Beti Ka Badla - 2 in Hindi Fiction Stories by S Sinha books and stories PDF | बेटी का बदला - 2

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बेटी का बदला - 2

Part 2




बेटी का बदला -2

पत्नी की बातें सुन कर सुरेश स्वयं रोने लगा था . सीमा ने उसके आंसू पोंछते हुए पूछा “ मैं आपकी पत्नी हूँ , आपको मुझे बताना चाहिए कि डॉक्टर ने ऐसा क्या कहा जिसे सुन कर आप इस तरह रो रहे हैं . आपको बताना होगा , यह मेरा हक़ बनता है और मुझे बताना आपका फ़र्ज़ भी . “


“ डॉक्टर ने कहा है कि अब मेरे पास बहुत कम वक़्त बचा है . तुम बेटी और दामाद को खबर कर दो और शाम को डॉक्टर मुझे डिस्चार्ज कर देगा . “


“ सिर्फ यहाँ के डॉक्टर के कहने से क्या होगा ? मैं आपको ले कर मुंबई या वेल्लोर चलूंगी , वहां देश विदेश के नामी डॉक्टर मिल जायेंगे . मैं अभी गीता को फोन करती हूँ . “


सुरेश ने अपनी पत्नी के हाथ से फोन ले कर कहा “ अब और इन बातों में समय नहीं बर्बाद करना है . जो थोड़े दिन बचे हैं बस आराम से मुझे घर में रहने दो प्लीज . “


“ नहीं आप निराश न हों .घर तो आपका ही है जब जी चाहे चल सकते हैं . पर अभी हमलोग यहाँ से किसी बड़े अस्पताल चलने का इंतजाम करते हैं . बस कुछ घंटों में बेटी सब ठीक कर देगी . “


“ मेरी बात मानो , मेरा रोग असाध्य है . अब दुनिया में कहीं भी इसका इलाज नहीं है . “


“ ऐसा कौन सा लाइलाज रोग है , आपने अभी तक मुझे क्यों नहीं बताया . “


“ हाँ , अब मुझे बताना ही होगा नहीं तो चैन से मर भी नहीं सकूंगा . इसके पीछे एक लम्बी कहानी है , सुनो सुनाता हूँ .लम्बी कहानी है , धैर्य से सुनना . तुम्हें गुस्सा भी आएगा पर अब सच बताने का समय आ ही गया है “


सुरेश ने अपनी कहानी शुरू की “ करीब तीस साल पुरानी बात है . शहर और आस पास के कस्बों में दंगा हुआ था . पापा उन दिनों बीमारी के चलते बिस्तर पर थे . प्रशासन की मुस्तैदी के चलते दंगा तो दो दिनों में शांत हो गया , साथ ही सेना ने फ्लैग मार्च कर हालात पर काबू पा लिया था . मैं उन दिनों कस्बे वाली दुकान पर बैठा करता था . हमने दंगा ी आशंका से पहले ही दुकान बंद कर दिया था और मजबूत लोहे वाला शटर गिरा दिया था . हमें पुलिस से सूचना मिल चुकी थी कि दंगाईयों ने हमारे दूकान को भी लूटने का प्रयास किया था पर इसके पहले ही पुलिस की टुकड़ी पहुँच कर उन्हें अरेस्ट कर ले गयी थी . दंगा शांत होने पर कस्बे में हालात का जायजा लेने प्रशासन के साथ पापा के NGO के आदमी को जाना था . मैं भी पुलिस के साथ वहां गया . चारों तरफ टूटे फूटे या अधजले मकान , जली हुई कार या मोटरसाइकिल आदि दिख रही थीं . लग रहा था कि कस्बे में साबूत कुछ नहीं बचा था . तभी हमलोगों की नजर एक हलवाई की अधजली दुकान पर पड़ी , उसके अंदर से किसी के सिसकने और कराहने की आवाज आ रही थी . दुकानदार ने दुकान के पिछले भाग में रहने के लिए घर और छोटा सा आँगन बना रखा था . दुकान तो करीब पूरा लूट कर जला दिया गया था . उसे देख कर किसी के जीवित होने की उम्मीद नहीं थी . पर आवाज सुन कर जब हमलोग घर के अंदर गए तो वहां एक सुंदर युवती को रोते देखा .


जब हमलोगों ने उस से पूछा तो उसने बताया - “ मेरा नाम रेखा है , यह दूकान मेरे पति की है . मेरी शादी हुए अभी छः महीने ही हुए हैं .दंगाइयों का शोर सुन कर मोहल्ले के कुछ लोग घर के बाहर जोर से बोल रहे थे और मेरे पति को धिक्कार रहे थे - घर में अब चूड़ी पहन कर छुपने से काम नहीं चलेगा . वैसे भी वे लोग घर दुकान सब जला देंगे . बाहर निकलो और सामना करो . मेरा आदमी मुझे कोयले और उपले की ढ़ेर के पीछे छुपा कर चला गया और बोला - मैं बाहर से ताला बंद कर जा रहा हूँ , तुम दरवाजा या खिड़की भूल कर भी मेरे आने तक नहीं खोलना . दो दिन हो गए वो अब तक नहीं लौट कर आया है . “


“ तुम्हारे आदमी का नाम दिनेश है न ? ये रहा उसका फोटो . हमें दुःख है कि वह दंगाईयों का शिकार हो गया . हमलोगों ने उसका सामूहिक अंतिम संस्कार कर दिया है . अब तुम अपने ससुराल या मायके जहाँ खबर देना चाहो , हम उन्हें सूचित कर देंगे . तुम उनका फोन या पता हमें दे दो . “


“ मेरा कोई नहीं है सर . बड़ी मुश्किल से सौतेली माँ की चंगुल से बच कर मैंने इस कस्बे में शरण ली थी और दिनेश ने मुझे अपनाया . वे मेरे लिए भगवन थे . अब मुझे भी मरने दीजिये . धरती पर ज्यादा दिन उनका साथ नहीं लिखा था अब ऊपर जा कर ही उनका साथ मिलेगा .”


इतना बोल कर उसने दौड़ कर एक बड़ा सा चाकू हाथ में लिया और वह आत्महत्या का प्रयास करने लगी . हमने उस से चाकू छीन लिया और कहा -” होनी को कोई टाल नहीं सकता है , जो हुआ बहुत बुरा हुआ हमें इसका दुःख है . देखो जब भगवान् श्री राम और शिवजी को भी अपने जीवन में बहुत दुःख झेलने पड़े थे , हम तो इंसान मात्र हैं . आत्महत्या एक पाप है और अपराध भी , हम तुम्हें ऐसा नहीं करने देंगे . हमलोग तुम्हें एक नयी और बेहतर जिंदगी जीने की राह दिखाएँगे . जब तक तुम्हारा कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हो सकता है तब तक तुम राहत केंद्र में चल सकती हो या हमारे NGO के यहाँ रह सकती हो . “


मैंने रेखा को अपने NGO में पनाह दिया . वहां अक्सर मेरा आना जाना होता था और रेखा से मिलना होता था . रेखा सुंदर और जवान थी . बहुत दिनों तक खुद पर काबू नहीं रख पाया और एक दिन मेरी नीयत बदल गयी . मैंने उससे जबरदस्ती संबंध बनाया और यह सिलसिला कुछ दिनों तक चलता रहा . एक दिन पता चला कि वह गर्भवती है . यह बात मेरे पापा को पता चली तो वे बहुत क्रोधित हुए . उन्होंने मुझे चेतावनी दी और कहा - तुम्हें दो में एक विल्कप को चुनना होगा - पहला कि तुम रेखा से शादी कर लो और दूसरा यदि शादी नहीं कर सकते तो खुद को पुलिस के हवाले कर दो . उनके दबाव में आ कर मुझे रेखा से शादी करनी पड़ी . “


“ हे भगवान् , आपको एक दंगा पीड़िता विधवा के साथ दुष्कर्म करने में तनिक भी शर्म नहीं आयी ? इतनी बड़ी बात और मेरे या मेरे घरवालों के कानों तक इतनी बड़ी खबर नहीं पहुँच सकी और आपसे मेरी शादी हो गयी . हमारे माता पिता ने आपके पिताजी के नाम पर शादी के लिए तुरंत हां कर दिया था . “ सीमा गुस्से से बोल उठी


सुरेश ने कहा “ शांत हो जाओ , बात यहीं खत्म नहीं हुई . इस से आगे भी और बड़ी बातें बतानी बाकी है . रेखा को एक बेटी हुई . इसके कुछ ही दिनों बाद मेरे पापा चल बसे . मैं रेखा से छुटकारा पाना चाहता था . मैं उसे अपने क्लाइंट के पास उसे खुश करने के लिए भेजना चाहता था ताकि मुझे और ज्यादा बिजनेस और ठेका मिले . जब मैंने उसे ऐसा करने के लिए मजबूर करना चाहा तब एक दिन अचानक वह अपनी बेटी को ले कर भाग गयी .उस समय उसकी बेटी करीब दो साल की रही होगी . मैंने सोचा कि अच्छा हुआ , मुझे उस से आसानी से छुटकारा मिल गया . “


क्रमशः