Sapno ka Shubh ashubh fal - last part in Hindi Astrology by Captain Dharnidhar books and stories PDF | सपनो का शुभ अशुभ फल - (अंतिम भाग )

Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

Categories
Share

सपनो का शुभ अशुभ फल - (अंतिम भाग )

सपनो का धर्म ग्रंथो मे वर्णन- सपने कौन नही देखता सपने सभी को कभी न कभी आते ही है आदि काल से सपने देखे जाते रहे है । कैकेयी ने मंथरा से सपने की बात कही कि आज कल मुझे बड़े अशुभ सपने आ रहे है।
तारा ने बालि को सपने का हवाला देकर रोका । मंदोदरी ने सपने का हवाला देकर श्रीराम से संधि करने को कहा । त्रिजटा ने सपने का जिक्र कर राक्षसियों को सीता माता को यातना देने से रोका । द्रोपदी ने अपने पुत्रो के लिए अशुभ सपना देखा और अधीर हो गयी । गांधारी ने अशुभ सपना देखा और उसे धृतराष्ट्र को सुनाया और कुरुवंश के विनाश को रोकने के लिए युद्ध रोकने के लिए कहा । अतः सपनो का भी अपना कोई विज्ञान रहा होगा । आज सपने हम देखते है किन्तु वे सभी सही है ऐसा नही कह सकते ।
सपनों के विषय मे तर्क- हम सपनो को सही भी नही ठहरा सकते तो इन्हे नकार भी नही सकते । इसमे मनोवैज्ञानिको का तर्क है कि हम जो सोचते रहते है वही कभी न कभी सपना बनकर आ जाता है । इनका तर्क सही भी लगता है । एक बालक सपने देखता है वह उसके बाल जीवन से संबंधित ही होंगे । कुछ अलग आते भी होंगे तो उसकी समझ से बाहर होंगे । एक युवा के सपने युवाकाल के होंगे उसकी अतृप्त वासना को लेकर भी हो सकते है। प्रौढ या वृद्ध के सपने पारिवारिक मोह को लेकर, हो सकते है । इससे यह सिद्ध तो होता है अधिकतर सपने देखे हुए स्थानो के आते है । जो भाषा नही आती उस भाषा का ज्ञान होने का सपना नही आता । जो स्वाद कभी लिया नही उस स्वाद से संबंधित सपना नही आता ।
लेकिन यह सत्य है कुछ कल्पना से बाहर का अटपटा सपना यदि आये तो सपने का फल जरूर होता होगा । जैसे गांधारी ने देखा कि एक विशाल वृक्ष को धृतराष्ट्र ने काट दिया है । गांधारी अपनी भूख मिटाने के लिए शवो के ऊपर चढकर फल तोड़ना चाह रही है । त्रिजटा ने सपने मे देखा कि रावण के सिर पर मुकुट नही है भुजाये नही है गधे पर बैठकर दक्षिण मे जा रहा है । वानर के द्वारा लंका जला दी गयी है । मंदोदरी ने शवो को गीद्धो व सियारो को नोंच नोंच कर खाते देखा । इन सपनो का अशुभ फल हुआ । अतः बड़ा कठिन भी है सपनो के फल को नकारना । आंख बंद कर इन पर विस्वास कर लेना भी अंधविश्वास को बढावा देना है । विश्वास व अविश्वास मे बड़ी पतली रेखा है । अब स्वयं पाठक अपने विवेक से निर्णय ले । कौनसे सपने सही है कौनसे गलत अर्थात सपनो के फल मानना है या नही मानना ।
मेरा मत- मै यह मानता हूँ कि सपनो मे विज्ञान है किंतु आज हम इन्हे सही सिद्ध नही कर पा रहे । इस पर शोध करने की जरूरत है । हमारा सनातन धर्म एक जीवन पद्धति है । जो विज्ञान सम्मत है । जब तक इन्हे विज्ञान सम्मत नही बना दिया जाये तब तक इंतजार करना चाहिए । कुछ लोगो का यह भी मानना है कि ऐसे सपने देखने पर हमारे साथ अशुभ हुआ है । जैसे खुदका दुबारा विवाह देखना किसी ओर के साथ तो बिमारी या कोई तनाव हुआ है । खुद को नंगा देखने पर अपमान होने की बात कही है। गड्ढे मे गिरते खुदको देखने से पाया कि प्रतिष्ठा गिरी कार्यक्षेत्र मे अपमानित होना पड़ा है ।
सपने क्या जानवर भी देखते है - संभवतः जानवरो को भी सपने आते है । मैं ओर जानवरो की तो नही कह सकता किंतु मैने अपने पालतू कुत्ते को कयी बार सोते मे गुर्राते देखा, कयी बार चिल्लाते देखा है फिर उसको थपकी देकर जगाया है फिर वह वापस सो गया है ।
लेखक - कैप्टन धरणीधर पारीक
जयपुर राजस्थान