जाएगा....."
प्रड्यूसर कनकू दूसरी तरफ से चिल्लाने लगे।
"यह क्या बात है ...? लड़की और मां को खेलने के लिए मैं ही मिला ? हाथ में चार पैसे क्या आ गए तो जैसा जी में आएगा वैसा करोगे क्या...? "
"नाराज मत होइए सर.... एक घंटे के अंदर मैं ही सुरभि को लेकर आ जाऊंगी...."
"एक घंटे के अंदर सुरभि को रिकॉर्डिंग थिएटर में होना ही होगा । नहीं तो फिर जो होगा वह कहानी ही दूसरी होगी। मैं गांव की अपनी जमीन बेचकर -पैसे लगा कर पिक्चर बना रहा हूं.... बाप-दादा के खून-पसीने की कमाई है । बेकार जाए तो.... हाथ में हंसिया उठा लूंगा..... अभी समय 01:05 हो रहे हैं । 2:00 बजे के पहले पहले सुरभि को थिएटर लेकर आ जाईये....."
"आ जाएगी...." रिसीवर रखकर रंजीता अपने पसीने से भीगे हुए चेहरे को साड़ी के पल्ले से पोछा।
"क्या है जी...! यह प्रोड्यूसर धमका रहा है....! ठीक 2:00 बजे के अंदर सुरभि, रिकॉर्डिंग थिएटर में पहुँच जानी चाहिये....."
सुंदरेसन उबल पड़ा, "तुमने ये क्यों बोला कि सुरभि घर में बेहोश पड़ी है...?"
"नहीं बोलती तो बहुत बड़ा विवाद हो जाता.... 'सुरभि का पता नहीं है' ऐसा रिकॉर्डिंग थिएटर के अंदर ही नहीं.... पूरे सिनेमा इंडस्ट्री में हल्ला मच जाता.... इसीलिए सुरभि घर पर ही है मुझे बोलना पड़ा ...."
"ठीक है... बोल दिया...! अब 12:00 बजे तक सुरभि को रिकॉर्डिंग रूम में जाना पड़ेगा....? क्या करोगी...?"
"वादे के मुताबिक दस लाख रुपए अनाथाश्रमों में देकर अपनी बेटी को छुड़ाकर लाना पड़ेगा.... और क्या ?"
"जीजी...! तुम कुछ सोच-समझ कर बात कर रही हो...? या यूँ ही हैं.... दस लाख रुपए कोई छोटी-मोटी रकम नहीं है....यूँ ही किसी ने धमकाया तो उठा कर दे देंगे....?"
"दूसरा कोई रास्ता....? सुरभि हमें जिंदा नहीं चाहिए क्या? वह रहेगी तो हमें करोड़ों कमा कर देगी...."
"रुपए दिए बिना सुरभि को छुड़ा नहीं सकते ?"
"नहीं हो सकता। हमारी कोई मूर्खता भारी न पड़ जाए ! सुरभि को शव के रूप में देखना पड़ सकता है...."
फोन की घंटी फिर बजी। रंजीता उठाने ही वाली थी कि उसे हाथ के इशारे से रोक कर दामू ने स्वयं रिसीवर उठाया।
"हेलो...."
"रंजीता नहीं....?"
"तुम.... कौन... हो ?"
"रेडीमेड स्वर्ग बनाने वाला कर्ता।"
"अबे... ब्लैकमेल कर रहा है....? तुम्हारे चेहरे पर मूछें हो तो हिम्मत करके मेरे सामने आ रे देखता हूं...."
"सॉरी...!.... मेरी मूछे नहीं है। सफाचट हूं।"
"अरे...! अबे.... साले...! एक लड़की को उठा कर ले गया .... औरतों जैसे..."
घबराई रंजीता दामू के हाथ से रिसीवर छीन कर जल्दी से बोल पड़ी, "गुस्सा मत करो....! मेरा छोटे भाई थोड़ा मूर्ख स्वभाव का है । तुमने जैसा बोला वैसे ही अनाथाश्रमों में पैसे देने का इंतजाम करती हूं.... मेरी लड़की को ठीक 12:00 बजे रिकॉर्डिंग थिएटर पहुंचना है...."
"दस लाख रुपए अनाथाश्रमों में पहुंचते ही आपकी लड़की सुरभि रिकॉर्डिंग थिएटर पहुंच जाएगी.... हर एक अनाथ-आश्रम में हमारे अपने आदमी हैं.... तुम्हारे रुपए देते ही उसका डिटेल मेरे पास तुरंत आ जाएगा... मुझे धोखा देने की सोची तो नुकसान तुम्हारा ही है....!."
"टक !" रिसीवर को रख दिया गया ।
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