Chhal - 21 in Hindi Moral Stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | छल - Story of love and betrayal - 21

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छल - Story of love and betrayal - 21

प्रेरित को सीमा की मौत का बहुत दुःख हुआ लेकिन उसे ये भी विश्वास था कि भैरव ऐसा नहीं कर सकता, यही सोचते-सोचते प्रेरित की पूरी रात कट गई |

सुबह उठते ही प्रेरित को मां का झूठ परेशान करने लगा और ऊपर से सीमा का खून और भैरव का कनेक्शन, प्रेरित सोच रहा था कि इससे अच्छा तो वो जेल मे ही रहता, वहाँ सुकून तो था |

प्रेरित ने होटल के रिसेप्शन पर फोन किया और दो चाय ऑर्डर की और टीवी पर न्यूज लगाकर नहाने चला गया | वो सोच रहा था, अब उसके कई सवालों का जवाब भैरव ही दे सकता है लेकिन उससे मिलने का मतलब खुद को सज़ा, जो वो अब बिल्कुल भी नहीं चाहता था, भलाई इसी में थी कि वह अब दो महीने और काट ले फिर तो उसकी रिहाइ हो जाएगी प्रेरित नहा कर बाहर आया तो चाय वाला चाय कप में देने लगा तभी टीवी में ऐड चलने लगा,

"खुशखबरी.. जल्दी हमारे शहर में कुशल होटल की एक और शाखा खुलने वाली है, जिसमें आप सभी का स्वागत है, आइए और लज़ीज़ खाने के साथ लग्जरी कमरों की सुविधा भी उठाए, मैं कुशल मल्होत्रा आप सभी को मेरे होटल के उद्घाटन में आमंत्रित करता हूं, आइए और हमें सेवा का मौका दीजिए" |

ऐड सुन कर प्रेरित दंग रह गया, उसे तो खुशी हुई कि कुशल इतना बड़ा आदमी हो गया लेकिन इतनी जल्दी दो दो होटल, तभी होटल के सर्विस बॉय ने कहा,

" चाय पी लो सर, ठंडी हो जाएगी, आप जानते हैं क्या इन्हें, अरे यहीं पास मे ही तो खुलने वाला है ये होटल, आप भी हो आइएगा" |

सर्विस बॉय चला गया |

प्रेरित को कुछ शक होने लगा, कि ऐसा तो नहीं कुशल ने उसके साथ….वरना इतनी जल्दी कोई इतना सब कुछ कैसे कर लेगा |

काफी दिनों तक छानबीन करने पर पता चला कि कुशल ने अपनी मेहनत और पुश्तैनी जायदाद के जरिए ये सब बिजनेस तैयार किया है | अब प्रेरित का शक और भी पक्का हो गया क्यूंकि कुशल के पास कोई पुश्तैनी संपत्ति नहीं थी |

दिन बीतने लगे, प्रेरित का इंतजार भी खत्म हो गया था क्योंकि आज भैरव की रिहाई का दिन था, प्रेरित सुबह दस बजे जेल के बाहर बने बगीचों मे आकर छुपकर खड़ा हो गया, उसने भैरव की पत्नी और बच्चों को भी अंदर जाते हुए देखा, प्रेरित यह देखकर बहुत खुश हुआ लेकिन काफी समय बीतने के बाद भी कोई बाहर नहीं आया और जेल से बार-बार कई गाड़ियां आ जा रही थी |

प्रेरित को कुछ घबराहट होने लगी, वो जेल के अंदर ना चाहते हुए भी चला गया, पूरे जेल में खामोशी छाई हुई थी, सारी कुर्सियां, गलियारे सब कुछ खाली, अभी भी उसे उस दिन लगी आग के कई निशान मिल जाते, उसे वो भयानक रात याद आने लगी, उसके कानों में वही चीखें सुनाई पड़ने लगी, वह अपनी यादों से बाहर निकला तो हैरान रह गया, वो चीखें और रोने की आवाज अभी भी सुनाई दे रही थी |

प्रेरित हड़बड़ा गया, सामने सारे कैदी उदास सफेद कपड़ो में बैठे थे, उसका दिल होने वाली अनहोनी के बारे में सोचकर द्रवित होने लगा | प्रेरित अपने दबे कदमों से आगे बढ़ने लगा |

सारे लोग एक लाश के चारों और बैठे थे, पास जाकर प्रेरित ने देखा तो ज्ञानेश्वर सिंह इस दुनिया को अलविदा कह चुके थे, तभी पूरे जेल में मातम छाया था | लोगों से पता चला कल रात मुन्ना पठान ने कुछ लोगों के साथ मिलकर जेल में ज्ञानेश्वर सिंह पर हमला कर दिया, पर वो बड़ी बहादुरी से लड़े और उस खूनी दरिंदे को मारकर लड़ाई में शहीद हो गए |

धीरे-धीरे भीड़ हटने लगी भैरव की रिहाई हो गई | सात सालों बाद अपनी बीवी बच्चों को देखकर उसने उनको गले लगा लिया और रो पड़ा तभी प्रेरित ने उसकी पीठ थपथपाई, भैरव ने प्रेरित को देखा तो बहुत खुश हुआ और अपने आँसू पोछते हुए बोला,

"पता है साब जी, ये छोटू पैदा होने वाला था जब मैं जेल गया था, अब कितना बड़ा हो गया" |

सब बहुत खुश हुए और वहाँ से चल दिए |