Mai bhi fouji - 5 in Hindi Motivational Stories by Pooja Singh books and stories PDF | मैं भी फौजी (देश प्रेम की अनोखी दास्तां) - 5

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मैं भी फौजी (देश प्रेम की अनोखी दास्तां) - 5

तब मेजर अंकल ने एक स्टूडेंट को बुलाकर कर पूछा...तुम कैसे बच गए..?....वो स्टूडेंट उन्हें बताता है..." सर हम तो उसको थैंक्स कहना चाहते हैं जिसने पूरे नोटिस बोर्ड पर लिखा था...आज बम ब्लास्ट होगा और ये बात सच है अगर जान बचाना चाहते हो तो भाग जाओ यहां से....हम सब तभी बाहर भाग आए थे..."
मेजर अंकल को शायद मेरी बात तब चिंताजनक लगी , उन्होंने तुरंत मुझे अपने कैंप पर बुलाया और मुझसे सवालों की झड़ी लगा दी......!
" नोटिस बोर्ड पर तुम लिखकर आये थे...?..."
मैंने हां कहा...
" तुम्हें कैसे पता था कि कल आडिटोरियम में ब्लास्ट होगा....?.."
" यही तो मैं आपको बता रहा था , आपने मेरी बात पर गौर ही नहीं किया..."
" अच्छा अब बताओ..."
मैंने रूस्तम सेठ के यहां देखी सुनी बातें सारी मेजर अंकल को बता दी ..... मेरी बात सुनकर उन्हें बहुत गुस्सा आया और तुरंत रूस्तम सेठ को पकड़ने के लिए तैयार हो गए ... मैंने उन्हें रोका और मना किया...
" अंकल अभी नहीं पहले इनके प्लेन को खत्म कीजिए बाद में उसे पकड़ना...."
" तुमने ठीक कहा ..... अच्छा बताओ आगे क्या क्या दहशत की योजना बनाई है उन्होंने..."
" अंकल 9अगस्त की घटना तो हो गई….अब वो 11अगस्त को एक सिनेमा हॉल में 13अगस्त को एक स्कूल में और 15 अगस्त को एक फाइव स्टार होटल में बम ब्लास्ट करने की प्लानिंग की है..."
" शाबाश बेटा आज तुम्हारी वजह से हम इनके किते गये अंजाम को विफल कर पाएंगे..."
अब समय आने पर हर जगह से बम को डिफ्यूज कर दिया.... सबने अंकल मेजर की बहुत तारीफ की लेकिन उन्होंने इस काम का श्रेय मुझे दिलवाया और कहा " अगर ये न होता तो हम इनके मनसूबों को कभी खत्म नहीं कर पाते..."
मुझे सम्मान के लिए बुलाया गया मुख्यमंत्री जी के हाथों मुझे सम्मान मिला पर धीरे से मैंने मेजर अंकल से कहा " मुझे सम्मान नहीं चाहिए मैं भी फौजी बनकर देश के लिए कुछ करना चाहता हूं..."
उन्होंने उस समय तो हां कह दिया पर बहुत समय बीत गए थे कुछ खबर नहीं मिली तब एक दिन घर पर किसी ने दस्तक दी.....
मां ने दरवाजा खोला तो सामने मेजर जनरल मान सिंह साथ में कई फौजी भाई थे .... उनके हाथ में थे फौजी के कपड़े .... उन्होंने मुझे देते हुए कहा " आज से तुम भी एक आर्मी मैन हो ...." उस समय मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा..... मैं तो इसे सपना समझ रहा था.... मैंने जोर से अपना गाल खींचा तो पता चला ये सच है...
...... मुझे आर्मी ट्रेनिंग के लिए दिल्ली भेजा गया.....
अपनी लगन और मेहनत से मैंने छः महीने में ही ट्रेनिंग पूरी कर ली.....आज मैं बहुत खुश था एक प्रोपर आर्मी मैन बनकर ...... मेरी पोस्टिंग भी भी मीरपुर में ही हुई..... मैं बहुत खुश था…..आज मेजर अंकल मेरा नाम जानकर बहुत खुश होंगे " कैप्टन सूरज प्रताप सिंह "आज़ मैं उनसे मिलकर यही कहूंगा आज मैं भी कैप्टन हूं मेजर अंकल...बस मीरपुर पहुंचती है.... मैं अपने घर जाने की बजाय सीधा मेजर अंकल के कैंप पर पहुंचा ...
मैंने जोर जोर से चिल्लाया....मेजर अंकल .... मेजर अंकल...तब एक लम्बे चौड़े व्यक्ति बाहर आते हैं.... मैं उन्हें देखकर हैरान रह गया ....वो मेजर मान सिंह नहीं थे कोई और ही है......