Mahila chatpati batkahiya in Hindi Book Reviews by Neelam Kulshreshtha books and stories PDF | महिला चटपटी बतकहियां

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महिला चटपटी बतकहियां

शिखर चंद जैन, कोलकत्ता

गुजरात की जानीमानी पत्रकार नीलम कुलश्रेष्ठ का यह व्यंग्य संग्रह अपने नाम के मुताबिक ही महिलाओं की गप्प गोष्ठी से निकली बातों को आधार बना कर लिखा गया है। किसी भी व्यक्ति के किसी खास अंदाज़, उसकी बातों और हावभाव और परस्पर गॉसिप को लेकर हास्य व्यंग्य रचने की पुरानी परंपरा है। भले ही नीलम जी ऐसा करने में अपराधबोध महसूस कर रही हों, लेकिन व्यंग्य का आधार ही विसंगतियां, अटपटे अंदाज़ और चटपटी बातें होती हैं। पुस्तक में कुल 11 व्यंग्य हैं जो गृहिणियों की ज़िंदगी, समाज व दूसरी महिलाओं के प्रति उनकी राय व उनके प्रति दूसरों की राय के इर्द गिर्द ही घूमते हैं। कुछ व्यंग्य हास्य-व्यंग्य प्रधान कहानी जैसे लगते हैं, तो कुछ में व्यंग्य जैसा कम, बतकही या किस्सागोई ज़्यादा नज़र आती है। हां, इससे इनके दिलचस्प होने में कोई फ़र्क नहीं पड़ता।

----------- [ कोलकत्ता के समाचार पत्र ‘समाज्ञा’ में प्रकाशित ]

पुस्तक परिचय- नीलम कुलश्रेष्ठ

मैं यहां पुस्तक में ब्लर्ब पर लिखी अपनी भूमिका आपको पढ़वाना चाहतीं हूँ जिससे आप जान सकें कि स्त्रियां कितनी विकट परिस्थिती में भी सृजन कर सकतीं हैं ---

`जब मेरे बच्चे छोटे थे व सास एक बार पक्षाघात की शिकार होकर मेरे पास आई व उसके बाद उनकी हिप बोन टूट गई तो बिस्तर पर रहीं । मेरा घर से निकलना थोड़ा मुश्किल था तो उस समय अपने को प्रफुल्लित रखने के लिये तीन चार व्यंग लिख डाले थे । उसके बाद ये सिलसिला चलता रहा और बाद में ‘महिला नवआतंकवाद’ पर जाकर समाप्त हो गया । हमेशा कहा जाता है कि सरस्वती के आशीर्वाद के बिना हम कुछ लिख नहीं सकते । उसके बाद ये सिलसिला बंद हो गया, अन्य विधाओं में मैं लिखती चली गई । जो लेखन करती हैं वे अडौस पड़ौस में गप्पें मारने नहीं जा पाती लेकिन ‘रॉ मेटेरियल’ कहाँ से मिले ? तो ऐसी पड़ौसिन थीं “अजी ! ज़रा सम्भालना” की नायिका जिनके पास महीने, दो महीने में जाओ तो पूरी कॉलोनी के किस्से पाओ । जब मैं व्यंग लिखा करती थी तो मुझे स्त्रियों की खिल्ली उड़ाने में बहुत मज़ा आता था । आज जब मैं इस उम्र में स्त्रियों के विभिन्न चरित्रों के मज़ाक का संकलन करने बैठी हूँ तो पता नहीं क्यों एक अपराध बोध से भी ऊपर लिखे कारणों से भर गई हूँ । अब समझने लगीं हूँ कि अधिकाँश महिलाओं को बहुत कुछ सीखने को नहीं मिल पाता, ऊपर से घर की ज़िम्मेदारी का बोझ। समय कैसे काटे ? आम स्त्री किट्टी पार्टी या भजन मंडली में मंडली जमाकर ज़िंदगी निकालती है।`

हमारे संसार में जो एक प्राणी को जन्म देती है ,संसार चलाती है उसे ही कोख में मार डालने की मानसिकता अचम्भे में डाल देती है। ब्लर्ब पर प्रकाशित एक व्यंग के यहाँ अंश दे रहीं  हूँ :

...“सही कहा ।” काका इत्मीनान से मेज पर रखा पेपरवेट घुमाते रहे, “जब लड़कियाँ कम होगी तो दहेज की समस्या का भी निराकरण हो जायेगा । माँ-बाप रूपया जमा करने की कोशिश में दुबले नहीं होंगे । न उन्हें वर खोजने के लिये लोगों के नाज-नखरे उठाने पड़ेंगे । तू तो जानती है पढ़ाई के ख़र्च के बाद शादी का ख़र्च उनकी कमर तोड़ देता है । जब लड़कियाँ कम होंगी तो लड़के दहेज के बिना शादी करने को मजबूर होंगे । झोंपड़पट्टी के लोग तो अपने मकान असुरक्षित होने के कारण तेरहचौदह वर्ष की उम्र में लड़की की शादी कर देते हैं यानि कि वह इसी उम्मर में जन संख्या बढ़ाने लगती हैं तो ये भी रूक जायेगा ।”

“और?”

“मैं तो समझता हूँ ये स्त्री-जाति मूर्ख है जो स्त्री भ्रूण हत्या का विरोध कर रही है ।”

“क्या कहा?”

“न, न, न....तेरी बात नहीं कर रहा । तू तो बुद्धिमान है, मैं आम नारी की बात कर रहा हूँ, जितनी स्त्रियों को समाज में संख्या कम होगी, उनका उतना ही महत्त्व होगा ।एक स्त्री को चाहने वाले व विवाह करने वाले दस-पन्द्रह पुरुष होंगे । वह स्वयं स्वयंवर रचाकर अपना मनचाहा वर प्राप्त कर सकती है ।”...

....वह कह नहीं पाती वैसे ही एक स्त्री को चाहने वालों की संख्या क्या कम होती है । वह ऊपरी तौर पर कहती है, “यदि स्त्रियों की संख्या कम हो जायेगी, तो पुरुष आपस में ही लड़कर समाप्त होने लगेंगे ।”

“तब भी तो जनसंख्या कम ही होगी ।” आज काका बड़े मूड में हैं, “स्त्री भ्रूण हत्या के कारण डॉक्टर्स की भी चाँदी है, उनकी आय निरंतर बढ़ती रहेगी ।”

इस व्यंग `स्त्री भ्रूण ह्त्या बकौल छोटू काका `को पूरा पढ़कर जो स्त्रियों को सिर्फ व्यंग की सामिग्री समझते हैं या हल्के में लेते हैं इस मानसिकता के विरुद्ध इसकी नायिका के तर्क सुनकर उनकी कुर्सी डोल जाएगी।

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पुस्तक समीक्षा

पुस्तक – महिला चटपटी बतकहियां (व्यंग्य संग्रह)

लेखिका – नीलम कुलश्रेष्ठ

प्रकाशक – अनुज्ञा बुक्स, दिल्ली

कीमत – रू. 125 मात्र

समीक्षक - शिखर चंद जैन ,कोलकत्ता

मो न ---9836067535

कीमत – रू. 125 मात्र