two sisters - 3 in Hindi Classic Stories by Mansi books and stories PDF | दो बहने - 3

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दो बहने - 3

Part 3
नियती वह जुले को देखे जा रही थी, वह सोच रही थी कि यह जुला इतना हिल-डुल क्यों रहा है या फिर यह मेरा वहम है।नियती भागती हुई निशा के पास गई ओर कहा दीदी तुम इस जुले पर मत बैठो कतार से बहार आ जाओ, चलो हम मां ओर पिताजी के पास चलते है।
निशा ने कहा नहीं में कहीं नहीं जाऊंगी मे तुम्हारी तरह डरपोक नहीं हूं तुम चली जाओ यहां से। नियती ने निशा को बहुत समझाया कि वह उस जुले पर ना बैठे लेकिन निशा ने उसकी एक नहीं सुनी।नियती फिर जहा खड़ी थी वहीं चली गई।
नियती ने देखा वह जुला कुछ ज्यादा ही हिल रहा है क्युकी वह खूब तेजी से चल रहा था। उसने देखा जुला चार खंभो पर खड़ा था उसमे से चौथा खंभा बहुत ही ज्यादा हिल रहा था। जुले मे बैठे सभी लोग मजे से जुला खा रहे थे ओर मजे मे चिल्ला भी रहे थे ।
तभी नियती ने देखा कि जुले का खंभा बस गिरने ही वाला है।ओर वह खंभा वहा से टूट गया। निशा खंभे के नीचे ही खड़ी थी ,तभी उस पर खंभा गिरने से पहले ही नियती ने उसके हाथ पकड़ कर खींच लिया और ज़ोर से खींचने को वजह से निशा ओर नियती गीर गए।
तभी खंभा गिरने की वजह से वहा अफरा-तफरी मच गई।सारे लोग इधर उदर भागने लगे जो लोग जुले मे बैठे थे वह सभी चिल्लाने लगे। नियती उठ कर जल्दी से जुला चलने वाले के पास गई और जुला रुकवाया। सारे लोग नीचे उतर सही समय पर जुला रुकवाने के लिए नियती का धन्यवाद किया।
फिर वहा खिमजी ओर सरला पोहचे ओर निशा से कहा " मेरी बच्ची तुम ठीक हो" सरला ओर खिमजी ने कहा नियती ने सही समय पर हाथ खीच लिया निशा का ओर उसकी जान बचाई। तभी वहा नियती आ गई और बोली दीदी तुम ठीक तो हो ना तुम्हे कहीं चोट तो नहीं लगी ,नियती को गिरने की वजह से थोड़ी चोट लग गई थी।
तभी निशा बोली तुमने मुझे बचाया उसमे तुमने कोई एहसान नहीं किया मुज पर वो तो कोई भी कर लेता। निशा के मुंह से यह बात सुनकर खिमजी आंख बबूला हो गया उसके गुस्से का पारा उपर तक चढ़ गया तभी खिमजी ने उसे खींच कर एक तमाचा मारा।सरला उसे हाथ पकड़ कर घर खींच लाई।
घर पर सरला ओर खिमजी ने निशा को अपने सामने बिठाया ओर आज तो खिमजी ने निशा को कहा आज तुम बोल ही दो तुम्हे नियती से क्या दिक्कत है। उसने तुम्हारी जान बचाई है, आज उसकी वजह से तुम यहां हमारे सामने बैठी हो वरना वो खंभा तुम्ही पर गिर जाता।
वह तुम्हारी इतनी चिंता करती है ओर तुम हो कि उससे अच्छे से बात ही नी करती,वह अपनी बड़ी बहन का प्यार पाना के लिए तरसती है ओर तुम्हे उसकी कोई कदर नहीं। सरला कहती है आज तुम्हारी वजह से हमें हमारा वादा तोड़ना पड़ा।सरला ओर खिमजी ने एक दूसरे से वादा किया था कभी अपनी बच्चियों पर हाथ नहीं उठाएंगे ओर आज निशा के कारण खिमजी को वह वादा तोड़ना पड़ा था।
लेकिन निशा के लिए यह तमाचा जरूरी हो गया था उसके काम ही ऐसे थे ।तभी निशा की सुनने को सहन शक्ति का अंत आया ओर वह बोल पड़ी आप दोनों को बस यही दिखती है ,आप मुझसे ज्यादा इस नियती से प्यार करते है पूरा दिन बस नियती,नियती ओर नियती उसके अलावा आपको कुछ दिखता नहीं।
यह सब सुनकर सरला ओर खिमजी का तो मानो दिल टूट ही गया जब अपनी ही बेटी ऐसे जवाब दे उसका दर्द क्या होता है आज सरला ओर खिमजी को पता चला। तब नियती बोली यह तुम क्या कह रही हो दीदी ऐसा नहीं है मां ओर पिताजी हम दोनों को समान प्रेम करते है तुम मुझ पर गुस्सा हो तो मुझे सुनाओ मां ओर पिताजी को नहीं।
निशा बोली यह सब तुम्हारी वजह से हो रहा है तुम तो चुप ही रहो सरला का रो रों कर बुरा हाल हो चुका था ।
ऐसे ही ८ साल बीत गए। ओर अब दोनों बहने बड़ी हो चुकी थी।



कहानी का part 4 जल्द ही आयेगा।😊