(part2). निशा मेले मे जाने के लिए खूब उत्सुक थी। वह मेले में जाने के पहने के लिए कपड़े अभी से निकालने लगी।तभी नियती वहा आयि उसने निशा से कहा दीदी तुम ये वाला सूट पहनना तुम पर बहुत अच्छा लगेगा।निशा ने कहा मुझे जो पहनना होगा में वो पहनूंगी तुम जाओ यहां से।नियती निराश हो कर चली गई।
निशा तो नियती के साथ ऐसे व्यवहार कर रही थी कि मानो नियती उसकी सौतेली बहन हो।नियती अपने कमरे में जा कर खुद के लिए कपड़े निकाले वह तो बिचारी वहीं पुराना सूट निकला ओर सोचा यही पहन लूंगी कल।निशा को चमक धमक वाले कपड़े पहने का शोख था।नियती के पास तो सारे पुराने सूट थे उसे चमकीले सूट पहनना पसंद नहीं था।
निशा ने एक पीले रंग का चमकीला सूट निकला ओर सोचा यह तो बहुत अच्छा है कल यही पहनूंगी सब मुझे देखते रह जाएंगे मे इतनी सुंदर लगुंगी कल, मेरे सामने नियती तो फिकी लगेगी। पर निशा को क्या पता नियती के तो सादगी मे ही सुंदरता है,उसके सब के प्रती प्रेम भाव ही उसे सुंदर बनता है।
सरला ओर खिमजी कमरे में बाते कर रहे थे,खिमजी ने कहा सरला देखना कल दोनों बच्चियो को बहुत मजा आएगा कब से हम कहीं गए नहीं थे।सरला ने कहा हां जी दोनों बहुत खुश लग रही थी चलिए अब सो जाते है कल सुबह जल्दी उठना भी है।दोनों सो गए।अगली सुबह नियती सात बजे उठ गई, उसने उठकर सूर्य देव का स्मरण किया फिर वो नहा कर रेडी हो गई।वो सरला के पास गई सरला ने कहा बेटा तुम उठ भी गई।उसने कहा हा मां मे तुम्हारी कुछ मदद कर देती हूं। सरला ने कहा नहीं बेटा काम कुछ नहीं है तुम जाओ ओर निशा को उठा लो वह अभी तक सो रही है,नियती कहती है हा मां अभी जाती हूं।
नियती निशा के कमरे में गई ओर कहा दीदी उठ जाओ देखो सुबह कब की हो गई जल्दी उठो।निशा कहती है क्या है नियती, क्यों इतना चिल्ला रही हो दिख नहीं रहा मे सो रही हूं।तभी वहा सरला आ गई उसने कहा निशा ऐसे अपनी बहन से कोई बात करता है क्या मेने ही उसे कहा था तुम्हें उठाने के लिए।निशा कुछ भी बोले बग़ैर वहा से चली गई ।
सब लोग मेले में जाने के लिए निकले। पूरा परिवार मेले में पोहचा। मेले में खूब भीड़ थी सब लोग मेला देखने आए हुए थे।मेले में बहुत सारी खरीदी कि दुकानें थीं।भोले नाथ की बहुत सारी मूर्तियां मिल रही थी।सारे लोग चिल्ला रहे थे भोले नाथ की जय , भोले नाथ की जय....।
निशा सब देख कर बहुत खुश थी। तभी निशा ने देखा उसके सारे दोस्त आए थे वह उनसे मिलने जा रही थी,तभी सरला ने कहा निशा बेटा नियती को भी लेजा उसे सबसे मिल कर अच्छा लगेगा खिमजी ने कहा जाओ नियती तुम भी जाओ। तभी निशा बोली ,नहीं पिताजी नियती को यही रहने दो वह सब मेरे दोस्त है ऐसा कह कर वह चली गई।नियती ने कहा नहीं पिताजी कोई बात नहीं में यही रहूंगी आपके पास।निशा के दोस्त बोले अरे निशा तुम यहां, निशा ने कहा हा मै भी अयी हूं।निशा की एक दोस्त सेजल ने कहा अरे निशा वह तो तुम्हारी बहन है ना उसे क्यों नहीं लाई यहां,तभी निशा ने कहा मेने तो उसे कहा था यहां आने को लेकिन वह आना नहीं चाहती थी। निशा कितनी जूठी थी। वह अपने दोस्तो के साथ गप्पे लड़ा रही थी तभी सरला ने बोला निशा बेटा चलो। निशा ने अपने दोस्तो से कहा अच्छा मे चलती हूं। वहा मेले अलग अलग प्रकार के जुले थे। खाने के लिए बहुत सारी दुकानें थी।
खिमजी ने कहा चलो हम सब गोलगप्पे खाते है।पूरे परिवार ने गोलगप्पे खाए।निशा को एक दुकान पर चूड़ियां पसंद आई तो उसने वह खरीद ली सरला ने कहा नियती तू भी कुछ लेले।तभी निशा कहती है पिताजी चलो ना हम जूले मे जाए।खिमजी ने कहा जाओ तुम ओर नियती जुले मे। दोनो नाव वाले जुले मे गई।
जुला बहुत ऊपर तक जा रहा था नियती थोड़ी देख कर डर गई उसने निशा से कहा दीदी तुम जाओ मुझे थोड़ा डर लग रहा है तभी नियती लाईन से निकाल गई। निशा ने सोचा कितनी डरपोक है। जुले मे जाने के लिया बड़ी कतार थी।नियती को लगा जुला कितना हिल रहा है।
कहानी Part 3 जल्द ही आयेगा☺️