unfinished tales in Hindi Short Stories by shivani singh books and stories PDF | अधूरी दास्तां

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अधूरी दास्तां

अरे वाह ! आज मौसम कितना अच्छा है राहुल और मनोज दोनो अपनी पढ़ाई को खत्म करके बाहर टहलने अपनी कमरे के बाहर छत पर आए दोनो ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। औऱ ही एक ही कमरे में रहते थे वे दोनों की आर्थिक स्थिति बहुत बेहतर नही थी।
सायद वो इसी कारण बाहर आये पढ़ने के लिए ताकि वह कुछ बनके अपनी और अपने परिवार की स्थिति को बेहतर कर सके। उनके बगल बाले कमरे में ही 'जय 'रहता था। वह अभी कॉलेज में था और वह कोई डिग्री कर रहा था उसका 2 वर्ष चल रहा था। वह भी उसी शाम में टहलने के लिए आता था। और उसकी कुछ मुलाकातों में राहुल और मनोज से मित्रता हो गई। वो लोग आपस मे बहुत समय तक बाते करते जब शाम को इक्कठे होते तो। पर जय आज बहुत ही खमोश था राहुल ने पूछा क्या हुआ उसने कहा कुछ नहीं, सब बढ़िया और पढ़ाई कैसी चल रही है जय ने कहा ठीक चल रही है। इतना कह के वह अंदर अपने कमरे में चला गया । राहुल और मनोज दोनो आपस मे कह रहे कि पता नही आज इनको क्या हो गया दोनो बाते करते करते कह रहे कि पता नही आज कल के लड़कों का कुछ क्या चलता रहता है। और वह दोनों भी कुछ समय बाद अपने कमरे में चले गए।
आज की सुबह ,शाम की तरह सुहानी तो नही थी पता नही क्यों आज अजीब सी शांति थी। जय कॉलेज गया । आज उसे कुछ उम्मीद थी कि उसकी दोस्त प्रिया आएगी। प्रिया, जय के साथ ही पढ़ती थी और वह दोनों बहुत ही स्कूल से ही साथ पढते थे
और वह इस कारण भी एक अच्छे दोस्त थे कि वह दोनों एक दूसरे को बहुत लंबे समय से जानते थे।
वह दोनो 12 बी के बाद बाहर पढ़ने के लिए भी आ गए कॉलेज में उन दोनों के परिवार काफी ताकतवर थे आर्थिक रूप कर समाजिक रूप से
पर दोनों अलग अलग जाति के थे पर यह अंतर
समाज की दृष्टि से जय की जाति प्रिया की जाति से नीची थी जब कि जय भी उतना ही धनी ओऱ होशियार था जितना प्रिया थी। उन दोनों में यही अंतर था कि वह दोनो अलग जाति के थे।
जय और प्रिया दोनो एक साथ शादी करना चाहते थे उन दोनो ने अपने घर पर बात की जैसे ही प्रिया कुछ दिनों में लिए अपने घर गई उसने सोचा कि वह सब बता देगी पर उसे क्या पता था कि समाज मे साथ व विवाह करने में लिए जाति का एक होना भी उतना ही जरूरी है जितना एक गाड़ी को चलाने के लिए डीजल । उसने अपनी माता श्री को जय के बारे मे सब कुछ बता दिया पर उनकी सारी बाते प्रिया के पिताजी ने भी सुन ली । और वह एक दम से चिल्लाने लगे प्रिया इधर आओ को है प्रिया एक दम सहम गई और बोली जय हमारे साथ ही पढ़ता है और वह बहुत होसियार है और समझदार अच्छा तुम्हे बड़ा ज्ञान है लोगो को परखने का उसने कहा पूरा नाम बताओ जय...।अच्छा अब तुम यहाँ से जाओ मेरे सामने से कॉलेज के लिए कब निकल रही हो प्रिया ने कहा कल , सुनो अब तुम कल नही जाओगी 2 दिन बाद जाओगी पर क्यो ज्यादा जबान मत चलाओ जाओ मेरे सामने से।
प्रिया जैसे ही अपने कमरे में उसने जय को फ़ोन लगाया और पूछा तुमने अपने घर पर बात की उसने कह दिया हाँ यही बताऊंगा तुम जब आओगी , और तुमने प्रिया ने कहा हां कब निकल रही हक तुम इतने पूछते ही फ़ोन कट गया। प्रिया के पिताजी ने फ़ोन को छुड़ा लिया ।
जय कॉलेज पहुँचा तो उसे वहाँ प्रिया नही दिखाई दी वह उसे फ़ोन भी लगा रहा था पर लग ही नही रह था। वह बहुत चिंता में आगया उसे ऐसा लग रहा था कि पता नही प्रिया कैसी है । कॉलेज की छुट्टी हो गई और वह अपने कमरे पर पहुँच गया। आज फिर राहुल और मनोज ने देखा कि जय बड़ा खामोश है बैसे तो बड़ा बोलता रहता उन्होंने पूछा भाई क्या बात है बता दो हम कुछ मदद कर सके।
बैसे कोई और चक्कर तो नहीं है नही नहीं भाई कुछ नहीं राहुल अपने घर पर फ़ोन लगा रहा था पर उसके फ़ोन में टावर नही आ रहे उसने जय का फ़ोन मंगा जय ने दे दिया राहुल ने देखा कि उसके फ़ोन में किसी प्रिया का नाम था । उसने अपने घर पर बात कर ली और उसके बाद उसने जय से पूछा भाई जय ये प्रिया कौन है , जय ने कौन प्रिया यह कहते कहते उसने फ़ोन को राहुल से ले लिया पर राहुल और मनोज ने कहा बताओ भाई क्या चल रहा हे तुम्हारा जय ने उन दोनो को सारी कहानी सुनाई अपनी और प्रिया की वो दोनों सुन के दंग रह गए । और उन्होंने जय को समझाया कहा छोड़ो अब तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाओ ।
पर जय का दिमाग तो कही और ही चल रहा था अभी उसको किसी की भी बात कहा समझ आती।
प्रिया अपने पिताजी से आखिरी बार कॉलेज जाने की बिनती कर रही थी पर उसके पिताजी जाने से सख्त इन्कार कर रहे थे।
पर उसके बार बार कहने पर वह मान जाते थे आखिर में वो भी अपनी बेटी से बहुत स्नेह करते थे।
वह उसको ऐसे नही देख सकते उन्होंने फैसला किया ठीक हे तुम कल निकल जाओ और वहाँ जाकर अपना सारा सामान इक्क्ठा कर पैक कर लेना में तुमको लेने आऊंगा ।
प्रिया सब समझ गई अब वह आखिरी बार जा रही है । उसे यह भी एहसास हो गया कि अब वो आगे पढ़ नही पाएगी। लेकिन उसे खुशी इस बात की थी कि वह जय से तो मिल सकेंगी ।
सुबह हुई प्रिया ने जाने के लिए तैयार हो गई
प्रिया के पिता जी ने कहा तुम वहाँ जा रही हो सिर्फ आखिरी बार ओर कोन वो लड़का है जय ...।
जिससे तुम्हारी शादी तो नहीं हो सकती क्योंकि वो हमारी बिरादरी के नही है .......।
प्रिया नम आँखों से घर से निकली और वह
वहाँ पहुँच गई।
अगले दिन जब वह क्लास में गई तब जय भी आया था । दोनो इंतज़ार कर रहे थे कि छुट्टि
कब होती है तब जाके बात करे।
जैसे ही क्लास खत्म होने का समय गया।
प्रिया औऱ जय दोनो बाहर गार्डन में बैठे
प्रिया ने सारी बात बताई की उसके पिताजी ने क्या क्या कहा उसने ये भी कहा कि वह अब शायद कभी नही मिले तुमसे , वह दोनो बाते करते हुए कहा रहे थे कितने अजीब नियम है समाज के ...।
जय ने कहा ठीक है तुम जाओ और आगे बढ़ो
बैसे जरूरी नही है कि जिससे प्यार हो जो हमे पसंद हो उससे शादी हो, में तुम्हे हमेशा याद रखूंगा।
हमेशा अपनी एक अच्छे दोस्त की तरह त
तुम्हारे लिए अच्छी दुआ दूंगा..।
यह कहते कहते उसकी आँखों से आँशु निकल आये प्रिया भी रोने लगी वह दोनो आज आखिरी बार मिल रहे थे उन्हें नहीं पता कि अब वो कभी मिलेंगे या भी नही उनके थोड़े दूर राहुल और मनोज सब देख रहे थे वह उन दोनों के पास गए और उनको समझया देखो तुम लोग इतने समझदार तो हो कि क्या सही हे और क्या गलत
पर जरूरी नही हे कि जिंदगी में जो तुम चाहो वह तुम लोगो के हिसाब से हो । यह कहकर वह दोनो निकल गए और जय और प्रिया ने कहा सही तो कह रहे है भाई ।उन दोनों ने आखिरी बार गले मिला और बहुत तेज रोने लगे ।
कुछ समय बाद प्रिया के पिताजी आये और वह प्रिया को ले गए।
जय भी अब उतना तो नही पर खुश रहने की कोशिश करता और वह पढ़ाई करता ।
प्रिया ओर जय अब अलग हो गए थे
जय सोच रहा था न जाने कितने ऐसे लोग होंगे जो इस समाज की व्यवस्था की बजह से साथ नही होंगे....।