Redimed Swarg - 2 in Hindi Detective stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | रेडीमेड स्वर्ग - 2

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रेडीमेड स्वर्ग - 2

अध्याय 2

“रेडीमेड स्वर्ग....?"

"हां...... इस देश में मैं सचमुच जनता का समाजवाद लाने वाला हूं। करोड़ों-अरबों का काला धन रखने वाले स्वयं भी उसका उपयोग नहीं करते हैं, दूसरों को भी उपयोग में लेने नहीं देते.... खजाने को संभालने वाले भूत जैसे रहने वाले तुम लोगों को एक झटका देकर इलाज करके हम एक रेडीमेड स्वर्ग का निर्माण करने वाले हैं।'

"अबे... अबे !"

"यह देख री... रेडीमेड स्वर्ग उत्पन्न करने वाले को तू आदर देकर बोल.... तुमने मुझे सम्मान नहीं दिया तो तुम्हारी लड़की के कपड़े कम हो जाएंगे....!"

रंजीता अधीर हो गई।

"रुको... देखो.... भाई.... मेरी लड़की को कुछ नहीं होना चाहिए करना... तुम्हें क्या चाहिए....! तुमको क्या चाहिए...?"

"मुझे कुछ नहीं चाहिए....."

"फिर.....?"

"मैं जैसे बोलूं तुरंत वह काम तुम्हें करना है।"

"क्या करना है.... बोलो...."

"तुम्हारी लड़की एक गाना गाने के कितने रुपए लेती है ?"

"वह....वे... वह...."

"बोलो...."

"दो हजार....."

"झूठ.....! सुरभि एक गाने के दस हजार रुपये लेती है.... उसमें दो हजार रुपए सफेद बाकी काला .... हिसाब ठीक है ?"

'ऐसे कैसे ठीक बता रहा है....?” दूसरी तरफ जाने ऐसा क्या हुआ कि रंजीता मिमियाने लगी, “...स..... सही है....."

"तुम्हारी लड़की ने अभी तक हजार गाने गाए हैं.....! तो कितना काला धन जमा हुआ होगा तुम हिसाब लगा कर देख लो..... अब तुम जो करने वाले हो.... वह शहर में एक पुण्य का ही काम है। उस काले धन में से दस लाख रुपए लेकर तुम और तुम्हारा आदमी कार से रवाना हो रहे हो.... मद्रास में जितने भी अनाथाश्रम है। उसमें जो तुमको पसंद है उनमें से दस आश्रमों को एक-एक लाख रुपये दे रहे हो....."

रंजीता को काटो तो खून नहीं !

"द...दस लाख......?"

"नाटक नहीं ....! ये दस लाख रुपए तुम्हारे लिए पॉपकॉर्न खाने जैसा है....! करोड़ों रुपया कमाने वाली अनमोल तुम्हारी लड़की सुरभि है.... फिर....दस लाख को बड़ा क्यों समझ रही हों.....! अगले एक घंटे में मैंने जो दस लाख रुपए बोला है बिना चूँ-चपड़ के.... एक-एक लाख के हिसाब से दस अनाथाश्रमों में पहुंच जाना चाहिए.... ठीक एक घंटे का ही समय है तुम्हारे पास । अगर यह नहीं हुआ तो.... तुम अपनी बेटी का तीसरा और तेरहवीं ही करते नज़र आओगी ।"

"देखो बेटा....तुम ! सुरभि को कुछ मत करना....!"

"तुम दस लाख रुपए दान करो.....! फिर तुम्हें वह सही सलामत पूरी वन पीस में मिलेगी....."

"तुम जैसे सोच रहे हो उतना रुपए मेरे पास नहीं है....! चाहो तो एक लाख रुपये ले जाओ....."

"यह सब कहानी मुझसे मत कह....! तुम्हारी लड़की को पहले ही हमने ऐसा धमकाया कि घर में कहां-कहां पैसे छुपा कर रखा है उसने सब सच-सच उगल दिया । मैं तो तुम्हारे काले धन के विषय में इनकम टैक्स ऑफिस में बता सकता हूं.. लेकिन क्या है न कि रुपए सरकार के खजाने में जाए ऐसा मुझे पसंद नहीं। अनाथाश्रमों में जाना चाहिए यही मेरी इच्छा है..."

"वह... वह..."

"कुछ बकवास नहीं ..... अगले एक घंटे के अंदर-तुम्हारे घर में छुपा कर रखा हुआ काला धन अनाथाश्रमों में चले जाना चाहिए। नहीं तो सोने का अंडा देने वाली तुम्हारी लड़की सुरभि जिंदा नहीं बचेगी ....."

"नहीं.... सुरभि को कुछ मत करना.... तुम जैसा कहो हम करने को तैयार हैं...... पैसा ले जाकर अनाथाश्रमों में दे देंगे......"

"अपनी जुबान से बदलोगी तो नहीं.....?

"नहीं.....नहीं "

"यह बात पुलिस में नहीं जानी चाहिए। बाहर किसी चिड़िया को भी..... पता नहीं चलनी चाहिए...."

"नहीं बोलेंगे....."

"रिकॉर्डिंग रुम से.... फोन आये और सुरभि कहां है पूछें तो बोल देना कि अगले एक घंटे के अंदर थिएटर पहुँच जाएगी....."

"ठीक....."

"पैसा लेकर तुम और तुम्हारा पति तुरंत.... रवाना हो..... सही तरीके से... थोबड़े को ठीक करके जाना.... तुम्हारे चेहरे से किसी को कुछ पता नहीं लगना चाहिए...... तुम्हारे ऊपर निगरानी के लिए छिपकर हमारा एक आदमी तुम दोनों के पीछे-पीछे आएगा, परछाई माफिक... । मुझे धोखा देने की सोचना भी मत .....वरना तुम्हें तुम्हारी बेटी की फोटो पर एक गुलाब की माला पहनानी पड़ जायेगी ।"

"ठीक है !" रंजीता अपनी बात ख़त्म कर पाती उसके पहले दूसरी तरफ रिसीवर रख दिया गया । घबराई हुई सी रंजीता अपने पति की तरफ मुड़कर एक दीर्घ श्वास छोडी। उन्हें सब बातें बताई । सिर हिलाते हुए अपने बाए हाथ से अपने गंजे सिर को सहलाता सुंदरेसन कुछ सोच कर -

"दस लाख ले जाकर उन अनाथों को अर्पित कर दें.....? यह नहीं हो सकता...!"

"नहीं हो सकता तो सुरभि को कैसे बचाएं.....?"

"पुलिस में ही जाना पड़ेगा....."

"पागलों जैसे मत बोलो..... अपने पास जो काला धन है, यह बात पहले ही किसी किडनेपर को साफ-साफ मालूम हो गया.... अब जब हम थाने में जायेंगे...तो सब बातें इनकम टैक्स विभाग तक पहुंच जाएगी.... और सुरभि भी हमें जिंदा नहीं मिलेगी..... ।"

"इसका मतलब... छुपा के रखे हुए रुपयों में से दस लाख ले जाकर अनाथाश्रम में दे दें ? यही कहना चाहती हो तुम .....?"

"हां....! इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है। रुपयों को देखें तो सुरभि हमारे हाथ से चली जाएगी..... अगले एक घंटे के अंदर उसे रिकॉर्डिंग थिएटर में भी पहुंचना है ....."

"बिना पैसे दिए सुरभि को छुड़ा नहीं सकते क्या ?"

"रास्ता....?"

"तुम्हारा भाई कहां है...?"

"अंदर सो रहा है...."

"जाकर उसे उठाकर ले आओ...."

"यह पापी लड़की.... रक्त दान करने के लिए क्या गई किसी के पास जाकर फंस गई ?" रंजीता बडबडाते हुए अपने भाई को जगाने अंदर चली गई।