Chhal - 28 in Hindi Moral Stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | छल - Story of love and betrayal - 28

Featured Books
Categories
Share

छल - Story of love and betrayal - 28

एक दिन फोन पर…
कुशल - "हेलो.. कुशल स्पीकिंग" |
भैरव - "क्या रे, बहुत बड़ा आदमी बन गया रे तू, दूसरों का माल हड़प के अमीर बना रे तू, हां.. अब तू संभल जा क्योंकि तेरे सारे राज मैं जानता हूं, तूने अपने बॉस की सारी प्रॉपर्टी हथियाली ना, पर अब तू नहीं बचेगा, हा.. हा.. हा.." |

कुशल (घबराते हुए) - "कौन बोल रहा है? कौन बोल रहा है"?
भैरव ने फोन काट दिया, कुशल परेशान हो गया, उसके पास अब पैसे के साथ पावर भी था, उसने पुलिस को फोन मिलाया पर काट दिया, यह सोच कर कि अगर ऐसा हुआ तो उसका राज पुलिस भी जान जाएगी और उसे सजा हो जाएगी | अगले दिन प्रेरित और भैरव कुशल के होटल गए तो देखा कि कुशल चौबीस घंटे दो गार्ड की सुरक्षा में रहने लगा | उसकी आंखों में डर था तभी भैरव ने कुशल को दोबारा पीसीओ से फोन किया और धमकाया दोनों को उसके चेहरे पर यह खौफ देख कर बड़ा अच्छा लग रहा था | कुछ दिनों बाद पता चला कि कुशल न्यूयॉर्क जा रहा है |

भैरव - "यही सही मौका है, इसके पीछे हम भी चलेंगे और वही इसका काम तमाम करेंगे और किसी को पता भी नहीं चलेगा"|

प्रेरित - "हम नहीं, सिर्फ मैं", मैं अकेला वहाँ जाऊंगा और वही उसका खेल खत्म कर दूंगा और लोग समझ भी नहीं पाएंगे कि हत्या हुई है, या आत्महत्या" |

भैरव - "नहीं साब… वह मेरा भी दुश्मन है, मैं भी उसे मारूंगा"|
प्रेरित - "नहीं… तुमने मेरी इतनी ही बहुत मदद की लेकिन अब नहीं, तुम्हें तुम्हारा परिवार भी मिल गया, मैं नहीं चाहता मेरी वजह से तुम अब आगे और किसी परेशानी में पड़ो"|

भैरव ने बहुत जिद की लेकिन प्रेरित नहीं माना |

अगले दिन ही प्रेरित कुशल के पीछे पीछे न्यूयॉर्क आ गया | न्यूयॉर्क आते ही प्रेरित को अपने बीते पल फिर याद आने लगे,

शादी के बाद हनीमून के लिए वो प्रेरणा के साथ न्यूयॉर्क ही आया था, कितने हसीन पल थे वो जो उसने बिताए थे, लेकिन अब वो सारे पल उसकी आंखों से आंसू बनकर बहने लगे, उसे अब प्रेरणा से कोई बैर नहीं था |

प्रेरित ने सिसकते हुए खुद से कहा, "आखिर क्यों तुम उस कमीने नीतेश के चंगुल में फंस गई, काश तुम सिर्फ मेरी होती तो आज जिंदा होतीं |

प्रेरित ने वही होटल लिया जिसमें कुशल रुका था, पर न्यूयॉर्क आते ही प्रेरित ना चाहते हुए भी भावुक हो गया उसने सोचा कि उसकी जिंदगी तो बर्बाद हो ही गई है, क्या फायदा इन सब से, कुशल से बदला लेने का, वह सोच में डूबा रहता और फिर सोचा कि उसने भैरव के साथ ही बहुत बुरा किया है, इसे सबक तो सिखाना पड़ेगा |

एक शाम प्रेरित अपनी यादें ताजा करने के लिए बर्मिंघम पैलेस गया, न्यूयॉर्क का सबसे बड़ा और महंगा पैलेस बर्मिंघम पैलेस था |

आज पूरा पैलेस दुल्हन की तरह सजाया गया था, इसकी सुंदरता को शब्दों का रूप दे ही नहीं सकते, उसे बार-बार याद आता की प्रेरणा रोज पैलेस को देखने आती और प्रेरित से कहती, "काश… ये हमारा होता" |

प्रेरित ने उससे वादा किया था, एक दिन वह इसे जरूर खरीदेगा |

"साइड प्लीज…", किसी ने प्रेरित से कहा तो प्रेरित यादों के गुबार से बाहर आया |

उसने किसी से पूछा तो पता चला आज मिस्टर रॉबर्ट के बेटे का जन्मदिन है जो इस पैलेस के मालिक हैं, तभी माइक पर अनाउंसमेंट हुआ कि यहां पर आए सभी मेहमानों का स्वागत है, अब आप मिस्टर रॉबर्ट और जूलिया से दो शब्द सुनिए, यह सुनकर पैलेस में उपस्थित सभी लोग उठ खड़े हुए और तालियां बजाने लगे, भीड़ इतनी थी कि प्रेरित को सामने देखना मुश्किल हो गया था तभी आवाज आई, "लेडीस एंड जेंटलमेन…" ।