Koun ho tum? - 1 in Hindi Love Stories by Rajesh Kumar books and stories PDF | कौन हो तुम? - 1

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कौन हो तुम? - 1

अरुण मौज मस्ती करने बर्फ़ीली पहाड़ियों पर आया हुआ था।उसकी बहुत तम्मना थी कि वो बर्फ से ढकी पहाड़ियों पर जाए। वहां जाकर बर्फ से खेले वो अपने दो दोस्तों के साथ आया हुआ था। अगले दिन तीनों तैयार होकर बर्फ़ीली हसीन वादियों को देखने चल पड़े। जिधर देखो सैलानियों के जमावड़ा था। सभी बर्फ पर खेल कूद मस्ती कर रहे थे। कोई बर्फ को गुल्ला बनाकर उछाल रहा था तो कोई एक दूसरे पर फेंक रहा था। कुछ बर्फ पर चलने वाली गाड़ी का लुफ्त उठा रहे थे।
अरुण मस्ती मस्ती में बहुत आगे निकल आया था। उसके दोस्त उससे तीनसौ मीटर पीछे रह गए थे। जगह जगह सावधान रहने की सूचना लिखी हुई थी। अरुण के ठीक सामने से पहाड़ी मानो पठार से गर्त में जा रही थी। कुछ लोग बोल रहे थे भाई आगे मत जाओ वहां खतरा है। उसके दोस्त उसे पीछे से पुकार रहे थे। अरे यार अब वापिस आ जा लेकिन अरुण अनसुना कर रहा था। कुछ और आगे बढ़ने पर अरुण को नीचे की ओर बहुत गहराई पर पेड़-नदी और बर्फ नजर आ रही थी। नदी को बर्फ ने अपने आगोश में ले रखा था।
अचानक अरुण की नजर अपने दाईं ओर पड़ी जिसे देख अरुण के पैरों तले से जमीन खिसक गई। एक भयानक बर्फीला तूफान उसकी ओर बढ़ रहा है। कुछ ही क्षणों में चारों ओर से भागो बचो की आवाजें आने लगी। सभी लोग होटलों की ओर भागने लगे। अरुण उन सबसे बहुत दूरी पर था और तूफान के सबसे नज़दीक अरुण के हाथ पैर फूलने लगे उसे समझ नही आया वो क्या करे। इतने में उसका पैर फिसल और आगे की ओर बर्फ पर फिसलता हुआ गिरने लगा इतने में ही तूफान के साथ आई बर्फ उस पर आ पड़ी। उसका सिर अचानक किसी पत्थर या पेड़ में टकराया और अरुण बेहोश हो गया।.....
अरुण को होश आया तो उसका सिर दर्द से फटा जा रहा था। टांग पर मानो किसी ने कुन्तलों बजन रख दिया हो वो हिल ही नही रही थी। धीरे धीरे आँखें खुली तो प्रकाश की चकाचौंध से एकदम बन्द हो गयी तीन चार बार के प्रयास के बाद उसने उसने देखा तो वो एक झोंपड़ी में जमीन पर पर्ण की मोटी चटाई पर पड़ा हुआ है। वो बैचेन हो गया। आवाज निकालनी चाही तो बोला नही गया। शरीर मानो जड़ हो गया है।
ये सब कैसे हो गया? मैं यहां कहाँ हूँ? ये सोचकर अरुण बहुत दुखी हो रहा था।
अरुण ने उठने की कोशिश की मगर उठ नही पाया। उसने अपने मन को दृढ़ किया और बैचेनी को कम करने की कोशिश की। एकाएक उसे लगा कि झोपड़ी की ओर कोई आ रहा है। एक युवती ने झोपड़ी में प्रवेश किया जैसे ही युवती ने देखा कि अरुण को होश आ चुका है। अरुण ने थोड़ा उठने की कोशिश की तभी युवती ने कहाँ आप लैटे रहिए। आप की तबियत कैसी है? अरुण ने बहुत कोशिश की और बहुत धीरे स्वर में कहा मैं यहाँ कहां हूँ। आप कौन है?
युवती ने बिना कोई जबाब दिए झोपड़ी से बाहर होकर पुकारा पिताजी इन्हें होश आ गया है। आप जल्दी आइये।
युवती पुनः झोपड़ी में आयी और कहा आपके सभी प्रश्नों का उत्तर मिलेगा फिलहाल आप को आराम करने की सख्त जरूरत है।
मैं आपके लिए कुछ काढ़ा बना देती हूँ। जो पिताजी ने बताएं हैं।



शेष अगले भाग में
आप बने रहिए हमारे साथ "कौन हो तुम" एक लाज़बाब प्रेम और कर्तव्य, के आयामों में गुथी इस कहानी में। आशा है ये आप को पसंद आएगी।