"क्योंकि मैं नही चाहती तुम अपनी इच्छा के बिना उससे शादी करो। और शायद यह हो सकता है की उससे मिलने के बाद तुम मना कर दो।"
"मैं क्यों अब मना करूंगा? जब मैं उससे बिना मिले ही शादी करने को तैयार हूं तो क्या दिक्कत है। अब चाहे वोह गूंगी, बहरी या फिर लंगड़ी हो, मैं शादी के लिए तैयार हूं।" कबीर अब इरिटेट होने लगा था।
"उसका नाम अमायरा है," सुमित्रा जी ने कबीर से नज़रे चुराते हुए कहा।
"क्या? अमायरा? आप मज़ाक कर रहीं है ना? आप...आप प्लीज सीरियस नही हो सकती मां?" कबीर ने हैरत से पूछा।
"मैं बिल्कुल सीरियस ही हूं, कबीर," सुमित्रा जी ने जवाब दिया।
"अमायरा? इशिता की बहन अमायरा? उसकी छोटी बहन अमायरा?" कबीर को अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था।
"तुम और मैं सिर्फ एक ही अमायरा को जानते है, कबीर। इशिता की बहन, अमायरा। मनमीत और नमिता की बेटी अमायरा।" सुमित्रा जी ने बड़ी आसानी से कह दिया।
"ओह तोह आप सब लोगों ने मिलकर उसे बली का बकरा बना दिया, मां। वोह अभी बच्ची है। आपने सोच भी कैसे लिया की मैं उससे शादी करूंगा?"
"वोह 24 साल की है। अब कोई बच्ची नही रही।"
"और मैं 31 का हूं। आपके दिमाग में आया भी कैसे की हमारा कोई मैच है।" कबीर अभी भी शॉक में ही था।
"तुम्हारे दादा जी, तुम्हारी दादी से बारह साल बड़े थे और तुम्हारे पाप मुझसे आठ साल बड़े हैं। तोह सात साल बड़ा तो कोई बड़ी बात नहीं।"
"यहां....यहां सिर्फ उम्र की बात नही है, मां। वोह....वोह बस...बस...... बच्ची है। मेरा मतलब है मैने उसे देखा था जब बच्ची थी। मैं अपने दिमाग से वोह तस्वीर नही मिटा सकता। मैने उसे देखा था जब वोह तेरह या चौदह साल की थी जब उसके पापा की तेरवी थी। उसके बाद से मैने उसे देखा ही नहीं।"
"हां मानती हूं जब तुमने उसे लास्ट टाइम देखा था तब वोह बच्ची थी लेकिन यह दस साल पुरानी बात है। वोह अब बड़ी हो गई है और खूबसूरत जवान लड़की बन चुकी है।"
"मां प्लीज, स्टॉप इट।" देव अब डरने लगा था अपनी मां की बातें सुन कर।
"ओके। तुमने कहा था की तुम किसी भी लड़की से शादी करने को तैयार हो इशान के लिए। तोह क्या फर्क पड़ता है की वोह अमायरा हो या कोई और।"
"वोह.....वोह....फैमिली है, मां। मैं उसके साथ कोई नाइंसाफी नहीं कर सकता। मैं उससे ज्यादा नही मिला लेकिन मैं इतना जानता हूं की वोह अक्सर यहां आती है और आप सब लोग उससे बहुत प्यार करते हैं। और फिर यह.....शादी..... उउह्ह्ह"
"कबीर, उसने भी अभी तक हां नही की है। हमने तुम दोनो की कुंडली मिलाई है और गुरुजी ने कहा है एकदम परफेक्ट जोड़ी है। हम बस हम यह चाहते हैं की तुम दोनो एक बार मिल लो। अगर तब भी तुम उससे शादी के लिए मना करदो तोह मुझे तुम अपनी चॉइस की लड़की बता देना, दो दिन में, ताकि में तुम्हारी और ईशान की शादी एक ही साथ करवा दूं। और अगर तुम कोई लड़की नहीं ढूंढ पाए तोह नमिता, इशिता की शादी, इशिता के पाप के दोस्त के बेटे के साथ कर देगी। मेरे पास बस दो दिन है।"
"कहां मिलना है मुझे अमायरा से?" देव ने उदास होते हुए पूछा।
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दूसरी तरफ नमिता का घर
"अमायरा मुझे पता है कि तुम्हारे और कबीर के बीच उम्र का काफी फर्क है। लेकिन मुझे लगता है कि वह अच्छा हस्बैंड साबित होगा। वह एक अच्छा लड़का है और तुम्हें हमेशा खुश रखेगा," नमिता जी ने कहा।
"मुझे पता है, मॉम। मुझे पता है की वोह बहुत अच्छा लड़का है। वोह सुमित्रा आंटी का बेटा है। वोह बुरा हो ही नही सकता। और मुझे इस तरह से यकीन दिलाना बंद करो। मैने बोल तोह दिया की मिलूंगी उससे। पहले भी तोह कई बार मिली हूं।"
"मुझे पता है तुमने बोला है। लेकिन तुम पहले भी जब उससे मिली हो तब तुम बच्ची थी। मैं बस......बस....... आआह्हह......"
"मैं आपको गलत नहीं समझ रही हूं, मॉम। मैं जानती हूं कि आप दी की शादी ईशान जीजू से कराना चाहती हो। और मैं यह भी जानती हूं कि वह आप नहीं हो जिसने मेरी शादी का प्रस्ताव रखा है। मैं यह भी जानती हूं कि आप हमेशा ही मेरे लिए बेस्ट ही चुनना चाहती हैं।"
"मैं बस यह चाहती हूं कि उससे मिलने के बाद यह जरूरी नहीं कि तुम उसे हां कर दो। मैं भले ही इशिता की शादी ईशान के साथ कराना चाहती हूं लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इसके बदले मैं तुम्हारी शादी ऐसे इंसान से करा दूं जिसके साथ तुम शादी नहीं करना चाहती हो। मैं जानती हूं कि तुम्हारी उससे शादी होने के बाद इशिता इशान की शादी भी आसानी से हो जाएगी, पर उसके लिए तुम अपने ऊपर कोई प्रैशर मत डालो। गुरु जी ने कहा है कि तुम दोनों की कुंडली बहुत अच्छे से मिली है अगर तुम दोनों साथ रहोगे तो हमेशा ही खुश रहोगे इसलिए मैं......."
"अपने गुरु जी पर इतना भरोसा करना बंद कीजिए, मॉम। मैं जानती हूं कि आप मुझसे और दी से बहुत प्यार करती हो। मैं उससे मिलना चाहती हूं क्योंकि मैं उसे एक फेयर चांस देना चाहती हूं। सुमित्र आंटी चाहती है कि मैं उससे मिलूं, क्या पता, वह मुझे पसंद ही आ जाए।" अमायरा ने कहा, अपनी मॉम की बेचैनी को कम करने के लिए।
"हां, शायद। पर अगर पसंद ना आए तो मना कर देना सीधा। मुझे बहुत दुख होगा और अपने से नफरत भी होने लगेगी अगर तुमने जिम्मेदारियों की वजह से शादी के लिए हां कर दी।"
"पर शायद क्या पता मुझे उससे पहली नजर में प्यार हो जाए और हमारी भी एक क्लासिक सी लव स्टोरी बन जाए जैसे आपकी और डैड की थी," अमायरा ने अपने मॉम को चिढ़ाते हुए कहा और दोनो खिलखिला कर हंसने लगे, नमिता अपने पति को याद करके और अमायरा अपने डैड को।
"वैसे देखा जाए तोह लव एट फर्स्ट तोह हो ही नही सकता, क्योंकि तुम एक दूसरे से बचपन में मिले चुके हो," इशिता ने कमरे में अंदर आते हुए कहा।
"पर तब तोह मैं बच्ची थी ना। मुझे क्या पता था की एक दिन मुझे उसे अपना हसबैंड के तौर पर देखना पड़ेगा," अमायरा ने मज़ाक करते हुए कहा लेकिन उसकी बात सुन कर इशिता की आंखों में नमी उतर आई।
"मुझे पता है तुम यह सब सिर्फ मेरे लिए कर रही हो। प्लीज तुम ना कर दो अगर तुम्हे वोह बिलकुल पसंद नहीं है तोह। मेरे लिए तुम अपने आप को सैक्रीफाइस मत करो। अगर मेरा और ईशान का मिलना लिखा है तोह हम ज़रूर मिलेंगे। इसलिए प्लीज़ हां मत करना अगर तुम नही चाहती हो तोह।"
"वैसे, मैं सोच रही हूं की हां कर ही दू। हां तुम्हारी वजह से तोह ही, लेकिन सिर्फ इसलिए नही की तुम और जीजू शादी कर सको बल्कि इसलिए भी की मैं अपनी बड़ी बहन की जेठानी बन सकूं और फिर पूरा हक जताऊंगी आर्डर दे देकर जैसे तुम मुझे देती आई हो बचपन से।" अमायरा की आंखे शरारती अंदाज़ में चमक उठी और इशिता ने उसे इमोशनली गले लगा लिया।
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