Dil se kahu kya ?? in Hindi Fiction Stories by Damini books and stories PDF | दिल से कहूं क्या??

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दिल से कहूं क्या??

ये कहानी है विवान अरोरा और ईशा बत्रा की। इन दोनों का कार्मिक कनेक्शन कैसे इन्हें जोड़ता है इस बात की। एक झलक में मिलते है इस कहानी के किरदारों से।

1. विवान अरोरा:- एक पच्चीस साल का युवक। दिल में प्यार बाहर तकरार।

2. गिरिजा सोलंकी:- विवान की दिवंगत पत्नी जिसका 19 साल की उम्र में निधन हुआ।

3. ईशा बत्रा :- गिरिजा की look alike। उसकी हमसूरत। एक सिंगल मॉम और प्रेरणादाई चरित्र।

4. श्रिया बत्रा:- ईशा की चार वर्षीय बेटी। उसकी जान।
चंचल और जिज्ञासी।

5. कैलाश अरोरा:- विवान के पिता और घर के मालिक।

6. संपूर्णा अरोरा :- विवान की सौतेली मां। बेहद चालक।

7. निधि अरोरा:- विवान की बहन। घर की जान करती है धमाल।

8. पृथा बंसल:- विवान की काउंसलर। उसके गम की साथी। मन ही मन करती है उससे प्यार

9. शिखा बत्रा:- ईशा की बहन। श्रिया की मौसी और बेस्ट फ्रेंड।

10. कबीर मल्होत्रा:- शिखा के लव इंटरेस्ट। और बत्रा परिवार के फैमिली डॉक्टर। पर अंदर से करते है ईशा से प्यार।।
इन सब की कहानी में है यही दाव साथ होकर भी उलझन है साथी नहीं है फिर भी आए साथ।।
दिल से कहूं क्या????🤔🤔🧐🧐😬

दिल्ली २०२२

दृश्य 1


एक बड़ा सुंदर घर का हॉल रूम ।

"एक बात जो इसमें है हालात जो इसमें है
ढूंढे दिल जो लेकिन मुलाकात ना इसमें है"।

मिर्ज़ा अब्दुल साहब की शायरी पढ़ते हुए विवान मुस्कुराया। टेबल पर बैठी पृथा उसे सलीके से निहार रही थी। इतने सालो की कड़ी मेहनत के बाद उसे लग रहा था या वो समझ पाई थी कि विवान की हालत में सुधार हो रहा है। वो धीरे धीरे उस हादसे और गिरिजा के बारे में भूलने लगा था। पहले की तरह सिर्फ पास्ट में नहीं जी रहा था बल्कि अपने present में भी आ गया था। और शायद कुछ ना कुछ बहुत थोड़ा अपने भविष्य के बारे में भी सोच रहा था। और पृथा उसका साथ दे रही थी। उसे हिम्मत दे रही थी। और आज तक दे रही है।

पृथा:- well done विवान ! आपने बहुत अच्छी progress दिखाई है। अब मुझे पूरा यकीन हो गया है कि आप जल्द ही ठीक हो जाएंगे।

विवान:- थैंक्यू तो मुझे आपका कहना चाहिए पृथा जी। आप ने बहुत अच्छे से अपना काम किया?? आप एक बेहद ही अच्छी इंसान और काउंसलर है।

(अपनी तारीफ सुन पृथा का चेहरे पर अचानक एक खुशी छा गई। खुशी के मारे उसका चेहरा लाल सुर्ख हो गया। पर अपनी feeling को उसने अन्दर ही अन्दर दबा लिया क्योंंकि वो जानती थी कि विवान अभी भी गिरिजा से प्यार करता है और उसे उसके आने का इंतजार है उस ट्रेजेडी के बाद भी। और उसकी हालत अभी अभी ही सुधरी थी इसलिए वो कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी)

विवान पृथा को खोया हुए देखते हुए:- क्या बात है मैडम। आप बड़ी खोई हुई हो

पृथा:- नहीं कोई बात नहीं वो मै लड्डू के बारे में सोच रही थी। बस।

विवान सोचते होते हुए:- क्या आपको लड्डू खाने है। ठीक है मैं सोमेश्वर काका से मंगवा देती हूं

पृथा थोड़ी गुस्साते हुए:- आप भी क्या कह रहे है मिस्टर विवान। मैंने आपको पिछली बार ही तो बताया था कि लड्डू मेरे भाई का नाम है। तो फिर आप उसे खाने वाला लड्डू क्यों समझ रहे हो??

विवान हंसते से:- अरे मै तो भूल ही गया था। ये सब कितना confusing है ना।। जिस दिन आपको लड्डू सच में खाने होंगे उस दिन कहीं मै उसको आपके भाई को ना उठा लाऊ!!

पृथा:- वो कैसे? दोनो एक जैसे नहीं है एक मिठाई है और दूसरा इंसान। करोड़ों फासले है दोनो मेंआपको समझ अा जाएगा। इतना भरोसा तो है मुझे आप पर की आप मेरे मन की बात समझ जाओगे। वैसे अपने कभी किसी को निक नाम से नहीं बुलाया क्या??

विवान थोड़ा गंभीरता से अपने पास्ट को याद करता है जब वो गिरिजा को प्यार से गिरी कहता है उसकी आंखे नम हो जाती है। पृथा को उनके दुख का एहसास हो जाता है।

पृथा: आप चिंता ना ले। पास्ट को भूल जाइए।

विवान :- लेकिन पृथा जी मेरे हिसाब से it's not possible।

पृथा सहजता से:- इंपॉसिबल को पॉसिबल करना हमारा काम है जो हम काउंसलर्स पूरी संजीदगी से करते है। इंपॉसिबल शब्द भी अपने आप में कहता है I'm possible। आप को मै अश्योर करती हूं कि आप जीतेंगे ही जीतेंगे। अब हार नहीं। You never fails .

विवान:- आप कहती है तो ठीक है। मैं कोशिश जरूर करूंगा।

पृथा स्माइल करते हुए:- ये हुई ना बात। । आप परेशान होते हुए बिल्कुल अच्छे नहीं लगते। आपका काम तो दूसरों की परेशानी दूर करना है। ।that's a spirit.
अपनी स्पिरीट को आप‌ जगाने की कोशिश करे। जिसमें मै आपकी पूरी हेल्प करूंगी

इस तरह एक दुख की लहर विवान के अंदर दुख की लहर के साथ शांति की हवा भी फैली हुई है। क्या है दुख?? क्या वो उससे उबर पाएगा??