Nafrat se bandha hua pyaar - 35 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 35

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नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 35

अगले कुछ हफ्तों में, चीज़े अपने शेड्यूल पर होने लगी साइट पर। और भी ज्यादा लोग हायर कर लिए गए थे काम पर। काम दिन रात हो रहा था और छुट्टी वाले दिन भी काम होने लगा था।

"बस एक महीना ही बचा है जब हमें यह प्रोजेक्ट सौंपना से पहले।" सबिता ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा। कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक, जब तक के इनिशियल प्लानिंग एंड ऑपरेशंस शुरू नही हो जाते, देव और सबिता ही प्रोजेक्ट को संभालेंगे और उसके बाद उस मैनेजर को सौंप देंगे जिसे उन दोनो ने मिलकर हायर किया था।

"हां! पर तुम दुखी मत हो, प्रजापति। तुम्हे फ्रीक्वेंट, रेगुलर और अनलिमिटेड एक्सेस रहेगा मेरी अमेजिंग बॉडी का," देव ने कहा जिसपर सबिता हस पड़ी।

जबसे वोह दोनो डेट पर गए थे, उसके बाद से दोनो एक दूसरे से ज्यादा खुल चुके थे। उन दोनो को ऑफिस में भी जब भी थोड़ा बहुत खाली वक्त मिलता था तोह एक दूसरे के साथ ही बिताने लगे थे। उन दोनो के बीच जो जिस्मानी रिश्ता था उसके अलावा दोनो में अब बातें होने लगी थी, मज़ाक होने लगा था, एक दूसरे को चिढाना, यह सब अब दोनो को अच्छा लगने लगा था।

देव ने उसे कभी फोर्स नही किया यह बताने के लिए वोह उसके बारे में क्या सोचती है। और अगर वोह पूछता भी तोह सबिता कभी जवाब नही देती। क्योंकि खुद सबिता नहीं जानती थी की वोह देव के बारे में क्या महसूस करती है। सबिता जिस तरह की जिंदगी जीती थी, वोह वर्तमान में जीना चाहती थी ना की भविष्य के बारे में सोचती रहे।

सबिता यह भी जानती थी की उसे महीने भर बाद देव से दूरी बना लेनी होगी, उसके साथ कम से कम मिलना होगा क्योंकि फिर उनका प्रोफेशनल रिश्ता खत्म हो चुका होगा। जब उनका मिलना जुलना बंद हो जायेगा, जब रोज़ रोज़ एक दूसरे के करीब नही आयेंगे तोह उनके बीच पनप रहा लगाव भी अपने आप खतम हो जायेगा। फिर वोह आसानी से अपनी इच्छा को रोक सकेगी जो उसे हमेशा होती थी देव के करीब आने की, उसे छूने की और उसे सुनने की।

हो सकता है यह एहसास या यह इच्छा खास तौर पर देव के लिए ना ही। हो सकता है की अगर देव की जगह कोई और आदमी होता तोह भी सबिता उसके साथ ऐसे ही रिलेशनशिप में होती।

हां, सही है।

उसके दिमाग उसके दिल को यही समझने की कोशिश कर रही था की अगर देव की जगह कोई और होता तोह भी वोह ऐसा ही फील करती ऐसा नहीं है की यह फीलिंग्स सिर्फ देव के लिए ही है। पर उसके दिमाग का एक हिस्सा यह मानने से इंकार भी कर रहा था। क्योंकि वोह जानती थी वोह देव सिंघम ही है जिसमे यह खासियत है की सबिता को अट्रैक्ट कर सके।

अपने सोच से बाहर आके वोह देव को देखने लगी।

देव की नज़र उसे शरारत से देख रही थी जिससे सबिता की हसी गायब हो गई और उसके नज़दीक जाने की इच्छा प्रबल हो गई।

"वैसे तोह हम कॉटेज में मिलते रहेंगे, पर उसके अलावा तुम कभी भी किसी भी वक्त.....," देव रुक रुक कर धीरे धीरे एक एक शब्द पर दबाव डालते हुए बोल रहा था, ".....मेरी ज़रूरत महसूस हो, तोह बस मेरा फोन बजा देना। मैं तुम्हारी खातिरदारी के लिए तुरंत आने की कोशिश करूंगा, जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी।"

सबिता ने अपना सिर गुस्से से झटका। सबिता उसे डांटने वाली थी की वोह फ्यूचर के बारे में क्यों इतना सोच रहा है जबकि उन दोनो का फ्यूचर एक दूसरे के साथ शायद नही है। लेकिन जैसे ही सबिता कुछ बोलने ही वाली थी उसने एक हल्की जानी पहचानी आवाज़ सुनी। उसी पल उसने देखा की देव का शरीर झटके से हिला और उसके एक्सप्रेशन बदलने लगे।

"शिट!" देव धीरे से बुदबुदाया और सबिता के सामने नीचे गिर गया।

सबिता ने देखा देव के कंधे पर एक छोटा सा छेद दिखने लगा है जिसमे से खून की धारा बहने लगी है।

सबिता की तोह मानो दिल की धड़कन ही रुक गई। "देव!" वोह ज़ोर से चिल्लाई और ज़मीन पर बैठ गई देव के सामने। वोह उसे पकड़ कर ज़ोर से हिलाने लगी और पुकारने लगी।

सबिता उसे इस हालत में देख कर बहुत ज्यादा डर गई। इससे पहले की वोह पैनिक होती उसने अपने आप को संभालते हुए उन लोगों से कहा, जो शोर सुन उस ओर आ गए थे, "देव को गोली लगी है। गाड़ी निकालो! हमे अभी हॉस्पिटल जाना है!"

उनमें से एक आदमी ने अपनी शर्ट उतार कर सबिता को दी और सबिता ने उसे देव के घाव पर बांध दिया ताकि कम से कम खून बहे। कुछ लोग उस तरफ गए जिस तरफ से गोली चली थी।

"देव!" सबिता ने फुसफुसाते हुए कहा। उसने देव का सिर ज़मीन से उठा कर अपनी गोदी में रख दिया और उसे देखने लगी। देव अपनी अध खुली आंखों से सबिता की तरफ देखने की कोशिश कर रहा था।

देव को अब धुंधला दिखने लगा था। पर पूरी कोशिश किए हुए था अपनी आंखे खुली रखने की। क्योंकि उसे अपनी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दृश्य जो देखना था। सबिता प्रजापति....साफ दिल की, निडर जैसे ड्रैगन दिखता है, बहादुर, उसकी सिर्फ और सिर्फ उसकी ...सबिता प्रजापति।

देव उसकी गोद में लेटा हुआ था। वोह स्माइल करने की कोशिश कर रहा था पर हल्का ही होंठ हिला पा रहा था।

"क्या ये...सब....मेरे लिए?" देव बड़ी मुश्किल से बोल पा रहा था।

"हे भगवान! देव! बस अभी तुमको हॉस्पिटल ले चलेंगे। बस थोड़ी हिम्मत रखो। अपनी मत बंद करो। उसे खुला रखने की कोशिश करो देव।"

"देखा....तुम परवाह... करती....थोड़ी सही....मेरे लिए...." देव ज़ोर ज़ोर से सांस लेने लगा। "कम ऑन बेबी.... गिव मी... वन लास्ट किस।"

"शट अप! यू बास्टार्ड!" सबिता ने चिल्लाते हुए कहा और देव के नजदीक आ गई। उसने अपने होंठ देव के माथे पर रख दिए। "मरने की हिम्मत भी मत करना। और अगर तुमने ऐसा किया ना तोह तुम्हे नर्क से वापिस खीच ले आऊंगी और तुम्हे अपने हाथों से फिर मार दूंगी!"

देव स्माइल करने की कोशिश करने लगा। "बेबी... आई.." इससे पहले की देव अपनी बात पूरी करता एकदम अंधेरा छा गया उसकी आंखों पर।

****

सबिता के हाथ पैर ठंडे होने लगे थे। वोह शॉक से कांप गई थी। वोह देव के स्ट्रेचर को पकड़ कर, जिस पर देव बेहोशी की हालत में लेटा था, हॉस्पिटल के कॉरिडोर में भाग रही थी।

"यह सारे डॉक्टर्स कहां मर गए!" सबिता ने चिल्लाते हुए पूछा जब उसने सामने कोई डॉक्टर नही दिखा तोह। ज्यादा तर सिंघम्स के लोग और कुछ प्रजापति के लोग वहां इक्कठा हो चुके थे पर कोई डॉक्टर नही था।

"डॉक्टर्स कहां है?" वोह फिर चिल्लाई। उसने उस आदमी पर अपनी गन तान दी जो हॉस्पिटल का ही था और देखने आया था की यहां क्या हुआ है।

"वो....वोह....डॉक्टर सिंघम के साथ हैं।" वोह हॉस्पिटल का स्टाफ अटक अटक कर बोलने लगा। "वोह सब सर्जरी की तैयारी कर रहें हैं ऑपरेशन थिएटर में।"

"उन्हे कहो जल्दी करें! इसका बहुत खून बह चुका है!"

एक मिनट बाद अनिका भागती हुई आई और उस स्टाफ के आदमी से देव के स्ट्रेचर को ऑपरेशन थिएटर में ले जाने के लिए कहा।

"वोह ठीक तोह हो जायेगा ना?" सबिता ने पूछा।

"मुझे पूरी उम्मीद है।" अनिका ने बस इतना ही कहा और जल्दी से ऑपरेशन थिएटर में चली गई।

सबिता अब और भी ज्यादा घबराने लगी। उसे अब एक अजीब सा डर सताने लगा। अपने आप को शांत करने के लिए उसने भगवान को याद करना शुरू कर दिया। वोह हर भगवान का नाम अपने दिमाग में ले रही थी जीतने भी इस दुनिया में थे इस कोशिश में की बस कैसे भी देव ठीक हो जाए। उसे पता ही नही चला की कितनी देर तक वोह ऑपरेशन थिएटर के बाहर कॉरिडोर में इधर से उधर चक्कर काटती रही जब उसने देखा की ऑपरेशन थिएटर के दरवाज़े के ऊपर जल रही लाल बत्ती बुझ गई। अब वोह टकटकी लगाए बस दरवाज़ा खुलने का इंतजार करने लगी। तभी दरवाज़ा खुला और अनिका बाहर आई।

सबिता भागती हुई उसके पास आई, "क्या वोह ठीक है ना?" सबिता बेसब्री दिखाते हुए पूछा।

अनिका ने सिर हिलाते हुए कहा, "अब वोह बिलकुल ठीक है। शुक्र है की कोई डरने की बात नही है। गोली ज्यादा अंदर नही गई थी और ज्यादा नुकसान नहीं किया देव के शरीर का।

सबिता ने राहत भरी सांस ली। उसे सुन कर ऐसा लगा जैसे मानो दुनिया जीत ली हो उसने। अनिका के शब्द *अब वोह बिलकुल ठीक है* सबिता के कानो में चाशनी की तरह घुल रहे थे।

"क्या उसे होश आ गया है? मैं मिल सकती हूं उससे? सबिता ने पूछा।

"उसका खून बहुत बह गया था। उसे अभी तक होश नही आया है। लेकिन तुम उसे देख सकती हो।"

"थैंक यू।" सबिता ने तुरंत अनिका को शुक्रिया किया और ऑपरेशन रूम के अंदर चली गई।

सबिता के कदम अंदर का नज़ारा देख कर ठिठक गए। उसके कदम आगे बढ़ ही नही रहे थे। उसका हैंडसम, चार्मिंग देव, बेसुध सा, बैड पर लेटा हुआ है। उसे एक गहरा दर्द उठा। उसने महसूस किया की इस रिश्ते को तोड़ने के लिए अब बहुत देर हो गई है। अब वोह चाह कर भी देव से दूर नही रह सकती। वोह तोह बहुत पहले ही उससे से, उसके प्यार से बंध चुकी थी। उसने महसूस किया की देव के बिना उसकी जिंदगी कितनी खाली है।

उसकी घबराहट और बढ़ने लगी।

जब तक वोह अकेली थी तब तक सब ठीक था। वोह भले ही उस वक्त अंदर से मर चुकी थी लेकिन वोह उसमे भी ठीक थी। पर अब नही। वोह साला कमीना जिसने उसका दिल चुरा लिया वोह मस्त बैड पर लेटा हुआ आराम कर रहा है। 😒

सबिता ने आगे बढ़ कर देव का हाथ अपने दोनो हाथों में भर लिया। वोह उसकी गरमाहट महसूस करने लगी।

"देव!" बाहर से आती हुई चिल्लाने की आवाज़ ने ऑपरेशन थिएटर में पसरी हुई शांति को भंग कर दिया।






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(पढ़ने के लिए धन्यवाद)

देर से पोस्ट करने के लिए क्षमा। आगे भी देरी हो सकती है उसके लिए भी शमा। कुछ काम है इसलिए लिख नही पा रही हूं समय पर।
🙏