Real Incidents - 5 in Hindi Moral Stories by Anil Patel_Bunny books and stories PDF | Real Incidents - Incident 5: बिन माँ जग सुना

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Real Incidents - Incident 5: बिन माँ जग सुना

“कहाँ है हमारी माँ?” राजेश ने कहा।
“भाई तुम्हारी माँ को मरे हुए 1 साल हो चुके है।” सविता जी ने कहा।
“नहीं हम ये नहीं मानते! वो यहीं है हमारे पास!” समीर ने कहा।
बड़ी ही अजीब कशमकश थी, क्या करें क्या ना करें ये समझ में नहीं आ रहा था। सविता जी और उनके साथ आए 3 लोग भी इस समस्या का समाधान कैसे ले आए इस पर विचार कर रहे थे।
बात दरअसल कुछ ऐसी थी कि राजेश, समीर और गरिमा की माँ का देहांत हुए 1 साल हो गए थे। पर ये तीनों इस बात को स्वीकृत करने को तैयार ही नहीं थे। 1 साल से ये तीनों भाई-बहन एक ही घर में 2 कमरों में अपनी ज़िंदगी जी रहे थे। उनकी हालत किसी भिखारी से कम नहीं थी। तीनों ने खुद को दुनिया से अलग कर दिया था और अज्ञातवास में चले गए थे। ना तो वो लोग किसी से मिलते थे और ना ही कोई काम करते थे।
शुरूआत में लोगों को लगा कि ये कुछ दिनों की बात है उसके बाद सब ठीक हो जाएगा। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। उलटा जितना वक्त बीतता गया उतनी ही उन तीनों की तनहाई और भी गहरी होने लगी। कुछ वक्त पड़ोसियों ने उन तीनों को खाना दिया पर उसके बाद वो उन्हीं लोगों पर निर्भर हो गए। खुद ना कुछ कमाते थे और ना कहीं से खाने का बंदोबस्त करते थे। घर की चार दीवार को ही उन तीनों ने अपनी दुनिया समझ ली थी।
पड़ोस के लोगों ने ही इन सभी की जानकारी साइकोलॉजिकल डिपार्टमेंट में दी थी। उसी के चलते सविता जी और उनकी टीम उन लोगों की मदद करने को आए थे। पर ये तीनों भाई-बहन किसी की भी एक नहीं सुन रहे थे।
“तुम लोग समझ क्यों नहीं रहे हो? तुम्हारी माँ को मरे हुए एक साल हो गए है, अब वो वापस नहीं आने वाली।” सविता जी ने कहा।
“मैं ये कुछ नहीं जानता हमें हमारी माँ चाहिए, उनके बगैर हम लोगों का अस्तित्व ही नहीं है।” समीर ने कहा।
“तुम्हारी माँ तुम लोगों के साथ ही है, वो ऊपर से तुम सब लोगों को देख रही होगी। वो तुम लोगों को अगर इस हालत में देखेंगी तो वो कितनी दुःखी होंगी। और उन्हें दुःख देकर क्या तुम लोग खुश रह पाओगे?” सविता जी ने कहा।
“आप कहना क्या चाहती है? हम अपनी माँ के मरने का अफसोस भी ना करें? अगर वो हमें ऊपर से देखेंगी और हम जश्न मनाते हुए पाए गए तो उस वक्त उनको कितनी तकलीफ़ होगी?” गरिमा ने कहा।
“ये आप लोगों की गलतफहमी है! कोई माँ-बाप ऐसे नहीं होते जो उनकी संतान को खुश देखकर खुद दुःखी हो जाए। उलटा वो लोग और भी खुश होते है, चाहे वो लोग ज़िंदा हो या ना हो!” सविता जी ने कहा।
ये बात सुनकर गरिमा रोने लगी। उसे रोता हुआ देख उसके भाई भी रोने लगे, “हमें माफ कर देना माँ हम तुझे बचा नहीं पाए। हमारी वजह से तूने अपनी जान गंवाई! हम तुझको मारकर खुद कैसे हंसी-खुशी ज़िंदा रह सकते है…?” समीर ने कहा।
“क्या मतलब तुम्हारी वजह से तुम्हारी माँ मर गई? कैसे हुई थी उनकी मौत?” सविता जी ने पूछा।
“1st अप्रैल का दिन था, लोग अप्रैल-फूल डे मना रहे थे। हमारा कोई दोस्त नहीं था, हमारी सिर्फ माँ ही थी। उसको हम हर साल अप्रैल-फूल बनाते थे। पर उस दिन पता नहीं हम तीनों को क्या सूझी, हमने माँ को फ़ोन कर के बताया कि गरिमा का एक्सीडेंट हो गया है! माँ बिना कुछ सोचे हड़बड़ाहट में घर से बाहर निकली, और एक बाइक की टक्कर से उसका एक्सीडेंट हो गया। और सर पर चोट लगने की वजह से वो कोमा में चली गई। और कुछ दिनों बाद उनका देहांत हो गया। इस दुनिया में हमारी माँ के अलावा और कोई नहीं था। उसके जाने के बाद हम एकदूसरे को कभी माफ नहीं कर पाए। आखिर हम खुश रहे और लोगों से मिले-जुले किसके लिए?” राजेश ने कहा।
सविता जी ने उनकी बात को ध्यान से सुना और उन लोगों को उनकी माँ का वास्ता देकर घर से बाहर निकलने और कमाने के लिए मना लिया। थोड़ी मेहनत जरूर लगी पर आखिरकार मेहनत रंग लाई। आज वो तीनों अच्छी पोस्ट पर नौकरी कर रहे है। आज उनकी माँ भी उन सब को देखकर खुश हो रही होंगी।

सच्ची घटना पर आधारित।
Incident 5 समाप्त 🙏

✍ Anil Patel (Bunny)