सारे जंगल में खबर फ़ैल गई कि स्कूल में जल्दी ही टीचर भर्ती किए जायेंगे।
हिप्पो जी ने साफ़ कह दिया कि बच्चे सर लोगों के बदले मैडम लोगों से ज़्यादा जल्दी सीखते हैं। इसलिए स्कूल में लेडी टीचर्स ज़्यादा रखी जाएंगी।
सारा दिन चरागाह में चरने वाली गाय और तालाब के पानी में बैठी रहने वाली भैंस की तो ये सुनते ही बांछें खिल गईं। दोनों के मन में लड्डू फूटने लगे। स्कूल सरकारी था। हिप्पो जी ने बाकायदा राजा शेर से अनुमति लेकर स्कूल बनाया था। वेतन तो अच्छा मिलना ही था।
गाय और भैंस दोनों ने हिप्पो जी से मिलने का मन बनाया। मगर एक दूसरी से छिप कर। आपस में कड़ी स्पर्धा जो थी।
उधर बकरी जब स्कूल पहुंची तो हिप्पो जी अपने कक्ष में बैठे कोई फाइल देख रहे थे। बकरी को उन्होंने फ़ौरन भीतर बुलवा लिया।
बकरी ने जब उन्हें अपने आने का मकसद बताया तो वो सिर खुजाते हुए बोल पड़े - बहन जी, आपने आने में थोड़ी देर कर दी। हमने अभी अभी स्कूल के बाहर जलपान का ठेला लगाने की अनुमति एक बंदर को दे दी है। यहां इतनी ज्यादा ज़रूरत तो है नहीं कि दो -चार कैंटीन या खाने पीने की दुकानें हों। हमारे यहां तो बच्चे घर से अपने खाने के टिफिन लेकर ही आयेंगे। कभी कभी नाश्ते के लिए थोड़ी बहुत चीजों की ज़रूरत होगी तो उसके लिए बंदर ठेला लगा ही लेगा। सॉरी।
बकरी मुंह लटका कर लौट गई।
उस दिन सुबह बड़ी सुहानी थी। राजा शेर अपने बगीचे में अपने परिवार के साथ बैठे हुए थे कि गार्ड ने आकर कहा - बाहर एक गैंडे महाशय आए हैं जो आपसे मिलना चाहते हैं। उनके साथ में एक बड़ा सा काफिला भी है। कई जेब्रा ड्राइवर्स इन गाड़ियों को चला कर ला रहे हैं।
राजा शेर ने फ़ौरन लोमड़ी और खरगोश को आदेश दिया कि देखें, क्या मामला है।
ओह! अद्भुत।
अफ्रीका के जंगलों में बड़ा बिज़नेस करने वाले राइनो सर आए थे और वो उपहार में राजा साहब को कुछ गाड़ियां भेंट करना चाहते थे। गाड़ियों में फरारी, बीएमडब्ल्यू, एम जी हेक्टर, मर्सिडीज आदि बड़ी गाड़ियों के साथ कुछ छोटी गाड़ियां और टू व्हीलर्स भी थे। राइनो सर की अगवानी के लिए तुरंत एडवाइजर साहब को भेजा गया और उनकी राजा साहब से भव्य मुलाकात करवाई गई। उनकी शानदार आवभगत भी की गई।
बातों बातों में गेंडे महाशय राइनो सर ने बताया कि वो अब अफ्रीका से यहीं शिफ्ट होना चाहते हैं और यदि उन्हें राजा साहब का सहयोग मिले तो वो यहां गाड़ियों का एक विशाल शो रूम डालना चाहते हैं। जंगल में वाहनों की कमी को देखते हुए ही उन्होंने ये निर्णय लिया है।
राजा साहब ये सुन कर गदगद हो गए।
राइनो सर ने बताया कि अगर कुछ आर्थिक सहायता मिले तो वो यहां सड़कों और सुविधाजनक रास्तों का जाल भी बिछाना चाहते हैं।
झटपट राजा शेर की अनुमति मिलते ही उनके स्टाफ के साथ सब बातें तय करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक निर्धारित कर दी गई।
युद्ध स्तर पर मांद महल के आसपास की पार्किंग को भी विशाल बनाने का काम शुरू हो गया।
हिप्पो जी की जिराफ़ से पुरानी दोस्ती थी। ये दोस्ती उन्हीं दिनों से चली आ रही थी जब ठिगने नाटे हिप्पो जी को पानी से बाहर आते ही बहुत ज़ोर से भूख लगी थी और वो किसी भी पेड़ से कोई फल नहीं तोड़ पा रहे थे क्योंकि वो वहां तक पहुंच ही नहीं पा रहे थे। तब दूर से उन्हें देखता जिराफ़ आया था और उसने हिप्पो जी को एक ऊंचे पेड़ से ताज़े नारियल तोड़ कर दिए थे। दोनों की दोस्ती उसी दिन से कायम थी।
ऐसे में अपने स्कूल के लिए जब टीचर भर्ती करने का मौक़ा आया तो हिप्पो जी ने जिराफ़ को सादर आमंत्रित किया और उससे कहा कि वो अपनी ऊंची गर्दन से दूर दूर तक नज़र डाले और कुछ अच्छे अध्यापकों को बुलाने में सहयोग करे।
जिराफ़ ने आनन फानन में टीचर बनने के इच्छुक पशुओं को बुला लिया और हिप्पो जी व जिराफ़ बैठ गए उनका इंटरव्यू लेने।
गाय से पहला सवाल यह पूछा गया कि जब वह बच्चों को पढ़ाने स्कूल में आयेगी तो उसके ख़ुद के बछड़े का क्या होगा? उसे कौन संभालेगा?
गाय ने फ़ौरन जवाब दिया - श्रीमान, मैं अपने बछड़े को भी अपने साथ यहां लाऊंगी। वह भी तो पढ़ना चाहता है। शिक्षिका बच्चों के लिए मां समान होती है। मैं सभी के बच्चों को अपना बालक समझ कर ही पढ़ाऊंगी। मैं उन्हें मां की ममता दूंगी।
हिप्पो और जिराफ़ अभिभूत हो गए। गाय का चयन हो गया।
इसी तरह भैंस, घोड़े, मगर, चिड़िया और बारहसिंघा का इंटरव्यू भी हुआ।
मिट्ठू पोपट, लोमड़ी और खरगोश की मेहनत से राजा शेर का खज़ाना दिन रात बढ़ता ही जा रहा था। राजा साहब तो राजा साहब, रानी साहिबा शेरनी मैम भी खुशी से फूली नहीं समाती थीं। लेकिन उनकी सबसे बड़ी समस्या ये थी कि अब वो आम लोगों की तरह जंगल में यहां वहां घूम नहीं सकती थीं। उन्हें ज्यादातर मांद महल में ही रहना होता था जहां कभी कभी एक कैद की तरह उनका जी घुटता।
लोमड़ी ने इसका भी तोड़ निकाला।
हाथी , जिराफ़, ऊंट, दरियाई घोड़ा, बारह सिंघा, जेब्रा, रीछ आदि से कह दिया कि रानी साहिबा शेरनी मैम ने महल में एक पार्टी रखी है जिसमें आप सबकी पत्नियां सादर आमंत्रित हैं।
ये तो सभी के लिए गर्व की बात थी। मादा शक्ति मंडल का गठन कर दिया गया।
सभी पत्नियां अपनी अपनी धाक जमाने की गरज से सज धज कर आईं। वुल्फ ज्वैलरी शॉप की खूब बिक्री हुई। सभी ने पार्टी में पहन कर जाने के लिए एक से बढ़कर एक गहने वहां से खरीदे थे।
दोपहर को शानदार लंच के बाद शेरनी मैम ने वहीं हॉल में सभी के मनोरंजन के लिए एक रोचक खेल भी खिलाया।
मिट्ठू जी ने अपनी मित्र कोयल को मीठा गीत सुनाने के लिए आमंत्रित कर दिया था।
पार्टी में रानी साहिबा के हाथ में एक फूल दे दिया गया। रानी साहिबा ने वो फूल अपने बराबर बैठी किसी महिला को दिया, उसने आगे पास किया और इस तरह फूल बारी बारी से सबके हाथों में जाता रहा। उधर कोयल जैसे ही अपना गीत रोकती, वैसे ही फूल जिस महिला के हाथ में होता उसे उठ कर अपना कोई भी एक गहना रानी साहिबा को भेंट करना पड़ता।
खेल आगे बढ़ जाता। शाम को पार्टी से घर लौटते समय सबके चेहरे उतरे हुए थे पर मन में इस बात का संतोष भी था कि चलो रानी साहिबा उनसे खुश तो हो गईं।
लोमड़ी ने शाम को रानी साहिबा से कहा - मैम, आपकी पार्टी में तो बहुत सारे गहने - ज़ेवर इकट्ठे हो गए। आप कहें तो इन्हें भी सरकारी ख़ज़ाने में जमा कर दें।
- नहीं नहीं...इसका सरकारी ख़ज़ाने से क्या लेना - देना? ये तो मेरी निजी कमाई है। ये मेरे पास ही रहेगी। रानी साहिबा ने वो सभी गहने अपने शयन कक्ष की अलमारी में रखवा दिए।
राजा शेर ने भी रानी साहिबा को इतना धन जमा करने के लिए बधाई दी और साथ ही उपहार में आई कारों में से एक बेशकीमती कार भी उन्हें तोहफ़े में देदी। इस कार पर रानी साहिबा की नेम प्लेट लग गई और इसके लिए एक बिल्ली को ड्राइवर के रूप में भी रख दिया गया।
इस लेडी शोफर की शान ही निराली थी। आंखों पर बड़े से सन ग्लास लगाकर जब वो फर्राटे से गाड़ी को सड़क पर दौड़ाती तो देखते ही बनता था। लोग दस दस फीट दूर हट जाते और अगर गाड़ी में रानी साहिबा हों तो झुक कर सलाम करते।
उधर हिप्पो जी के स्कूल में टीचर्स आ जाने के बाद स्कूल में पढ़ाई जोर- शोर से शुरू हो गई।
तभी एक दिन राजा साहब के पास एक दिलचस्प मामला आया। एक चींटी ने दरखास्त दी थी कि स्कूल में टीचर्स की भर्ती में धांधली हुई है। चींटी का कहना था कि वह योग्यता में भैंस से कहीं बेहतर थी पर भैंस का चयन कर लिया गया क्योंकि भैंस ने इंटरव्यू लेने वाले हिप्पो जी और उनके दोस्त जिराफ़ को टिफिन भर के ताज़े दूध की खीर बनाकर भेंट की थी।
राजा शेर को इस तरह के मामले में कार्यवाही करने का कोई अनुभव नहीं था। एडवाइजर मिट्ठू पोपट ने सलाह दी कि राजा साहब को एक न्यायालय की स्थापना कर देनी चाहिए जिसमें ऐसे सभी मामलों को सुलझाया जा सके।
शार्क मछली को इस नए न्यायालय में जज मनोनीत कर दिया गया। कोर्ट रूम में एक पानी की बड़ी सी खुली टंकी बनवा दी गई जिसमें बैठ कर न्यायाधीश शार्क सभी फ़ैसले करने लगी।