Udaan - 14 in Hindi Fiction Stories by ArUu books and stories PDF | उड़ान - 14

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उड़ान - 14

सुबह उठ कर काव्या पीहू के घर की तरफ चल दी । उसका बुखार गायब हो चुका था। हाँ गला अब भी खराब था। वहाँ पहुँच कर उसने विनी को भी फोन कर बुला लिया। वही विनी भी आ गयी। काव्या ने दोनों को रात वाली बात बतायी । काव्या के चेहरे पर इतने दिनों बाद खुशी देख वो दोनों बहुत खुश थी। बहुत देर तक बात करने के बाद काव्या विनी को ले कर अखिल के घर की तरफ चल दी। असल में कॉलेज के दो महीने के हॉलिडे थी तो वो रुद्र का हाल जानना चाहती थी इसलिए वह अखिल के घर चली गयी।
अखिल आज पहली बार काव्या और विनी को अपने घर आया देख आश्चर्य से उन्हें देखने लगा।
"अंदर आने को नहीं कहोगे" ? विनी ने पूछा
"अरे आओ ना प्लीज़" अखिल ने मुस्कुराते हुए बोला।
दोनों को अंदर बुला उनके लिए चाय नास्ता मंगवाया।
काव्या काफी देर तक बाते कर अखिल से रुद्र के बारे में जानने लगी।
वह उसके परिवार को देखना चाहती थी। अखिल से बाते करने के दौरान वह कई बार बाहर झाँक कर देख चुकी थी पर रुद्र के घर के बाहर कोई नज़र नहीं आया। काव्या को परेशान देख अखिल ने कहा
"काव्या तुम रुद्र को देखने आयी हो ना... वह बाहर गया है अपनी चाची के साथ... शाम तक आयेगा"
काव्या ने बिना उसकी बात का विरोध किये कहा
"उनके चाचा चाची की कोई फोटो हो तो बताओ ना अखिल...मैं उन्हें देखना चाहती हु"।
अखिल अपना फोन ले आया और रुद्र के चाचा चाची और छोटी की फोटो बताई।
रुद्र के चाचा सोहन और उसकी चाची सीमा की फोटो देख उसका मन उनके लिए श्रद्धा से भर गया। वह सोचने लगी की आज जब अपने ही अपने के दुश्मन है ऐसे जमाने में भी रुद्र को अपनों सा प्यार दे रहे है ये दोनों।

**************
कॉलेज खुलने में 15 दिन रहे थे।
वह पूरे दिन रुद्र के ख्यालों में डूबी रहती। वह चाहती तो अखिल के घर जाने के बहाने रुद्र को देख आती पर वह इंतज़ार का मज़ा लेना चाहती थी। वह रुद्र का मुस्कुराना... उसको रिहाना से बचाना... पानी पूरी खिलाना सब चीज़े बहुत मिस करती वह। पर अब इन यादों से वह खुशी से भर जाया करती। वह हमेशा सोचा करती रुद्र आज भी दुःखी होगा... काश वह उससे जा कर कह पाती की वह नहीं मानती अपने रुद्र को अनलकी... अपना? हाँ अपना रुद्र...मेरा रुद्र। सोच कर वह मुस्कुरा देती
***********
आज शाम काव्या फिर विनी के साथ बालकोनी में खड़ी थी। वह खुश थी तो उसने विनी को अपने पास बुला लिया था। सामने बने गार्डन के पीछे उस पार उन्हें पीहू का घर साफ नज़र आता था। वो दोनों उसी तरफ मुंह किये खड़ी थी। तभी विनी की नज़र रुद्र के चाचा सोहन पर पड़ी। वह पीहू के घर जा रहे थे। विनी ने काव्या को इशारा कर कहा
"वो देख काव्या... ये तो रुद्र के चाचा है ना"
" अरे हाँ ... पर वो पीहू के घर क्या कर रहे" काव्या ने आश्चर्य से पूछा
"मुझे क्या पता यार... चल देखते है चल के" विनी ने कहा और दोनों पीहू के घर की तरफ चल पड़े।

**************
"पीहू ये आदमी कौन है ... तु जानती है क्या" काव्या ने सवाल किया
"पता नहीं यार... पापा का कोई क्लाइंट है"
"कब से आ रहे है ये यहाँ"
" हममम यही कोई दो तीन बार देखा है... क्या बात है? "
"कुछ नहीं... ये रुद्र के चाचा है"
"क्या बात कर रही यार... पापा से पूछना पड़ेगा फिर तो " पीहू ने बोला
पीहू के पापा वकील थे तो लोगों का आना जाना लगा रहता था उनके वहाँ पर पीहू सोहन को देख सोच में पड़ गयी। उसका जासूस दिमाग अपने घोड़े दौड़ाने लगा।
**********
सोहन के जाने के बाद पीहू ने अपने पापा से पूछा
"पापा कौन था ये आदमी"
"बेटा... कलाइंट था मेरा... तुम क्यों पूछ रही... आज तक तो नहीं पूछा"
"वो पापा बस ये मेरे दोस्त के चाचा है इसलिए"
"हाँ... प्रॉपर्टी के सिलसिले में आते रहते है... उनका इकलोता भतीजा बीमार है... चंद साँसे बची है उसके पास... बस इसलिए उसके मरने से पहले सारी प्रॉपर्टी वो अपने भतीज़े की मर्ज़ी से एक संस्था को दान करना चाहते है"
ये सुन काव्या के पैरो तले जमीं खिसक गयी।
वह भाग कर पीहू के रूम में गयी और आँसुओं की धारा बह निकली।
"ऐसा कैसे हो सकता है पीहू... नहीं रुद्र नहीं जा सकता मुझे छोङ कर... ये झुठ है.. बिल्कुल झुठ। "
कह कर रोने लगी
विनी ने उसे संभाला तो वो उसके गले लग के रोने लगी। विनी भी उससे सिमट रोने लगी थी।
वह समझ नहीं पा रही थी काव्या को कैसे सम्भाले।
तभी पीहू ने कहा
"काव्या! क्या रुद्र ने उस रात गार्डन में तुझे कुछ भी ऐसा कहा जिससे तुझे लगे की वो बीमार है...? "
"नहीं"
"तो रोना बन्द कर... सब ठीक है... तेरा रुद्र बिल्कुल ठीक है"
"तु इतने विश्वास से कैसे कह सकती है"
"देख जो बात तूने बतायी... उस टाइम रुद्र टूट चुका था... तो अपने दर्द बया करते टाइम वह इतनी बड़ी बात बताना नही भूल सकता... जबकि उसने अपनी बीमारी का जिक्र तक नहीं किया। "पीहू ने काव्या से कहा
काव्या ने भी सोचा और पीहू की बात का समर्थन किया।
पीहू ने कहा "सच पता लगाने का एक आइडिया है मेरे पास"
काव्या विनी दोनों उसकी तरफ देखने लगे तो पीहू चालकी से मुस्कुरा दी
***************
आज वीर रुद्र के घर गया।
रुद्र ने दिल खोल के उसका स्वागत किया। काफी देर इधर उधर की बातें करने के बाद
वीर ने रुद्र से कहा "आज मेरा बर्थ डे है... तुम शाम को तैयार रहना... राज तुम्हें लेने आयेगा"
"अरे इतनी देर बताया क्यों नहीं... हैप्पी बर्थ डे यार" रुद्र ने वीर को गले लगा कर कहा।
"चल अब चलता हूँ... तु शाम को रेडी रहना ओके बाय" कह कर वीर चला गया।
शाम को 4 बजे राज रुद्र को लेने पहूंच गया।
रुद्र ने रास्ते में पूछा कौन कौन आ रहा है राज पार्टी में...?
राज थोड़ा डर गया पर उसने खुद को संभालते हुए बोला
"वीर के सारे फ्रेंड्स आ रहे है... काव्या भी।" उसने काव्या शब्द पर जोर दिया।
पर रुद्र ने बिना कुछ बोले सहजता से उसकी बात को इग्नोर कर दिया... जैसे वह जानता ही नहीं कुछ।
वीर के घर रुद्र ने पाया की वहाँ सब कुछ सामान्य है। वहाँ देख कर लग नहीं रहा था की वहाँ पार्टी है। सब कुछ नॉर्मल था।
रुद्र ने राज को देख कर पूछा
"कहाँ है पार्टी"?
रुद्र के स्वर में संदेह था।
राज ने बोला
"तु अंदर तो चल अभी सब आते होंगे।
10 मिनट में सजावट हो जानी है... गए है सब सामान लेने ... बस आते होंगे। "
रुद्र अंदर गया। राज उसके लिए पानी का ग्लास ले आया।
पानी पीते हुए रुद्र ने घर की तरफ एक नजर डाली।
घर सामान्य था। बहुत व्यवस्थित सारा सामान रखा हुआ था।
पानी पीने के बाद रुद्र का सर भारी होने लगा। उसने राज की तरफ कुछ बोलने की चाह से देखा पर राज उसे धुंधला सा नज़र आया। और वह चक्कर खा कर बेहोश हो गया।

************
रुद्र को जब होश आया तो उसने अपने आप को एक रूम में पाया।
जब उसने नजर घुमा कर देखा तो सामने रखी चेयर पर एक लड़की मैग्जीन पढ़ रही थी। उसका चेहरा नज़र नहीं आ रहा था।
रुद्र ने उसे देख कर पूछा
"कौन हो तुम"?
उसने रुद्र की आवाज़ सुन मैग्जीन साइड में रख दी।
रुद्र ने उसे देखा तो उसके चेहरे पर चमक आ गयी ।
वह काव्या थी। रुद्र ने उसे आज पूरे एक महीने बाद देखा था। वह उसे देखे रहना चाहता था। बिना नजर झुकाये काव्या को देखता रहा जब तक की काव्या ने उसे कह नहीं दिया
" मै हूँ रुद्र... काव्या... पहचाना मुझे?"
मुस्कुरा कर काव्या ने कहा।
रुद्र वर्तमान में लौट आया।
उसने गम्भीर हो कर पूछा
"ये तुम मुझे कहा ले आयी हो काव्या"?
" तुम्हें किडनेप कर लिया है मेने। "
"मज़ाक बन्द करो... और बताओ की कहा हूँ मै"
"ओहो रुद्र वीर के बर्थ डे में गए थे तुम... वहाँ जाने क्यों बेहोश हो गए... तो राज तुम्हें अपने घर ले आया। "
"अब मुझे अपने घर जाना है... तुम ले चलो मुझे अपने घर काव्या"
"नहीं... जब तक तुम ठीक नहीं हो जाते... तुम कहीं नहीं जा सकते हो रुद्र"

"मैं अपने घर जा रहा हूँ काव्या... अभी और इसी वक़्त... समझी तुम? " रुद्र ने गुस्से में कहा और बेड से उठ कर जाने लगा। पर चक्कर खा कर गिर पड़ा।
काव्या उसे संभालने के लिए उठी और उसे वापस बिस्तर पर लिटा दिया।
"बहुत जिद्दी हो तुम रुद्र... अपने सिवा कभी किसी की ना सुनते हो और ना ही समझते हो" काव्या ने रुआसी हो कर रुद्र से बोला।
रुद्र काव्या का इशारा समझ रहा था पर वह चुप रहा।
उसे चुप देख काव्या ने बोला
"राज बाहर से लॉक लगा कर चाबी ले गया है अपने साथ... कह रहा था की जल्दी लौट आयेगा बर्थ डे से... पर अब तक नहीं आया। "
रुद्र दीवार से सिर टिका आँखें बन्द कर काव्या की बातें सुनता रहा।

***************
थोड़ी देर बाद काव्या के फोन पर मैसेज टोन सुनायी दी।
काव्या ने मैसेज खोल कर देखा तो उसके चेहरे पर एक चमक लौट आयी।
पीहू का मैसेज था।
रुद्र की रिपोर्ट एक दम सही थी।
उसे किसी भी प्रकार की कोई बीमारी नहीं थी।
काव्या खुशी से नाचने को चाहती थी पर सामने आँखे बन्द कर लेटे रुद्र को देख वह रुक गयी।
वह आज जी भर कर रुद्र को देखना चाहती थी।
उसने राज को मैसेज कर कह दिया की वह आज रात वीर के घर रुक जाए।

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उधर पीहू और विनी बहुत खुश थे। पीहू का आइडिया काम कर गया।
वह रुद्र को जान बुझ कर वीर के घर ले गए। और रुद्र को बेहोश कर उसका ब्लड सेम्पल ले लिया। बेहोशी की हालत में उसे राज के घर ले आये ताकि रुद्र को कुछ पता न चले। राज के एक डॉक्टर दोस्त से पहले ही बात हो चुकी थी तो जल्दी ही वह रिपोर्ट बना ब्लड टेस्ट कर रुद्र को नॉर्मल करार कर दिया। तब कही जा कर काव्या की सांस मे सांस आयी।
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काव्या ने रुद्र से कहा
"रुद्र राज का मैसेज आया... वो आज नहीं आ पायेगा ... क्या तुम रात भर यहाँ रुक सकोगे?" काव्या ने बड़ी सरलता से पूछा
रुद्र ने आँखे खोली.. उसने काव्या को देखा और पूछा
" तुम खुद जाने नहीं देना चाहती ना मुझे... क्या तुमने राज को मैसेज नहीं किया कि वो वीर के घर रुक जाये? "
काव्या आश्चर्य से रुद्र को देखने लगी।

"ऐसे क्या देख रही हो... मेने तुम्हें मैसेज करते देख लिया था... इनोसेंट मत बनो अब ज्यादा"
काव्या अपना झुठ पकडा देख शर्म से पंखे को ताकने लगी।
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सुबह काव्या पीहू से मिली। पीहू उसे देख बहुत खुश हुई। उसने काव्या को गले से लगा लिया। पीहू ने बताया की उसे उसी दिन से रुद्र के चाचा पर शक था।
वह रुद्र को बीमार बता उसकी प्रॉपर्टी को किसके नाम करना चाहता है... क्या छुपा रहा है अब इसका पता लगाना पड़ेगा।
पीहू ने अपने कुछ भरोसेमंद लोगो को सोहन के पीछे लगा दिया। करीब 5 दिन की मशक्कत के बाद जो जानकारी हाथ लगी।
वह काव्या के होश उड़ा गयी।
Next.....