डॉगी का नाम करण -
मेरी ड्यूटी अरूणाचल में थी हमारे आर्मी के अंदर भी डॉग स्कॉट होती है , हमारे पास भी एक फेमेल डॉग था । मैने दूसरे दिन फोन किया तो बेटी ने कहा पापा..इसका नाम क्या रखें मैने कह दिया चेरी रख लो सभी को नाम अच्छा लगा उसे चेरी चेरी कहने लगे ।
चेरी (हमारा डॉगी) छोटी थी किन्तु पूरे घर के कोने कोने को सूंगती रहती थी दोनो बच्चों के पीछे पीछे घूमती रहती थी ।
जब भी उसे बाहर घुमाने लेकर जाते बच्चों का झुंड इकट्ठा हो जाता उसे हाथ मे लेकर खिलाने की होड सी लग जाती । एकबार खिलाते समय चेरी एक बच्चे के हाथ से गिर गयी चांऊ चांऊ करने लगी पड़ौस की महिलाएं जोर से बोली क्या हुआ ? तुम लाड लाड ही लाड मे इसकी टांग मत तोड़ देना ।
मेरी बच्चों से फोन पर बात हुई तो बच्चों ने बताया कि पापा कल पूरी रात रह रह कर चेरी चांऊ चांऊ कर रही थी बच्चों ने गिरा दिया था। मैने कहा किसी को दिखाया क्या ? नही..नहीं दिखाया पापा इसे दर्द की टेबलेट दे दी है अब सो रही है ।
चेरी छोटी होते हुए भी समझती थी रसोई की तरफ जाने पर उसे डाँटकर बोलते तो थोड़ा असहज हो जाती और आगे नहीं बढ़ती।
मै छुट्टी आया हुआ था चेरी तीन महिने की हो गयी थी उसे बाहर घुमाने लेकर जाते तो जो भी उसे सड़क पर कंकड़ दिखाई देता झटसे मुंह मे रख लेती जब उसे कहते कि निकाल..निकाल तो निगल जाती बच्चे परेशान थे ।
हमने चिकित्सक से सलाह ली उसने कहा कि इसके मास्क लगा के घुमाया करो । मास्क प्लास्टिक का जालीदार खरीद कर ले आये अब मास्क लगाकर घुमाने के लिए लेकर जाते मास्क लगा देख लोग डर भी जाते सोचते होंगे कि यह काटती होगी इस लिए मास्क लगा रखा है ।
असली व नकली डाँट चेरी खूब समझती थी वह चेहरा देखकर समझ जाती और उसी के अनुसार व्यवहार करती ।
कहते है श्वानों को सारे कलर नही दिखाई देते किन्तु चेहरा देखकर ये मनोभाव पढ़ लेते हैं ।
इनकी घ्राण शक्ति मनुष्यों से कई गुना अधिक होती है । ये गंध से पहचान कर लेते है ।
जैसे मीठे की गंध हमें नही आती परन्तु चींटियां मीठे के पास पहुंच जाती है ठीक ऐसे ही श्वान हमारा छुआ हुआ सही से पहचान सकते हैं ।
भगवान ने इन्हे यह गुण दिया है इस लिए इनके इस गुण का फायदा सेना व पोलिस इन्हें प्रशिक्षण देकर अपराधियों को पकड़ कर उठाती है । ये बारूद का भी पता लगा सकते हैं सेना बम को इनसे ढूंढवा लेती है ।
हम जब चेरी को बाहर घुमाने लेकर जाते तो वह जगह जगह पर नयी नयी गंध सूंघती फिरती थी हम भी उसे रोकते नही थे सोचते थे कि यह इनकी प्रकृति है इसमे इनको आनंद आता है ।
चेरी बाहर जाने के लिए छोटे बच्चों की तरह हट करने लग जाती थी भौंकना.. फिर बाहर की तरफ गर्दन को झटकना ..ताकि हम समझ जाये कि यह अब बाहर जाने के लिए कह रही है ।
हमने एक नियम बना रखा था कि उसे खाना खिलाते ही बाहर लेकर जाते थे कई बार थोड़ा सा खाना खिलाया तब भी वह बाहर जाने के लिए भौंक..भौंक कर ईशारे करने लग जाती । जब उसे कहते कि चलो तो अपने कानों फड़फड़ाती जोर जोर से उछल कूद करके अपनी खुशी जाहिर करती ।
बाहर घूमा घामी कर लेने के बाद वापस चलने को कहते तो अपने पांव रोप देती हम समझ जाते कि अभी इसका मन भरा नहीं है हम उसे फिर घुमाने लग जाते यह क्रम तब तक चलता जब वह खुद रूक कर हमारे मुंह को देखने नहीं लग जाती ।
क्रमशः -