"तुझे पता है, मैं और ध्रुव, जब से मिले है, तब से तुझे तेरे उस राघव से बात करते हुए सुन रहे है। और हमे सही में समझ नहीं आता, की आखिर क्यों तू इतनी पागल है उसके लिए, जो कोई और नहीं, बल्कि तेरी तेरी मम्मी से बात करने की बात पे भी लड़ लेता है, वो और क्या ही करेगा।"
"वो लड़ नहीं रहा है, प्यार है उसका वो।"
"यही तो गलतफहमी है तेरी, अच्छा सब बात छोड़, मुझे ये बता की पिछले एक महीने में, तेरे उस राघव ने कुछ भी ऐसा किया हो जिस से तुझे उसके प्यार का अहसास हुआ हो?"
"हां.. वो.. वो.. मुझे नहीं देने तुझे कोई जवाब।", कुनाल के सवालों के आगे रिया की दलीलें खत्म हो गई तो उसने उसे जाने को बोल दिया।
ये सब पुरानी बातें याद करते हुए, रिया ने अपने बिस्तर पे करवट बदली, और खुद से बोली।
"पागल कहीं का, जो कल तक मुझे समझाता था, आज खुद वहीं बेवकूफियां कर रहा है। पर ठीक है, पहले तुम लोगों ने मुझे संभाला था, अब मैं तुम लोगो को संभलाऊंगी।"
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"ओए.. मैं जा रही हूं, जरूरी काम है।", सुबह 8:30 बजे घर में भागती हुई निया रिया को बोली।
"कहां चली?"
"बताया था ना, आज अंकित से मिलना है।।"
"1:30 बजे वो तो।"
"हां.. पर फिर वहां पहुंचने में भी तो टाइम लगेगा ना।"
"कितना टाइम, 5 घंटे?"
"नहीं, पांच तो नहीं, पर तीन के आस पास तो लग ही सकते है ना।"
"बैठ जा.. नाश्ता करले और मैं तो कहूंगी एक झपकी भी ले ले, जब टाइम होगा मैं उठा दूंगी।"
"अअमम.. , मुझे नींद तो नहीं आई है, पर तू कह रही है तो पहले नाश्ता बना लेते है और फिर मैं थोड़ा आराम कर लेती हूं।"
नाश्ता कर के अपने कमरे में गई निया को जब रिया देखने गई, तो कुछ पल के लिए झपकी लेने गई निया गहरी नींद में सो रही थी।
"निया उठ, सवा ग्यारह हो गए है।"
"हहमम.. सोने दे।"
"मुझे तो कुछ नहीं, पर फिर अंकित से मिलने जाने का तेरे प्लान का क्या होगा?"
"हहमम.. हां, ओह अंकित।", एक दम से नींद से उठती हुई निया बोली।
"अलग ही चाबी लग जाती है, तुझे उसके नाम से।", फट से उठती हुई निया को चिड़ाते हुए रिया बोली।
"अरे.. तू ये सब छोड़, तूने पहले क्यों नहीं उठाया मुझे।"
"अरे.. 11:30 ही तो बजे है, अभी भी निकलेगी तो आराम से 1:30 तक पहुंच जाएगी।"
"तैयार भी तो होना है।"
"और कितना तैयार होगी?", पीच से कलर के टॉप के साथ ब्लैक जैगिंग पहने निया को देखते हुए रिया बोली।
"ये पक्का ठीक लग रहा है ना? या फिर कुछ और पहनू, रुक तो यहां है तो, मैं तुझे दिखाती हूं।"
"सही लग रहा है.. वाह बहुत बढ़िया है।", और कपड़े निकालती हुई निया को रिया बता रही थी, की उसने जो पहना है, वो अच्छा लग रहा है, पर उसके हाथ में दिख रहे ब्लैक टॉप, जैकेट्स वगरह को देख कर, वो उनकी तारीफ़ करने से खुद को नहीं रोक पाई। "पर तू ज्यादा इन झंझटो पे मत पड़, और बस हल्का सा टचअप करके निकलने की कर, नहीं तो लेट हो जाएगी।"
"हां.. पर पक्का ना, सही लग रहा है ना?", टिश्यू से अपना मुंह पोंछ कर क्रीम लगती हुई निया पूछती है।
"हां.. तेरी कौन सी पहली डेट है, जो तू इतना नर्वस हो रही है।", रिया ने समझाते हुए बोला।
हां में सिर हिलाते हुए, फटाफट तैयार होकर भागते हुए रिया बोली, "बाय.. शाम को मिलते है।"
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"चलो शुक्र है, अभी बस 1 ही बजे है।", अंकित की दी हुई घड़ी में समय को निहारते हुए, पार्टी प्लेस रेस्ट्रों पहुंची निया बोली।
वो कुछ देर वहां बैठी ही थी, की सामने से अंकित आता हुआ दिखा।
"तुम.. बाकी सब कहां है?", अपनी घड़ी में समय देखता हुआ अंकित वहां बैठी निया से पूछता है।
"आते ही होंगे.. कोई नहीं तब तक हम बैठते है।"
"हां..", अंकित निया के सामने बैठ जाता है। और कुछ दो मिनट दोनो ही असहज से होते है, की तभी अंकित बोलता है।
"वो उस दिन जो हुआ.."
"वो उस दिन जो हुआ, उसके लिए मुझे भी तुमसे कहना था।", निया ने उसे काटते हुए बोला। "वो उस दिन के लिए आई एम सॉरी...", निया आगे बोली।
"नहीं तुम क्यों कह रही हो, सॉरी तो मुझे कहना चहिए।", अंकित अपना चेहरा नीचे करते हुए बोला।
"पता है, यही तो ताकत है प्यार की, तुम गए भी और वापस भी आ गए।", निया की इस बात पे अंकित ने बड़ा से मुंह बनाते हुए उसकी तरफ़ देखा।
"निया, प्यार की ताक़त नहीं है ये, मेरे डॉक्युमेंट्स में कुछ इश्यू था इसलिए हुआ। तुम्हें अंदाजा भी है, की इस समय मैं कैसे मुश्किल दौर गुजर रहा हूं। और कुछ इधर उधर हुआ तो मेरी नौकरी भी जा सकती है। पर तुम, तुम्हें सिर्फ अपनी पड़ी है, है ना?"
"नहीं अंकित, मैं तो बस.", अपनी खुशी में निया का ध्यान इस बात पे नहीं गया था की आखिर अंकित के साथ असल में हुआ क्या होगा। और उसकी ये बात सुन कर अब उसे समझ नहीं आ रहा था की वो क्या कहे।
"मुझे लगा था, की मैं तुम्हें ये सच कभी नहीं बताऊंगा, क्योंकि तुम हमेशा मेरे साथ बहुत अच्छी थी। पर आज लगता है की मुझे तुम्हें बता देना चाहिए।"
"क्या?", एक दम धीरे सी आवाज में आंख तक आए पानी को आंख में ही रोकते हुए निया बोली।
"मैं.. मैं जो तुम्हारे आस पास घूमता था, वो कभी तुम्हारे लिए नहीं था। मैं हमेशा से सिमरन को पसंद करता था।"
"पर फिर बाद में जब हम साथ आए, तब तो मुझे पसंद करने लग गए थे ना?", निया ने आंखों से टपकते हुए आसूं के साथ पूछा।
निया की इस बात पे अंकित ने ना तो कोई जवाब दिया, और ना ही गर्दन हिला कर कोई इशारा किया।
"अरे.. आ गए तुम लोग.. हम तुम्हारा ही इंतजार कर रहे थे।", उनकी तरफ़ बढ़ते हुए लोगो को देख कर अंकित उठ के बोला।
निया भी फटाफट से अपने आंसू पोंछते हुए पीछे मुड़ी।